मज़िल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है,
पंखों से कुछ नहीं होता, होसलों से उड़ान होती है।
लिम्का बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में दर्ज है साची सोनी का नाम
किसी ने खूब कहा है कि सफलता किसी उम्र की मोहताज़ नहीं होती। छोटी सी उम्र में ऊंचें पहाड़ों पर फ़तह हासिल करने वाली साची सोनी आज की लड़कियों के लिए एक प्रेरणा हैं। साची सोनी अब तक दुनिया की 20 चोटियों पर फ़तह हासिल कर चुकीं हैं और ऑस्ट्रेलिया और यूरोप में सबसे कम उम्र में चोटियों पर चढ़ने वाली युवा महिला का मुकाम हासिल कर अपना नाम लिम्का बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में भी दर्ज़ करवा चुकीं हैं।
भारतीय तिरंगा चोटियों पर फहराना सबसे यादगार पल
साची सोनी राजस्थान से हैं और उन्हें सात साल की छोटी सी उम्र में पहाड़ों से प्यार हो गया। उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से पढ़ाई के साथ- साथ अपने पैशन को भी फॉलो किया। साची का मानना है कि जब आप एक बार कुछ ठान लेते हैं तो उसे हासिल करने के लिए अपनी जान लगा देते हैं। साची ने अपने छोटे से सफ़र में कई चुनौतियों का सामना भी किया। लेकिन भारतीय तिरंगा चोटियों पर फहराना उनके सबसे यादगार पलों में शामिल है।
पॉजिटिव कहानियों को लोगों के सामने रखने की जरूरत
साची मानती हैं की समाज में महिलाओं के प्रति नज़रिया बदल रहा है और आज जरूरत है बदलाव के सकारात्मक बातों को सामने लाने की, पॉजिटिव कहानियों को लोगों के समक्ष रखने की, जिससे वे प्रेरणा ले सकें और परिवर्तन के लिए आगे आएं। साची के अनुसार आपकी मेहनत और लगन ही आपके सबसे बड़े साथी होते हैं।
जो भी करें, पूरे मन से करें
साची को लगता है कि अभी महिलाओं की जिंदगी में बदलाव आने में समय लगेगा लेकिन वो यही कहती हैं कि आप जो भी करें, पूरे मन से करें, सफलता आपको जरूर मिलेगी। जब आप अपने मन की करते हैं तो आप सारी बाधाओं को पार कर जाते हैं और यही सफलता का मूल मंत्र भी है।
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