कार्तिक का महीना काफी महत्वपूर्ण है और इसकी शुरुआत शरद पूर्णिमा के अगले दिन से होती है। कार्तिक हिंदू पंचांग के हिसाब से आठवां महीना है। चातुर्मास में आने वाले 4 महीनों में ये चौथा और अंतिम महीना है। इस बार इसकी शुरुआत रेवती नक्षत्र और हर्षण योग के साथ हो रही है। इस महीने में कई बड़े त्योहार पड़ने जा रहे हैं।
इस माह तुलसी का पौधा लगाना और विवाह बहुत ही सर्वोत्तम माना जाता है। कहा जाता है कि कार्तिक मास में मां लक्ष्मी प्रथ्वी पर भ्रमण करती है। मान्यताओं के अनुसार इस महीने में तामसिक भोजन से दूर रहना चाहिए। पर्वों और दान-पुण्य का सबसे बड़ा महीना कार्तिक इस बार 14 अक्टूबर (सोमवार) से शुरू हो रहा है और 12 नवंबर (मंगलवार) को समाप्त होगा।
इस मास में विधि विधान से काम करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। इन दिनों में कुछ ऐसे काम है जो नही करने चाहिए। जानिए ऐसे कामों के बारें में जो इस मास कौन से काम न करने चाहिए।
माना जाता है कि कार्तिक मास में तेल लगाना वर्जित है। आप सिर्फ कार्तिक मास में केवल एक बार नरक चतुर्दशी यानि कि कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी के दिन ही शरीर पर तेल लगाना चाहिए।
कार्तिक मास में कोई भी दाल जैसे कि उड़द, मूंग, मसूर, चना, मटर, राई आदि नहीं खाना चाहिए। इस माह में हल्का आहार करना चाहिए। साथ ही गरिष्ठ भोजन से परहेज करना चाहिए।
ब्रह्मचर्य का मतलब है कि किसी भी आचरण में न पड़ना चाहिए, केवल भगवान की भक्ति करना है। कार्तिक मास में ब्रह्मचर्य का पालन करना बहुत महत्वपूर्ण है। अगर आप इसका पालन नही करते है, तो पति-पत्नी को दोष लगता है। साथ ही अशुभ फल मिलता है।
इस मास में खुद में संयम होना चाहिए। अगर आप व्रत रखते है तो आपको एक तपस्वी की तरह व्यवहार रखना चाहिए यानि कि काम की बातें करनी चाहिए हो सकें तो कम ही बोलना चाहिए। किसी की बुराई या लडाई नही करना चाहिएं। अपने चंचल मन में संयम रखना चाहिए।
हिंदू धर्म के इस पवित्र महीने में मंदिरों में धार्मिक अनुष्ठान होंगे। 17 अक्टूबर, शनिवार से प्रमुख पर्वों की शुरुआत करवा चौथ के साथ हो रही है। सुहागिन महिलाओं के लिए यह सबसे बड़ा पर्व है। इसके बाद छठ, स्कंद षष्ठी, रमा एकादशी, गोवत्स द्वादशी व्रत के साथ सौंदर्य का पर्व रूप चौदस, सुहाग पड़वा, अक्षय नवमी जैसे पर्व भी महिलाओं से जुड़े हैं।
17 अक्टूबर – करवा चौथ
21 अक्टूबर – अहोई अष्टमी
24 अक्टूबर – रमा एकादशी व्रत
25 अक्टूबर – गोवत्स द्वादशी
25 अक्टूबर – धनतेरस
26 अक्टूबर – रूप चौदस
27 अक्टूबर – दीपावली
28 अक्टूबर – गोवर्धन पूजा, अन्नकूट
29 अक्टूबर – भाई दूज
2 नवंबर – सूर्य षष्ठी (छठ)
4 नवंबर – गोपाष्टमी
5 नवंबर – आंवला नवमी/अक्षय नवमी
8 नवंबर – देवउठनी ग्यारस/प्रबोधिनी एकादशी
11 नवंबर – वैकुंठ चतुर्दशी
12 नवंबर – कार्तिक पूर्णिमा
This post was last modified on October 13, 2019 8:47 AM
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