Eid-al-Fitr 2020: रमजान (Ramadan) का मुक़द्दस माह संपूर्णता की ओर बढ़ रहा है। रमजान के बाद ही ईद-उल-फितर का त्योहार आता है, जो इस्लाम धर्म का एक पावन पर्व है। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, रमजान के बाद 10वें शव्वाल की पहली तारीख को ईद-उल-फितर का त्योहार मनाया जाता है। ईद 2020 (Eid 2020) कब मनायी जाएगी यह चांद के दीदार से मुकर्रर होगा। ईद मूल रूप से भाईचारे को बढ़ावा देने वाला त्योहार है। इस त्योहार को सभी आपस में मिल के मनाते है और खुदा से सुख-शांति और बरक्कत के लिए दुआएं मांगते हैं। पूरे विश्व में ईद की खुशी पूरे हर्षोल्लास से मनाई जाती है।
इस्लाम के नौंवे महीने रमजान के बाद 10वें शव्वाल की पहली तारीख को चांद देखने के बाद ईद मनाई जाती है। साल में दो बार ईद का पर्व मनाया जाता है, पहली ईद को ‘मीठी ईद’, एवं दूसरी को ‘ईद उल जुहा’ यानी ‘बकरीद’ कहते हैं। इस्लाम के अनुसार, पैगंबर मोहम्मद साहब द्वारा ‘जंग ए बदर’ में जीत दर्ज करने के बाद से ही ईद मनाने की शुरुआत हुई।
संभावना जताई जा रही हैं कि इस साल चांद के दीदार के बाद ईद उल फितर (Eid 2020) 23 या 24 मई को मनाई जा सकती है। इस दिन लोग नमाज अदा कर रोजे का समापन करते हैं। इस दिन का विशेष महत्व है। हालांकि इस बार कोरोना वायरस के प्रकोप (Coronavirus Outbreak) के चलते सोशल डिस्टेंसिंग (Social Distancing) और लॉकडाउन (Lockdown) जैसे प्रतिबंधों ने रमजान के रोजे से लेकर ईद की खुशियों में ख़लल डाला है। लेकिन दुनिया भर में कोविड-19 (COVID-19) के प्रकोप को देखते हुए पर्व पर लगे प्रतिबंधों को स्वीकारना मजबूरी भी है और जरूरी भी।
ईद से पूर्व रमजान के पूरे मास मुस्लिम समुदाय निर्जल और निराहार रहकर रोजा (उपवास) रखते हैं। इस माह दान-पुण्य की भी परंपरा होती है। इस्लाम में दान को ‘जकात’ (फितरा) कहते हैं, जो मुख्यतः गरीबों को दिया जाता है।
रमजान में रोजा-नमाज और कुरआन की तिलावत (कुरआन पढ़ने) के साथ जकात और फितरा (दान) देने का भी काफी महत्व है। इस्लाम में रमजान के पाक माह में हर हैसियतमंद मुसलमान को जकात देना जरूरी बताया गया है। पूरे साल की आमदनी से जो बचत होती है, उसका 2.5 फीसदी हिस्सा किसी गरीब या जरूरतमंद को दिया जाता है, जिसे ‘जकात’ कहते हैं। मतलब अगर किसी मुसलमान के पास तमाम खर्च करने के बाद सालभर में 100 रुपये बचते हैं तो उसमें से 2.5 रुपये किसी गरीब को देना जरूरी होता है।
ईद-उल-फितर को मीठी ईद के नाम से भी जाना जाता है। इसमें मीठे पकवान (खासतौर पर सेंवईं) बनते हैं। लोग आपस में गले मिलकर अपने गिले-शिकवों को दूर करते हैं। घर आए मेहमानों की विदाई कुछ उपहार देकर की जाती है। इस्लामिक धर्म का यह त्योहार भाईचारे का संदेश देता है। ईद उल फितर के दिन लोग सुबह नए कपड़े पहनकर नमाज अदा करते हुए अमन और चैन की दुआ मांगते हैं।
इस्लाम के पवित्र मास रमजान (Ramzan) के पूरा होने के बाद ईद का त्योहार (Festival of Eid) बड़ी धूमधाम से मनाने की परंपरा सैकड़ों साल पुरानी है। हालांकि, इस साल कोरोना वायरस के लॉकडाउन होने के कारण, घरों में ही ईद की नमाज अदा करनी होगी, ईद की बधाइयां फोन और सोशल नेटवर्क पर ही देना होगा।
This post was last modified on May 20, 2020 5:14 PM
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