प्रियंका गांधी जीवन परिचय: पढ़ें निजी जिंदगी के किस्से

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कांग्रेस कार्यकर्ताओं की पुरानी मुराद को आखिरकार पार्टी ने पूरी कर दी है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपनी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा को पूर्वी उत्तर प्रदेश का पार्टी महासचिव नियुक्त कर दिया है। जानकारी के मुताबिक, प्रियंका फरवरी से अपना कार्यभार संभालेंगी। यूँ तो प्रियंका गांधी पार्टी के लिए कैंपेन करती रही हैं, लेकिन अब उन्हें आधिकारिक तौर पर पार्टी में शामिल किया गया है। 2019 का लोकसभा चुनाव बेहद नजदीक है, ऐसे में कांग्रेस का यह दांव काफी अहम माना जा रहा है।

12 जनवरी 1972 को जन्मीं प्रियंका का पूरा नाम प्रियंका गांधी वाड्रा है। प्रियंका, राजीव गांधी और सोनिया गांधी की बेटी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की बहन हैं। वह भारतीय राजनीति के पहले परिवार, नेहरू-गांधी परिवार की बेटी हैं। प्रियंका गांधी के अंदर उनकी दादी और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की झलक देखी जाती है। प्रियंका को लेकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं में काफी उत्साह देखा जाता है। साथ ही उन्हें कुशल वक्ता के तौर पर भी जाना जाता है।

प्रियंका गांधी दिल्ली के मॉडर्न स्कूल से पढ़ी हैं। इसके बाद उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के जीसस एंड मैरी स्कूल से साइकॉलोजी की डिग्री हासिल की। हालांकि, दादी इंदिरा गांधी की हत्या के बाद प्रियंका अपने भाई राहुल गांधी के साथ 24 घंटे सुरक्षाकर्मियों की नजर में घर से ही पढ़ाई करती थी।

यूपी में मायका भी, ससुराल भी

इलाहाबाद की बेटी प्रियंका गांधी की शादी 1997 में रॉबर्ट वाड्रा से हुई। रॉबर्ट वाड्रा मूल रूप से पश्चिमी यूपी के मुरादाबाद के रहने वाले हैं। कहा जाता है कि प्रियंका अपने पति रॉबर्ट वाड्रा से 13 साल की उम्र में मिली थीं। प्रियंका ने ही रॉबर्ट की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया था, जिसके बाद दोनों की शादी हुई। प्रियंका और रॉबर्ट शादी से पहले 6 साल तक एक साथ थे। इसके बाद उन्होंने परिवार को अपने रिश्ते के बारे में बताया।

हालांकि, गांधी परिवार ने इस रिश्ते का विरोध किया लेकिन दादी इंदिरा गांधी की तरह प्रियंका भी अपने प्यार के लिए अड़ गईं। आखिरकार परिवार को हामी भरनी ही पड़ी। प्रियंका और रॉबर्ट की शादी काफी लो-प्रोफाइल रखी गई। शादी में महज 150 मेहमानों को निमंत्रण दिया गया था। उनके दो बच्चे हैं। एक बेटी और एक बेटा।

गुस्सैल स्वभाव की प्रियंका कैसे हुईं सौम्य

प्रियंका की तुलना अक्सर उनकी दादी इंदिरा गांधी से होती है। प्रियंका का हेयरस्टाइल, कपड़ों के चयन और बात करने के सलीके में इंदिरा गांधी की छाप साफ नजर आती है। प्रियंका गांधी को पहले काफी गुस्सैल स्वभाव वाला बताया जाता था, लेकिन अब उनके व्यवहार की सौम्यता सबको आकर्षित करती है। बताया जाता है कि वह नियमित तौर पर योग करती हैं। प्रियंका को फोटोग्राफी, कुकिंग, और पढ़ना खासा पसंद है। प्रियंका को बच्चों से खासा लगाव है। उन्होंने ही राजीव गांधी फाउंडेशन के बेसमेंट में बच्चों के लिए लाइब्रेरी शुरू कराई जिसका इस्तेमाल रोजाना कई बच्चे करते हैं।

