World Tribal Day 2020 : दुनियाभर में मौजूद देशज लोगों के सम्मान में विश्व आदिवासी दिवस या वर्ल्ड ट्राइबल डे (World Tribal Day) हर साल 9 अगस्त को मनाया जाता है। पृथ्वी की कुल आदम आबादी में लगभग 470 मिलियन या 47 करोड़ लोग देशज या ट्राइबल हैं। इन लोगों के अधिकारों को बढ़ावा देने के लिए विश्व आदिवासी दिवस या वर्ल्ड ट्राइबल डे (World Tribal Day) मनाया जाता है। आज वर्ल्ड ट्राइबल डे पर हम आपको छत्तीसगढ़ के आदिवासी समाज से ताल्लुक रखने वाली एक बेटी की कहानी बताने जा रहे हैं।
छत्तीसगढ़ के पहाड़ी कोरवा समुदाय से आने वाली राजकुमारी प्रदेश की संरक्षित आदिवासी समाज से पहली लिपिक बनने जा रही है। राजकुमारी ने कक्षा 12वीं के बाद कंप्यूटर एप्लीकेशन में डिप्लोमा की डिग्री हासिल की है और अपनी योग्यता की बदौलत विशेष पिछड़ी जनजाति के लिए कलेक्टोरेट से जारी पद के लिए चयनित हुई है। राजकुमारी की पढ़ने-लिखने की ललक और कुछ कर दिखाने की हसरत से वह आज छत्तीसगढ़ शासकीय सेवा में चयनित हो सकी और उसकी यह उपलब्धि कोरवा समुदाय को समाज और विकास की मुख्यधारा में लाने के लिए ‘मील का पत्थर’ साबित हो सकती है। इसके अलावा उसकी कामयाबी प्रदेश की अन्य संरक्षित जनजातियों की भी पढ़-लिखकर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेगी।
दैनिक जागरण में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, छत्तीसगढ़ शासन, राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग रायपुर के आदेश पर जिला मुख्यालय में 23 नवंबर 2019 को विशेष पिछड़ी जनजाति के अभ्यर्थियों के लिए सहायक ग्रेड-तीन के तीन पद की भर्ती निकाली थी। इस वैकेंसी के लिए 12वीं पास होने के साथ कंप्यूटर की डिग्री होनी अनिवार्य था। पहाड़ी कोरवा युवती राजकुमारी सिंह ने इस पद के लिए अपनी योग्यता साबित करते हुए वो कमाल कर दिखाया है, जो उससे पहले राज्य में किसी और संरक्षित जनजाति ने नहीं किया था।
रिपोर्ट के मुताबिक, गढ़उपरोड़ा पंचायत के कदझेरिया गांव की राजकुमारी ने 12वीं पास होने के साथ कंप्यूटर एप्लीकेशन में डिप्लोमा प्राप्त कर यह पात्रता हासिल की और जल्द ही वह शासकीय सेवा में लिपिक पद पर चुनी जाने वाली प्रदेश की पहली व एकमात्र पहाड़ी कोरवा बेटी होगी। राजकुमारी के पिता नहीं हैं, जबकि पांच बहनों में सिर्फ वही आठवीं कक्षा से आगे पढ़ सकी।
कार्यालय परियोजना प्रशासक के लिपिक राकेश पैकरा ने बताया कि एक बार वे एलईडी बल्ब का वितरण करने के लिए कदझेरिया पहुंचे थे। गांव में राजकुमारी भी अपने घर के लिए बल्ब लेने पहुंची। उन्होंने बताया कि गांव के बाकी सभी लोग बल्ब पाने पर अंगूठा लगा रहे थे, मगर इस पहाड़ी कोरवा लड़की ने अंग्रेजी में दस्तख़त किए। उससे पूछा तो बताया कि 12वीं पास है, आगे भी पढ़ना चाहती है। पैकरा ने ही उसे लिपिक पद के लिए आवेदन भराया। कंप्यूटर योग्यता के अभाव में चयन नहीं हुआ। तब उसे आर्थिक मदद मुहैया करा कर डीसीए का कोर्स कराया गया। इसके बाद राजकुमारी ने फिर से आवेदन दिया और उसे नौकरी मिल गई।
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