लखनऊ, 20 जुलाई (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश में कुछ नदियों का जलस्तर तो कम हो गया है, मगर अब कटान के कारण लोगों की मुसीबतें बढ़ती जा रही हैं।
इस समय पलियांकला से बहने वाली शारदा नदी खतरे के निशान पर चल रही है और आसपास बसे लोगों को कटान का डर सता रहा है। राप्ती और घाघरा नदी में पानी बढ़ने से गोरखपुर और संत कबीर नगर में बाढ़ का खतरा बढ़ रहा है। बलरामपुर, महराजगंज, श्रावस्ती में कटान के कारण लोगों की मुसीबतें बढ़ती जा रही हैं।
गोरखपुर और संत कबीर नगर के दक्षिण छोर पर स्थित खड़गपुर-शाहपुर बांध खजनी तहसील क्षेत्र में गायघाट और ढबिया गांव के पास कई जगह कट गया है। बांध के उत्तर तरफ बारिश का पानी है और दक्षिण तरफ घाघरा नदी का। ऐसे में जलस्तर जरा भी और बढ़ा तो क्षतिग्रस्त बांध पानी को रोक नहीं पाएगा।
खजनी तहसील के ग्रामीणों का कहना है कि सरकार हमेशा बाढ़ से त्रासदी का इंतजार करती है। यहां पर किसी भी समय पानी बढ़ने से बाढ़ का खतरा ज्यादा बढ़ सकता है, लेकिन सिंचाई विभाग की ओर जिस तरह की मदद मिलनी चाहिए, वह नहीं मिल रही है।
यहां के किसान राजू ने बताया, “हमारे यहां बांध में कटान का डर हमेशा बना रहता है। उमरिया बजार से लेकर ढबिया तक कई जगह कटान शुरू हो गई है। सिंचाई विभाग अभी तक यहां का सुध नहीं ले रहा है।”
स्थानीय लोगों ने बताया कि नेपाल का पानी घाघरा में आ गया है, इसलिए बांध के कारण अपने को सुरक्षित महसूस कर रहे ग्रामीण अब सहम गए हैं।
उप्र के सिंचाई मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा, “नेपाल से पानी आ रहा है, इसलिए किसी भी बांध की सुरक्षा को लेकर कोई कोताही नहीं बरती जाएगी। पूरी जानकारी लेकर इस बांध की सुरक्षा के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं। लोगों को परेशानी ना हो इस पर हमारा पूरा ध्यान है।”
अब शारदा नदी भी शांत नजर आने लगी है। इसलिए गांवों में बाढ़ का खतरा टल गया है। हालांकि नदी अब भी खतरे के निशान के आसपास ही बह रही है। माना जा रहा है कि बारिश नहीं होती है तो स्थिति सामान्य हो जाएगी।
बीते दो दिनों से शारदा नदी का जलस्तर लगातार कम हो रहा है। जलस्तर इस समय खतरे के निशान के आसपास ही है। नदी का बहाव भीरा की तरफ तेज है, जबकि श्रीनगर गांव की तरफ नदी धीमी गति से बह रही है। ढखिया, दौलतापुर, कचनारा, आजादनगर, बर्बादनगर आदि गांवों में नदी का रुख शांत है। ग्रामीणों ने बताया कि हल्की सी बारिश में ही नदी का जलस्तर बढ़ जाता है, अगर तेज बारिश हुई तो नदी तबाही मचा सकती है।
बलरामपुर में कटान के कारण पचवेड़ा क्षेत्र के माधवा नगर खादर व परसौना गांव में बांध की कटान रोकने के लिए बोरियां डाली गई थीं, लेकिन वह बह गईं।
पचवेड़ा के प्रधान गुड्डू ने बताया कि राप्ती की कटान से हर वर्ष लगभग 25 गांव प्रभावित होते हैं। बीते दिनों कटे हुए बांध पर ट्रैक्टर ट्राली से मिट्टी डालकर बोरियां रखी गई थीं, जो बांध में कटान के कारण बह गई हैं।
सिंचाई एवं जल संसाधान विभाग के मुख्य अभियंता ए़ के. सिंह ने बताया कि शारदा नदी अभी भी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। इसका जलस्तर 153़ 910 क्यूसेक है। इसमें 0़290 की बढ़ोतरी हुई है। इसका खतरे का निशान 153़ 620 है। वहीं राप्ती शनिवार को स्थिर है। यह 126़ 7 गेज मीटर से बह रही है। जबकि इसका खतरे का निशान 127़ 7 होता है। घाघरा भी आज स्थिर दिखाई दे रही है। इसका जलस्तर 63़ 30 है। जबकि इसका खतरे का निशान 64़ 01 क्यूसेक पर है।
बाढ़ राहत आपदा प्रबंधन विभाग कार्यालय के पदाधिकारियों ने बताया कि अब कुछ नदियों का जलस्तर घटने लगा है। कुछ जगहों पर कटान शुरू हो गई है। ऐसे में सारी चौकियों को अलर्ट कर दिया है। एनडीआरएफ की टीम भी चौकन्ना है। जहां पर बाढ़ का खतरा देखा जा रहा है, वहां से लोगों को सुरक्षित जगह पहुंचाया जा रहा है। उन तक खाने-पीने का समान भी पहुंचाया जा रहा है।
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