दुनियाभर में आज 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जा रहा है। अपने हौसले से समाज के सामने मिसाल पेश करने वाली महिलाओं को लोग सलाम कर रहे हैं। आपको हम आपको देश की कुछ ऐसी महिला शक्तियों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने कुछ न कुछ असाधारण मुकाम हासिल किया।
सरहदों की जिम्मेदारी सिर्फ पुरुष ही नहीं, महिलाएं भी संभाल सकती हैं। महिलाओं के कंधे भी मजबूत हैं। इस बात को सच कर दिखाया है अर्चना रामासुंदरम ने अर्धसैनिक बल की पहली महिला प्रमुख बनकर। ऐसा पहली बार हो हुआ है, जब किसी महिला को सशस्त्र सीमा बल का नया प्रमुख नियुक्त किया गया हो। एनसीआरबी की डीजी अर्चना रामासुंदरम अब भारतीय अर्धसैनिक बल की पहली महिला प्रमुख बनीं। उन्हें नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के निदेशक पद से सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) का महानिदेशक बनाया गया है।
जुनून हो तो इंसान किसी भी हद से गुजर जाता है। पंजाब यूनिवर्सिटी की स्टूडेंट श्रुति गुप्ता ने अपने नृत्य के जरिए इसे साबित कर दिखाया है। लाहौल-स्पीति में सात मिनट तक लगातार कथक करके श्रुति ने अपना नाम लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज करा लिया है। लाहौल-स्पीति हिमाचल प्रदेश के सुदूर इलाकों में है। ये बारालाचा के पास 17198.16 फीट ऊंचाई पर है। इस प्रस्तुति के साथ श्रुति ने पुराने रिकॉर्ड को भी तोड़ दिया जो बिलासपुर में 7,217.84 फीट की ऊंचाई पर बनाया गया था। इस परफॉर्मेंस को ‘प्रकृति निर्वाण रूपम’ नाम दिया गया।
हौंसला और हिम्मत हो तो कुछ भी नामुमकिन नहीं, फिर चाहें विषम परिस्थितियां हों या जिंदगी के कड़े इम्तिहान। लड़कियों ने लगातार अपनी प्रतिभा का जलवा हर फील्ड में दिखाया है। यूपी के मथुरा की ताइक्वांडो चैंपियन नेहा की कहानी उन महिलाओं के लिए एक प्रेरणा है जो शादी के बाद यह मान लेती हैं कि उनका करियर ही खत्म हो गया है। नेहा ने न सिर्फ शादी के बाद पढाई की बल्कि अपनी मेहनत के दम पर नेशनल ताइक्वांडो प्रतियोगिया में गोल्ड मेडल भी हासिल किया।
खेलने-कूदने और मौज मस्ती की उम्र में एक बच्ची ने अपना बिजनेस चला कर पूरी दुनिया में अपनी पहचान बना ली है। 14 साल की मीरा मोदी न्यूयॉर्क में अपना बिजनेस चला रही है। नौवीं क्लास की स्टूडेंट मीरा ने एक वेबसाइट खोली है, जिसके जरिए वो लोगों को पासवर्ड्स बेचती है।
हिम्मत और लगन हो तो किस्मत भी घुटने टेक देती है। बहराइच की पुष्पा ने इस कथ्य को प्रमाणित किया है। हाथों से दिव्यांग पुष्पा सिंह लिखने में अक्षम हैं लेकिन उन्होंने इसे अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया और अपने पैरों से लिखती रहीं। पुष्पा स्कूल टीचर हैं। उनका सपना प्रशासनिक अधिकारी बनने का है। पुष्पा जब पीसीएस लोअर की परीक्षा देने पहुंचीं तो उनकी हिम्मत देखकर सभी भौंचक्के रह गए। प्रशासनिक अधिकारी बनकर पुष्पा समाज में बदलाव लाना चाहती हैं।
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