बिहार का महत्वपूर्ण लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र मधेपुरा एक बार फिर से नया सांसद चुनने के लिए तैयार है। 2014 के लोकसभा चुनाव में राजद के प्रत्याशी रहे राजेश रंजन ऊर्फ पप्पू यादव जदयू के प्रत्याशी रहे शरद यादव को हराकर सांसद बने थे। बदले वक्त में बदलाव यह हुआ है कि सांसद पप्पू यादव ने अपना झंडा- बैनर अलग कर जन अधिकारी पार्टी और शरद यादव ने जनता दल (यू) से अलग होकर लोकतांत्रिक जनता दल बना लिया। जदयू अब एनडीए का हिस्सा हो गया है। वहीं लोजद महागठबंधन का। इस बार पप्पू यादव और शरद यादव के बीच फिर से सियासी जंग देखने को मिल रहा है। एनडीए से जदयू के टिकट पर दिनेशचंद्र यादव भी मैदान में हैं।
मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र में तीसरे चरण में 23 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे।
प्राचीन काल में मधेपुरा मिथिला राज्य का हिस्सा था। बाद में मौर्य वंश का भी यहां शासन रहा। यहां कुषाण वंश और मुगलों ने भी राज किया। यह क्षेत्र धार्मिक एवं ऐतिहासिक दृष्टि से समृद्ध है। चंडी स्थान, सिंघेश्वर स्थान, श्रीनगर, रामनगर, बसन्तपुर, बिराटपुर और बाबा करु खिरहर आदि यहां के प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं। मधेपुरा जिला उत्तर में अररिया और सुपौल, दक्षिण में खगड़िया और भागलपुर जिला, पूर्व में पूर्णिया तथा पश्चिम में सहरसा जिले से घिरा हुआ है।
मधेपुरा लालू यादव का मजबूत गढ़ माना जाता है। आरजेडी चीफ लालू यादव दो बार मधेपुरा सीट से लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं। 1967 में मधेपुरा लोकसभा सीट का गठन किया गया। इसके पूर्व मधेपुरा भागलपुर लोकसभा क्षेत्र में आता था। मधेपुरा लोकसभा सीट से बीपी मंडल पहली बार सांसद निर्वाचित हुए। बीपी मंडल मधेपुरा से तीन बार सांसद बने जिसमें एक बार 1968 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में भी उन्हें जीत मिली। जो द्वितीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष भी रहे जिसे मंडल आयोग के नाम से जाना जाता है और जिनकी रिपोर्ट के आधार पर ओबीसी वर्ग को देश में आरक्षण मिला।
1970 और 80 के दशक में मधेपुरा सीट पर कांग्रेस का सितारा बुलंद रहा। साल 1971 में कांग्रेस के टिकट पर आरपी यादव को जीत मिली। 1980 में आरपी यादव कांग्रेस यू के टिकट पर विजयी हुए। 1984 में भी कांग्रेस प्रत्याशी महावीर यादव को जीत मिली। इसके बाद से कांग्रेस की जमीन खिसकती ही चली गयी।शरद यादव दो बार जनता दल और दो बार जदयू से कुल चार बार मधेपुरा से सांसद बने। इस सीट पर बीपी मंडल और शरद यादव को लगातार दो बार सांसद बनने का अवसर मिला। वर्तमान सांसद पप्पू यादव इस बार भी अपना भाग्य आजमा रहे हैं।
2008 के परिसीमन के बाद मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र में विधानसभा की 6 सीटें आती हैं- आलमनगर, बिहारीगंज, मधेपुरा, सोनबरसा, सहरसा और महिषी। 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में इन 6 सीटों में से 3 पर जेडीयू और 3 पर आरजेडी की जीत हुई थी। मधेपुरा संसदीय क्षेत्र में वोटरों की कुल संख्या 1,508,361 है। इसमें पुरुष मतदाता 790,185 है जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 718,176 है। मधेपुरा में एक कहावत चर्चित है- ‘रोम पोप का, मधेपुरा गोप का।’ यहां से जीतने वाला यादवों का स्वाभाविक नेता माना जाता है। ऐसे में सूबे के कई बड़े नेताओं की व्यक्तिगत साख भी दांव पर है।
16वीं लोकसभा के लिए 2014 में हुए चुनाव में मधेपुरा सीट से पप्पू यादव उर्फ राजेश रंजन ने आरजेडी के टिकट पर चुनाव लड़ा। हालांकि, बाद में पप्पू यादव आरजेडी से अलग हो गए और उन्होंने अपनी अलग पार्टी बना ली। पप्पू यादव को 3,68,937 वोट मिले। तब जेडीयू के टिकट पर शरद यादव उनके सामने थे। शरद यादव को 3,12,728 वोट मिले। बीजेपी के विजय कुमार सिंह 2,52,534 वोटों के साथ तीसरे नंबर पर रहे थे। इससे पहले 2009 के चुनाव में यहां से जेडीयू के टिकट पर शरद यादव जीते थे।
निवर्तमान सांसद: राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव
पप्पू यादव, राजद – 3,68,937
शरद यादव, जदयू – 3,12,728
विजय कुमार सिंह, बीजेपी – 2,52,534
अधिसूचना जारी | 28 मार्च |
नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि | 4 अप्रैल |
नामांकन पत्र की जांच | 5 अप्रैल |
नामांकन वापसी की अंतिम तिथि | 8 अप्रैल |
मतदान की तारीख | 23 अप्रैल |
मतगणना की तारीख | 23 मई |
लोकसभा चुनाव 2019: तीसरे चरण में 23 अप्रैल को इन सीटों पर होगी वोटिंग, देखें राज्यवार सूची
बिहार: लोकसभा चुनाव में किस जिले में किस दिन होगा मतदान
This post was last modified on April 22, 2019 5:08 AM
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