लॉकडाउन: ऑटिज्म से पीड़ित बच्चे की मदद के लिए आगे आया रेलवे, 1900 किलोमीटर दूर पहुंचाया ऊंटनी का दूध

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कोरोना वायरस महामारी के बीच जारी लॉकडाउन में जब सब कुछ बंद है तो रेलवे ने एक ऐसा काम किया है जिससे उसे वाहवाही मिल रही है। रेलवे ने ओडिशा के ब्रह्मपुर में ऑटिज्म और फूड एलर्जी से पीड़ित साढ़े तीन साल के एक बच्चे के लिए राजस्थान के फालना से ऊंटनी का दूध ओडिशा पहुंचाया। भुवनेश्वर स्टेशन पर दूध लेने पहुंचे बच्चे के चाचा ने रेलवे के इस मानवीय पहल पर आभार जताते हुए कहा कि मेरे भतीजे को ऊंटनी के दूध की बहुत जरूरत थी, ऐसे में रेलवे ने करीब 1900 किलोमीटर दूर से दूध की व्यवस्था करके बच्चे को नया जीवन दिया है।

रेलवे के एक अधिकारी ने शुक्रवार को बताया कि दूध दो दिनों में दिल्ली और हावड़ा के रास्ते पार्सल एक्सप्रेस से पहुंचाया गया। गुरुवार की शाम भुवनेश्वर रेलवे स्टेशन पर पीड़ित बच्चे के परिवार को दूध दे दिया गया। उन्होंने कहा कि लगभग 20 किलो दूध के पैकेज के परिवहन की कुल लागत मात्र 125 रुपये थी। उन्होंने कहा कि आईआरटीएस (भारतीय रेलवे यातायात सेवा) के परिवीक्षाधिकारियों की ओर से शुरू की गई पहल ‘सेतु’ ने इसकी पूरी व्यवस्था की थी। भुवनेश्वर स्टेशन पर दूध प्राप्त करने के लिए आए बच्चे के चाचा चंदन कुमार आचार्य ने कहा कि पहल के माध्यम से समय पर ऊंटनी के दूध की डिलीवरी होने से लड़के को बहुत मदद मिली है। दूध को ठंडे कंटेनर में ले जाया गया था।

‘सेतु’ पहल से मिली मदद

उन्होंने कहा कि हम रेलवे अधिकारियों की ‘सेतु’ पहल के माध्यम से की गई मदद के लिए बहुत आभारी हैं। ऊंटनी का दूध मेरे भतीजे के लिए बहुत आवश्यक होता है क्योंकि वह एक खास बीमारी से पीड़ित है। रेलवे की इस पहल का उद्देश्य कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए लागू किए गए लॉकडाउन के दौरान देश भर में आवश्यक सामान की लगातार सप्लाई सुनिश्चित करना है।

महाराष्ट्र की महिला को भी मिली थी मदद

इससे पहले रेलवे ने महाराष्ट्र की एक महिला की मदद की थी। महिला ने प्रधानमंत्री को टैग करते हुए एक ट्वीट किया। जिसमें उन्होंने लिखा, ‘सर मेरा साढ़े तीन साल का बेटा ऑटिज्म और गंभीर फूड एलर्जी से पीड़ित है। वह केवल ऊंटनी के दूध और सीमित मात्रा में दालों पर जीवित रहता है। जब लॉकडाउन शुरू हुआ तो मेरे पास लंबे समय तक रखने के लिए पर्याप्त ऊंटनी का दूध नहीं था। राजस्थान के सादरी से ऊंटनी का दूध या उसका पाउडर लाने में मेरी मदद करें।

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इसके बाद मुंबई से करीब 1700 किलो मीटर दूर एक आईपीएस अधिकारी ने उसकी गुहार सुनी और उनकी कोशिशों से समय रहते उस मां तक उसके बच्चे के लिए पर्याप्त मात्रा में कई महीनों के लिए ऊंट के दूध और उसके पाउडर का स्टॉक पहुंच गया। इस काम में भारतीय रेलवे ने भी सराहनीय काम किया था।

बता दें कि ऑटिज्‍म एक किस्‍म का न्‍यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर होता है। इसके लक्षण जन्म से या बहुत कम उम्र से दिखाई देने लगते हैं। इनसे ग्रस्‍त बच्‍चों का मानसिक विकास दूसरे बच्चों से बहुत धीमा होता है। उनका बर्ताव भी बाकी बच्चों से काफी अलग होता है।


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