16 साल की उम्र में पहला भाषण हिट

प्रियंका गांधी अब तक सिर्फ रायबरेली और अमेठी में ही राजनीतिक गतिविधियों में हिस्सा लेती रही हैं। रायबरेली यानी अपनी मां सोनिया गांधी के लोकसभा क्षेत्र और भाई राहुल गांधी के लोकसभा क्षेत्र अमेठी में वो चुनाव प्रचार करती रही हैं। उन्होंने 16 साल की उम्र में अपना पहला भाषण दिया था। अमेठी में लोग राहुल गांधी को भइया बोलते थे और जब प्रियंका उनके साथ होती थीं तब उन्हें भी ‘भइया जी’ कहा जाता था। अब भी उन्हें वहां इसी नाम से पुकारा जाता है।

पहली बार आईं और छा गई

1999 में कै. सतीश शर्मा कांग्रेस प्रत्याशी बनकर आए और उनके सामने भाजपा की ओर से अरुण नेहरू थे। इस चुनाव के दौरान प्रियंका गांधी ने पांच जनसभाओं को संबोधित किया। रायबरेली सदर की सभा में प्रियंका का सख्त लहजा और कार्यकर्ताओं के बीच उनका अपनापन दिखा। वह पहली बार में चुनावी सभाओं में छा गईं। उनके बोले गए शब्द सुर्खियां बने और नतीजा चुनाव परिणाम का जब आया तो अरुण नेहरू तीसरे नंबर पर पहुंच गए थे।

रायबरेली की संगठन प्रभारी

प्रियंका गांधी कांग्रेस की मुख्य धारा में अबतक भले नहीं रहीं लेकिन रायबरेली का चप्पा-चप्पा उनको जानता-पहचानता है। यहां के संगठन प्रभारी का दायित्व भी उन्हीं के पास है। अपनी मां सोनिया गांधी के चुनाव के दौरान वह यहां डेरा डाल देती रहीं हैं। पगडंडियों के सहारे गांव-गलियों के वोटरों से मिलना हो या सभाओं में भाषण देने का काम भी प्रियंका ने बखूबी निभाया।

हमेशा ही पार्टी कार्यकर्ता कांग्रेस के आलाकमान से मांग करते रहे की प्रियंका को राजनीति में लाया जाए। यहां तक कि 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रियंका को बनारस से चुनाव लड़वाने का भी प्रस्ताव था, मगर विशेषज्ञों ने सलाह दी की पीएम मोदी के खिलाफ न खड़े हो जिस कारण उन्हें पीछे हटा लिया गया। लेकिन अब राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद प्रियंका गांधी को भी राजनीति में उतार दिया गया है। उनके पार्टी में अचानक दायित्व पाने से उन लोगों के हौसले बुलंद हो गए जो अब तक यह नारा लगाते थे कांग्रेस का डंका बेटी प्रियंका।

प्रियंका की ऑफीशियल एंट्री का यूपी में क्या असर होगा?

माना जाता रहा है कि प्रियंका कांग्रेस का सबसे बड़ा ट्रंप कार्ड हैं और उनके आने से कांग्रेस में नई जान पड़ जाएगी। वैसे अभी तक प्रियंका परदे के पीछे रह कर कांग्रेस के लिए रणनीति बनाती रही हैं। माना जाता है कि राहुल और सोनिया उनसे सलाह भी लेते हैं। यूपी में लोकसभा की 80 सीटें हैं और पूर्वी उत्तर प्रदेश को बेहद खास माना जाता रहा है। पीएम मोदी खुद वाराणसी से सांसद हैं और सीएम योगी का गढ़ गोरखपुर को माना जाता रहा है। ऐसे में अब प्रियंका गांधी के आने से मुकाबला बेहद रोचक हो जाएगा।

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This post was last modified on January 24, 2019 8:09 AM

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