सुषमा स्वराज: दिल्ली की पहली महिला सीएम, देश की दूसरी महिला विदेश मंत्री…सियासी सफर पर डालें एक नज़र

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बीजेपी की कद्दावर नेता और पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज (Sushma Swaraj) का आज जन्मदिन है। 14 फरवरी 1952 को जन्मीं सुषमा स्वराज की ख्याति एक प्रखर और ओजस्वी वक्ता, प्रभावी सांसद और कुशल प्रशासक की रही। पिछले साल 6 अगस्त को उनका आकस्मिक निधन हो गया था। सुषमा स्वराज ने अपने लंबे राजनीतिक कार्यकाल में बतौर नेता कई भूमिकाएं निभाईं। आइये जानते हैं कैसा रहा सुषमा स्वराज (Sushma Swaraj) का सियासी सफर:

25 साल की उम्र में राजनीति में आईं

सुषमा स्वराज (Sushma Swaraj) महज 25 साल की उम्र में ही राजनीति में आईं थीं। उन्होंने सबसे पहला चुनाव 1977 में लड़ा। वे हरियाणा की अंबाला सीट से चुनाव जीतकर देश की सबसे युवा विधायक बनी थीं। उन्हें हरियाणा की तत्कालीन देवीलाल सरकार में मंत्री भी बनाया गया।

वाजपेयी सरकार में मंत्री बनीं

बीजेपी के लौह पुरुष कहे जाने वाले नेता लाल कृष्ण आडवाणी को सुषमा अपना राजनीतिक गुरु मानती थीं। नब्बे के दशक में अटल और आडवाणी की छत्रछाया में सुषमा राष्ट्रीय राजनीति में आईं और छा गईं। 1996 में हुए लोकसभा चुनाव में सुषमा (Sushma Swaraj) दक्षिण दिल्ली से सांसद बनी थीं। इसके बाद 13 दिन की अटलजी की सरकार में उन्हें केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री बनाया गया।

दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं सुषमा स्वराज (Sushma Swaraj)

मार्च 1998 में केंद्र में दूसरी बार अटलजी की सरकार में सुषमा स्वराज (Sushma Swaraj) एक बार फिर से आईबी मिनिस्टर बनीं। हालांकि, कुछ महीने बाद ही उन्होंने कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया और दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं। हालांकि, इसके बाद हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी हार गई। पार्टी की हार के बाद सुषमा ने विधानसभा की सदस्यता छोड़ दी और राष्ट्रीय राजनीति में वापस लौट आईं। 1999 में सुषमा (Sushma Swaraj) का कांग्रेस नेता के तौर पर राजनीति में कदम रखने वाली सोनिया गांधी के खिलाफ बेल्लारी में ‘विदेशी बहू’ बनाम ‘भारतीय नारी’ का चुनावी मुकाबले में खड़े होना एक अहम फैसला था।

भावुक हुए आडवाणी, कहा- “मेरे लिए यह अपूरणीय क्षति, मैं सुषमा जी की मौजूदगी को बहुत याद करूंगा”

बेल्लारी तब कांग्रेस के लिए सुरक्षित सीट थी और भाजपा के लिए तत्कालीन नए कांग्रेस अध्यक्ष के खिलाफ लड़ना महत्वपूर्ण था, क्योंकि विदेशी मूल उस समय का दूसरा महत्वपूर्ण राजनीतिक मुद्दा था क्योंकि सोनिया का विदेशी मूल का होना उस समय एक महत्वपूर्ण राजनीतिक मुद्दा था। उन्होंने कर्नाटक की बेल्लारी लोकसभा सीट से सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें हार झेलनी पड़ी थी।

देश की दूसरी महिला विदेश मंत्री रहीं

सुषमा स्वराज (Sushma Swaraj) 2009 और 2014 में मध्य प्रदेश के विदिशा से लोकसभा चुनाव जीतीं। 2014 से 2019 तक पिछली मोदी सरकार में वह विदेश मंत्री रहीं। इंदिरा गांधी के बाद सुषमा स्वराज को देश की दूसरी महिला विदेश मंत्री बनने का गौरव हासिल हुआ। बतौर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज (Sushma Swaraj) सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय रहीं और दुनियाभर में बसे भारतीयों को उन्होंने ट्विटर पर मदद मुहैया कराई। विदेश में मुसीबत में फंसे भारतीयों तक पहुंचने में सक्रिय होने के साथ विदेश मंत्री की भूमिका को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए उन्हें सबसे अधिक याद किया जाएगा।


पूर्व विदेश मंत्री और बीजेपी की दिग्गज नेता सुषमा स्वराज का निधन

सुषमा स्वराज: एक तेजस्वी नेता, मातृत्व छवि वाली महिला, विदेश मंत्री की भूमिका के लिए याद की जाएंगी

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