दादा के शुरू किए यूको बैंक ने पोते यश बिड़ला को घोषित किया ‘विलफुल डिफॉल्टर’

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देश के सबसे अमीर घरानों का जिक्र होता है तो बिड़ला परिवार एक ऐसा नाम है जो सबके जेहन में आता है। लेकिन अभी यह परिवार गलत कारणों से सुर्खियों में आया है। दरअसल, बैंक का कर्ज़ नहीं चुकाने पर यश बिड़ला समूह के चेयरमैन यशोवर्धन बिड़ला को विलफुल डिफॉल्टर घोषित किया गया है। कोलकाता स्थित यूको बैंक ने रविवार को 67.65 करोड़ रुपए का ऋण नहीं चुकाने के मामले में यह कार्रवाई करते हुए बिड़ला की तस्वीर के साथ एक सार्वजनिक नोटिस जारी किया है।

इस मामले में एक अजीब विडंबना भी है। वो ये कि यश बिड़ला को डिफॉल्टर घोषित करने वाले यूको बैंक की स्थापना यश के पूर्वजों ने ही की थी। ज्ञात हो कि यश बिड़ला, अशोक बिड़ला के बेटे हैं। अशोक बिड़ला के दादा रामेश्वर बिड़ला थे और वह मशहूर उद्योगपति घनश्याम दास बिड़ला के भाई थे। बेंगलुरु में एक हवाई दुर्घटना में माता-पिता की मौत के बाद यश ने सिर्फ 23 साल की उम्र में ही परिवार का कारोबार संभाला था। शुरुआती दिनों में समूह का व्यापार सलाहकारों के माध्यम से चलता था।

बहरहाल, यूको बैंक द्वारा जारी नोटिस में कहा गया है कि बैंक का बकाया न चुकाने के कारण 3 जून 2013 को यश के खाते को एनपीए घोषित कर दिया है। उधारकर्ता को कई नोटिस जारी किए जाने के बाद भी बैंक को बकाया राशि का भुगतान नहीं किया गया है। नोटिस में कहा गया है कि उधारकर्ता कंपनी और उसके निदेशक, प्रमोटर, गारंटर को बैंक ने विलफुल डिफॉल्टर्स घोषित कर दिया है और उनका नाम सार्वजनिक सूचना के लिए क्रेडिट सूचना कंपनियों को दिया गया है।

यूको बैंक ने सात अन्य कंपनियों के विलफुल डिफॉल्टर्स निदेशकों का नाम भी जारी किया है, जिनकी कुल बकाया राशि 740 करोड़ रुपए है। बता दें कि 1 जुलाई 2015 को एक मास्टर सर्कुलर में भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा था कि सूचीबद्ध किए गए किसी भी विलफुल डिफॉल्टर्स को किसी भी बैंक या वित्तीय संस्थान द्वारा कोई अतिरिक्त सुविधाएं नहीं दी जानी चाहिए।

क्या होता है विलफुल डिफॉल्टर?

विलफुल डिफॉल्टर उन कर्जदारों को कहा जाता है, जिन्होंने जिस काम के लिए बैंक से कर्ज लिया था, उसका उस मद में इस्तेमाल नहीं किया। साथ ही, कर्ज चुका पाने में सक्षम होते हुए भी वह बैंकों की रकम वापस नहीं करते। अगर किसी शख्स ने कोई संपत्ति गिरवी रखकर बैंक से कर्ज लिया है और बैंक की जानकारी के बिना वह उस संपत्ति को बेच देता है तो उसे भी विलफुल डिफॉल्टर माना जाता है।

अगर किसी प्रमोटर को बैंक या फिर NBFC कंपनी विलफुल डिफॉल्टर घोषित कर देती है तो उसे मौजूदा बिजनेस ही नहीं बल्कि किसी भी कंपनी जिसमें वह डायरेक्टर है, उसे फंडिंग नहीं मिलती हैं।

This post was last modified on June 17, 2019 3:20 PM

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