नई दिल्ली से डिब्रूगढ़ जा रही राजधानी एक्सप्रेस में BSF जवान से अवैध वसूली करने के आरोप में रेलवे प्रशासन ने कड़ी कार्रवाई की है। दोनों आरोपी आरपीएफ जवानों के खिलाफ हुई जांच में पता चला कि रिश्वत नकद और पेटीएम के जरिए ली गई है। इसके बाद रेलवे के प्रमुख मुख्य सुरक्षा आयुक्त (पीसीएससी) एसएन पांडेय ने उन्हें बर्खास्त कर दिया है। बर्खास्तगी के बाद अब इन्हें रेलवे से मिलने वाले भत्ते एवं अन्य धनराशि भी नहीं मिलेगी।
न्यू जलपाईगुड़ी (पश्चिम बंगाल) निवासी देवराम थापा BSF डीआईजी की सुरक्षा में नई दिल्ली में तैनात हैं। उन्होंने 12424 डिब्रूगढ़ राजधानी एक्सप्रेस में न्यू जलपाईगुड़ी के लिए रिजर्वेशन कराया था। 12 जुलाई को वह गर्भवती पत्नी के साथ नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पहुंचे तो ट्रेन के कोच तक पहुंचने से पहले ही ट्रेन चलने लगी। देवराम तो सवार हो गए लेकिन उनकी पत्नी प्लेटफॉर्म पर ही रह गईं। इस पर उन्होंने चेन पुलिंग कर दी। ट्रेन रुकी तो पत्नी को कोच में चढ़ा लिया। ट्रेन में कानपुर के अनवरगंज स्टेशन पर तैनात आरपीएफ सिपाही आशीष चौहान और रामनयन यादव एस्कॉर्ट कर रहे थे।
दोनों ने BSF जवान को चेन पुलिंग करते देख लिया तो धमकी दी कि चेन पुलिंग के जुर्म में रिपोर्ट दर्ज करा देंगे। सिपाहियों ने जवान से 10 हजार रुपए रिश्वत मांगी। देवराम ने कहा कि उसके पास 7 हजार रुपए ही कैश हैं लेकिन सिपाही तैयार नहीं हुए। BSF जवान ने घूस की बाकी रकम 3 हजार रुपए पेटीएम से भुगतान की बात कही तो दोनों सहमत हो गए। सात हजार रुपए कैश लेकर बाकी के 3 हजार रुपए सिपाही आशीष चौहान के बैंक खाते में पेटीएम के जरिए ट्रांसफर कर दिए।
नकद और पेटीएम से घूस देने के बाद BSF जवान ने कोच कंडक्टर और आरपीएफ डीजी को पेटीएम डिटेल के साथ ट्वीट कर दिया। डीजी ने इलाहाबाद रेलवे स्टेशन के कमांडेंट से जांच कर एक दिन में रिपोर्ट मांगी। जांच में आरोपी जवान के बैंक खाते का विवरण लिया गया, जिसमें पेटीएम के द्वारा तीन हजार रुपये लेने की पुष्टि हुई। रिपोर्ट पर कड़ा रूख अपनाकर कठोरतम कार्यवाही करते हुए जवानों को रेलवे सुरक्षा बल नियम 1987 मे दिये गये विशेष प्रावधानों के तहत नौकरी से बर्खास्त (Dismiss) कर दिया गया है। बर्खास्तगी आदेश सम्बंधित जवानों को 16 जुलाई को प्राप्त करा दिया गया। अब दोनों जवानों को रेलवे से मिलने वाले भत्ते एवं धनराशि नहीं मिलेगी एवं सेवा संबंधी अन्य लाभों के भी हकदार नही होंगे और ना ही दोबारा किसी भी सरकारी नौकरी के पात्र होंगे। रेलवे ने घटना के मात्र 05 दिन के भीतर इस कार्यवाही से भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम में एक बड़ा संदेश दिया है।
आरपीएफ कानपुर के इतिहास में यह पहला ऐसा मामला है, जिसमें रिश्वत की रकम बैंक खाते में ली गई। इस तरह का मामला पहले कभी नहीं आया।
This post was last modified on July 18, 2019 3:50 PM
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