Jitiya Vrat 2019: जानिए जितिया व्रत की तिथि, नहाय खाय, निर्जला उपवास, पारण और पूजा विधि

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Jitiya Vrat/Jivit Putrika Vrat 2019 Date: संतान की लंबी उम्र की कामना के लिए महिलाएं जितिया व्रत रखती हैं। इस व्रत को कहीं-कहीं जिउतिया या जीवित्पुत्रिका व्रत के नाम से भी जाना जाता है। ये व्रत सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। हिंदू धर्म में जितिया व्रत (Jitiya Vrat) का काफी महत्व है। मान्यता के अनुसार इस व्रत को करने वाली महिलाओं को कभी भी जीवन में संतान का वियोग नहीं होता है। हम आपको बता रहे हैं जितिया व्रत पूजन विधि, जिसमें नहाय खाय, निर्जला व्रत और पारण शामिल हैं।

जितिया व्रत (Jitiya Vrat ) कब मनाया जाता है

अश्विन मास के कृष्णपक्ष की सप्तमी तिथि से शुरू होकर जितिया व्रत नवमी तक मनाया जाता है। यह व्रत तीन दिनों तक मनाया जाता है। जिसमें पहले दिन यानी कि सप्तमी के दिन नहाय खाय, दूसरे दिन यानी अष्टमी को निर्जला व्रत किया जाता है और अंतिम दिन यानी नवमी के दिन माताएं जितिया व्रत का पारण करती हैं। ऐसा कहा जाता है कि उपवास के दिन जो महिला जितिया व्रत कथा को सुनती है, उसे जीवन में कभी संतान वियोग नहीं होता है। संतान के सुखी और आरोग्य जीवन के लिए यह व्रत रखा जाता है।

Jitiya Vrat 2019 Dates: जितिया व्रत करने की तारीख

इस बार नहाय खाय, निर्जला व्रत और पारण की तारीख इस प्रकार है:

नहाय खाय की तारीख- 21 सितंबर
निर्जला व्रत की तारीख- 22 सितंबर
जितिया व्रत पारण की तारीख– 23 सितंबर

जितिया नहाय खाय की विधि

जितिया व्रत की शुरुआत छठ की तरह ही नहाय-खाय से होती है। इस दिन माताएं सुबह उठकर गंगा-यमुना या किसी पवित्र नदी में स्नान करती हैं और पूजा करती हैं। पूजा के दौरान महिलाए व्रत का संकल्प लेती हैं। नहाय खाय के दिन महिलाएं सिर्फ एक बार ही भोजन करती हैं। जितिया व्रत के पहले दिन की रात को घर की छत पर चारों दिशाओं में कुछ खाना भी रखा जाता है।

जितिया निर्जला व्रत की विधि

जीवित्पुत्रिका व्रत या जितिया व्रत के दूसरे दिन निर्जला व्रत रखा जाता है। इस दिन महिलाएं बिना जल के रहती हैं और अगले दिन यानी कि पारण होने तक कुछ नहीं खाती हैं। निर्जला व्रत में अन्न-जल कुछ भी ग्रहण नहीं किया जाता है।

जितिया व्रत पारण (Jitiya Vrat Paaran) विधि

जितिया व्रत के तीसरे यानी आखिरी दिन पारण किया जाता है। यूपी बिहार, झारखंड समेत अन्य राज्यों में पारण अलग-अलग विधि से किया जाता है। व्रत का पारण प्रात: काल किया जाता है। पारण के बाद आप किसी भी तरह का भोजन ग्रहण कर सकते हैं।


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This post was last modified on September 21, 2019 10:45 AM

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