Independence Day 2019 : आज भारत 73वां स्वाधीनता दिवस (Independence Day) मना रहा है। आजादी का जश्न तिरंगे के बिना अधूरा है। प्रधानमंत्री हर साल लाल किले के ऐतिहासिक प्राचीर से तिरंगा फहराते हैं। पूरे देश के लोग तिरंगा फहराकर उस दिन को याद करते हैं जिस दिन भारत गुलामी की जंजीरें तोड़कर एक स्वतंत्र राष्ट्र बना। मसलन, आजादी के दिन तिरंगे की अहमियत सबसे ज्यादा होती है। इसलिए हम आज आपको तिरंगे के राष्ट्र ध्वज (National Flag) बनने की कहानी बताते हैं।
तिरंगे को अपनाने का निर्णय 22 जुलाई, 1947 को संविधान सभा की बैठक के दौरान किया गया और इसी दिन भारतीय ध्वज को सर्वसम्मति से अपनाया गया। तभी से 22 जुलाई को ‘नेशनल फ्लैग अडॉप्शन डे’ (National Flag Adoption Day) के रूप में मनाया जाता है।
हमारा राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा, स्वराज ध्वज पर आधारित है, जिसे पिंगली वेंकय्या ने डिजाइन किया था और पहली बार वर्ष 1923 में फहराया गया था। 1947 में स्वतंत्रता से पहले विधान सभा ने घोषणा कर कहा कि राष्ट्रीय ध्वज ऐसा होना चाहिए, जो समाज के सभी वर्गों को स्वीकार हो।
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1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद भारत के अपने एक राष्ट्रीय झंडे की जरूरत पर प्रकाश डाला गया था। 1905 में बंगाल के विभाजन ने एक और झंडे को जन्म दिया, जिसे ‘वंदे मातरम ध्वज’ कहा गया। इस झंडे में भारत के धार्मिक प्रतीकों को शामिल किया गया था, लेकिन इन्हें पश्चिमी देशों के झंडों में इस्तेमाल होने वाले हेरलडीक फैशन में दर्शाया गया था।
इसी दौरान पिंगली वेंकय्या झंडे के 30 डिजाइनों के साथ आए। महात्मा गांधी ने अपनी पत्रिका ‘यंग इंडिया’ में राष्ट्रीय ध्वज की आवश्यकता के बारे में लिखा था। उन्होंने इसके साथ चरखे के पहिये के साथ छापा था। इसके बाद आर्य समाज के संस्थापक नेता स्वामी दयानंद के अनुयायी, लाला हंसराज ने कताई पहिया को ध्वज में शामिल करने का सुझाव दिया था।
यह कार्य पिंगली वेंकय्या को सौंप दिया गया। हालांकि, उन्हें कहा गया था कि वह लाल रंग (हिंदुओं के लिए) और हरे रंग (मुसलमानों के लिए) पर चरखे के साथ एक झंडा डिजाइन करें। इसके बाद, गांधी जी को लगा कि धव्ज में अन्य धर्मों और समुदायों का प्रतिनिधित्व नहीं किया गया है। इस तरह निर्देश दिया कि सभी समुदायों का प्रतिनिधित्व या प्रतीक करने के लिए रंग सफेद का भी उपयोग किया जाए।
जलियांवाला बाग हत्याकांड के विरोध में हली बार 13 अप्रैल, 1923 को नागपुर में कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा इसे फहराया गया था। 1947 में विधानसभा द्वारा समिति के गठन के बाद स्वराज ध्वज को संशोधित किया गया और भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में स्वीकार किया गया। इस समिति का नेतृत्व राजेंद्र प्रसाद ने किया। वहीं, मौलाना अबुल कलाम आज़ाद, सरोजिनी नायडू, सी राजगोपालाचारी, के एम मुंशी और बी आर अम्बेडकर के सदस्य थे।
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राष्ट्रीय ध्वज में चरखे के स्थान पर अशोक चक्र को रखा गया। चक्र धर्म और कानून की व्यवस्था का प्रतिनिधित्व करता है। तिरंगे को राष्ट्रिय ध्वज के तौर पर अपनाने से पहले दो और झंडे पेश किये गए थे, लेकिन विधानसभा ने सर्वसम्मति से तिरंगे झंडे के पक्ष में प्रस्ताव पारित किया। 26 जनवरी 1950 के बाद, तिरंगा भारतीय गणराज्य का राष्ट्रीय ध्वज बन गया।
This post was last modified on August 15, 2019 9:03 AM
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