लखनऊ | उत्तर प्रदेश में नदियों के उफान के कारण कई जिले बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। राप्ती नदी खतरे के निशान को पार कर गई है, जिस वजह से बलरामपुर-तुलसीपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर आवागमन बंद हो गया है। बेलहा डिप पर करीब तीन फीट पानी तीव्र गति से बह रहा है। बाढ़ से करीब 350 तटवर्ती गांव प्रभावित हुए हैं।
इस समय बलरामपुर-तुलसीपुर राष्ट्रीय राजमार्ग के चौड़ीकरण व पुल निर्माण का काम चल रहा था। बेलहा डिप पर बाढ़ का पानी बहने से तुलसीपुर मार्ग पर आवागमन ठप है। बलरामपुर से सिद्धार्थनगर के लिए जाने वाला रास्ता बंद है। लगभग 40 गांवों में बाढ़ का पानी भरा है। फसलें भी डूब गई हैं।
बलरामपुर के जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश ने बताया कि राहत एवं बचाव कार्य तेजी से चल रहा है। लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने का काम जारी है।
घाघरा के जलस्तर में तेजी से हो रहा बढ़ाव मंगलवार को खतरा निशान के करीब पहुंचकर ठहर गया। इधर, घाघरा नदी में नेपाल से पानी छोड़ जाने की खबर से तटवर्ती इलाकों में खलबली मच गई है। आने वाले 48 घंटों में नदी में तेजी से बढ़ाव होने की संभावना को लेकर तटवर्ती इलाकों में जबरदस्त आक्रोश व भय व्याप्त हो गया है। नदी के जलस्तर में बढ़ाव पर टीएस बंधा, तुतीर्पार-हाहानाल बंधा के किनारे बसे तटवर्ती गांव चैनपुर गुलौरा, मठिया, महुआतर, खैरा खास, तुर्तीपार, मुजौना, बेल्थराबाजार, करीमगंज, सहिया, हल्दीरामपुर व रामपुर आदि गांवों में हर वर्ष कटान व बाढ़ का कहर झेलते रहे हैं।
UP : नदियों का जलस्तर खतरे के निशान के उपर, कई इलाकों में बाढ़ के हालात
जिलाधिकारी ने बाढ़ क्षेत्र का निरीक्षण किया। उन्होंने जगह-जगह रुककर ग्रामीणों से उनका हाल जाना और बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में ग्रामीणों की मदद के लिए संबंधित अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। उन्होंने बाढ़ से पहले पशुओं का टीकाकरण एवं बच्चों का प्री-वैक्सीनेशन कराने के लिए सीएमओ एवं सीवीओ को निर्देश दिया।
केंद्रीय जल आयोग के गायघाट केंद्र पर गंगा का जलस्तर 53.54 मीटर रिकार्ड दर्ज किया गया। गंगा प्रतिघंटा दो सेंटीमीटर रफ्तार से बढ़ाव पर है। गंगा हालांकि गायघाट में चेतावनी बिंदु 56.615 से 3.075 मीटर नीचे बह रही है। अगर गंगा के जलस्तर में इसी तरह वृद्धि जारी रही तो जल्द ही उफान आना तय है।
गंगा पूर्वाचल में प्रयागराज के बाद भदोही, मीरजापुर, वाराणसी, चंदौली, गाजीपुर और बलिया आदि जिलों को प्रभावित करती हैं। वहीं बलिया के केहरपुर, सुघरछपरा, अवशेष चौबेछपरा, रामगढ़ के सोनारटोला व गुप्ता टोला में चल रहे बचाव कार्य से ग्रामीण संतुष्ट नहीं हैं।
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ग्रामीण छविलाल का कहना है कि इस बालू भरी बोरियों से गंगा में बढ़ाव के समय हो रहे कटानरोधी कार्य हमारे अस्तित्व की कितनी रक्षा करेंगे। यह पिछले वर्ष का अनुभव ही बता रहा है।
सिंचाई एवं जल संसाधान विभाग के मुख्य अभियंता ए.के सिंह ने बताया कि शारदा नदी का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर गया है। अभी इसका जलस्तर 154.130 क्यूसेक है, जबकि खतरे का जलस्तर 153.620 क्यूसेक है। इसी तरह राप्ती भी अपने खतरे के निशान से ऊपर चल रही है। अभी उसका जलस्तर 104.940 क्यूसेक है। इसमें 0.320 क्यूसेक की बढ़ोतरी हुई है। बारिश कम होने से कुछ नदियां हालांकि अभी स्थिर हैं।
बाढ़ राहत एवं आपदा प्रबंधन विभाग के पदाधिकारियों का कहना है कि जहां-जहां बाढ़ के हालात हैं, वहां पर राहत एवं बचाव कार्य तेजी से किया जा रहा है। एनडीआरएफ की टीमें और संबधित जिलाधिकारी को मौके पर मुआयना करने और राहत समाग्री पहुंचाने के लिए कहा गया है। ज्यादा बाढ़ वाले स्थानों में लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है। जहां जरूरत है, वहां नाव दी जा रही है।
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This post was last modified on July 17, 2019 12:37 PM
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