कवि प्रदीप के लिखे देशभक्ति के गाने आज भी हर हिंदुस्तानी की रग-रग में देशभक्ति का जज़्बा पैदा कर देते हैं। 1962 के भारत-चीन युद्ध में भारत की हार से लोगों का मनोबल गिर गया था, ऐसे में सरकार की तरफ़ से फ़िल्म जगत के लोगों से ये अपील की गई कि- भई अब आप लोग ही कुछ करिए। कुछ ऐसी रचना करिए कि पूरे देश में एक बार फिर से जोश आ जाए और चीन से मिली हार के ग़म पर मरहम लगाया जा सके। इन्हीं हताश और निराश परिस्थितियों में कवि प्रदीप की लेखनी से ‘ऐ मेरे वतन के लोगों…’ गीत फूटा, जिसे स्वर कोकिला लता जी की ने अपनी आवाज दी और जिसे सुनकर भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की भी आंखें नम हो गईं थीं।
कवि प्रदीप अपने गीतों के जरिए सच के पक्ष में तन के खड़े होते हैं, उनकी रचनाओं में एक समतामूलक समाज की अपील है, एक ऐसा समाज जहां किसी भी तरह की जातिगत हिंसा न हो, सांप्रदायिक तनाव न हो, सभी मिलजुलकर रहें और सभी सुखी रहें। 6 फरवरी 1915 में मध्य प्रदेश के ‘उज्जैन’ के ‘बड़नगर’ में जन्म लेने वाले कवि प्रदीप का असली नाम ‘रामचंद्र नारायणजी द्विवेदी’ था। 11 दिसम्बर 1998 को 83 वर्ष के उम्र में इस महान कवि का मुम्बई में देहांत हो गया। उनके लिखे कालजयी गीतों और कविताओं का आकर्षण उस जमाने में भी था और आज भी है, और हमेशा बरकरार रहेगा।
अहिंसा के पुजारी ख़ान अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान, जिन्हें लोग कहते थे दूसरा गांधी
This post was last modified on February 6, 2020 11:19 AM
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