अमरकथा शिल्पी फणीश्वरनाथ रेणु की माटी अररिया लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र एक बार फिर से नया सांसद चुनने के लिए तैयार है। 2014 के लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रत्याशी तस्लीमुद्दीन ने बीजेपी उम्मीदवार प्रदीप कुमार सिंह को पराजित किया था।तस्लीमुद्दीन के निधन के बाद हुए उपचुनाव में प्रदीप कुमार सिंह उनके बेटे सरफराज आलम से भी चुनाव हारे। यूं तो इस बार 12 लड़ाके चुनावी मैदान में हैं, लेकिन असल मुकाबला इन्हीं दो उम्मीदवारों के बीच देखने को मिल रहा है।
अररिया लोकसभा क्षेत्र में तीसरे चरण में 23 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे।
1967 से लोकसभा चुनाव देख रहा अररिया 1990 में जिला बना। कांग्रेस, जनता पार्टी, जनता दल, भाजपा और राजद सबने इसपर राज किया। लेकिन रेणु की ‘परती परिकथा’ उपन्यास की परिकल्पना के अनुरूप इसका विकास नहीं हो पाया। बिहार में जूट उद्योग के क्षेत्र में कभी लोहा मनवा चुका और अब मक्का उत्पादन में अग्रणी यह क्षेत्र आज देश के सबसे पिछड़े जिलों में शुमार है।
1967 से 1977 तक दो बार कांग्रेस के तुलमोहन राम यहां से सांसद रहे। 1977 में जनता पार्टी के महेंद्र नारायण सरदार जीते। 1980 से 1989 तक दो बार हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के डुमरलाल बैठा ने जीत दर्ज की। इसके बाद नौवें, 10वें और 11वें चुनाव में जनता दल के सुखदेव पासवान ने हैट्रिक जीत दर्ज की। 1998 में भाजपा के रामजी दास ऋषिदेव ने सुखदेव पासवान को हरा दिया। 1999 में सुखदेव राजद के टिकट पर और 2004 में भाजपा के टिकट पर पुन: जीते।
नया परिसीमन लागू होने के बाद 2009 के चुनाव में यह सीट आरक्षित से सामान्य हो गई। इसके बाद यहां की राजनीति बदल गई। चुनावी मैदान में मोहम्मद तस्लीमुद्दीन आए लेकिन भाजपा जदयू की जोड़ी से वह पराजित हो गए। परिसीमन के बाद पहली जीत भाजपा को मिली। 2014 में भाजपा एवं जदयू के अलग होने का लाभ मो. तस्लीमुद्दीन को मिला और वे चुनाव जीत गए।
अररिया संसदीय क्षेत्र में 6 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं- नरपतगंज, रानीगंज, फारबिसगंज, अररिया, जोकिहाट और सिकटी। इसमें 4 सीटों पर एनडीए, एक सीट राजद और एक पर कांग्रेस का कब्जा है। अररिया में वोटरों की कुल संख्या 1,311,225 है। इसमें 621,510 महिला और 689,715 पुरुष मतदाता हैं। अररिया लोकसभा सीट पर वर्ष 1989 से ही माय समीकरण का दबदबा रहा है। इस लोकसभा में लगभग 54 प्रतिशत हिंदू आबादी है, तो 46 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है। हिंदू मतदाताओं में लगभग पांच से छह प्रतिशत यादव मतदाता हैं।
2014 के चुनाव में माय समीकरण सफल हुआ और राष्ट्रीय जनता दल के तस्लीमुद्दीन आसानी से चुनाव जीत गये थे। तस्लीमुद्दीन को अगड़ी जाति का भी अच्छा खास समर्थन मिला था। तस्लीनउद्दीन ने 4 लाख 07 हजार 978 वोट हासिल किये थे और 1 लाख 46 हजार 504 वोटों के भारी अंतर से जीत दर्ज की थी। अररिया लोकसभा सीट पर दूसरे स्थान पर भारतीय जनता पार्टी के प्रदीप कुमार सिंह रहे थे जिन्होंने 2 लाख 61 हजार 474 वोट हासिल किये थे। जनता दल (यूनाइटेड) के विजय कुमार मंडल 2 लाख 21 हजार 769 वोट पाकर तीसरे तो बहुजन समाज पार्टी के अब्दुल रहमान 17 हजार 724 वोट पाकर चौथें स्थान पर रहे थे।
मो तस्लीमुददीन के निधन के बाद खाली हुए अररिया सीट पर हुए उपचुनाव में उनके पुत्र सरफराज आलम राजद के टिकट पर सांसद निर्वाचित हुए। उन्होंने बीजेपी के प्रदीप कुमार सिंह को करीब 62 हजार मतों से मात दी। इस बार लोकसभा चुनाव में जंग मुख्यत: ‘लालटेन और ‘कमल के बीच है।
निवर्तमान सांसद: सरफराज आलम
मो. तस्लीमुद्दीन, राजद- 4,07,978
प्रदीप कुमार सिंह, भाजपा- 2,61,474
विजय मंडल, जदयू- 2,21,769
सरफराज आलम, राजद – 5,09,334
प्रदीप कुमार सिंह, भाजपा – 4,47,546
अधिसूचना जारी | 28 मार्च |
नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि | 4 अप्रैल |
नामांकन पत्र की जांच | 5 अप्रैल |
नामांकन वापसी की अंतिम तिथि | 8 अप्रैल |
मतदान की तारीख | 23 अप्रैल |
मतगणना की तारीख | 23 मई |
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