न्यूजीलैंड के क्राइस्टचर्च में हथियारबंद हमलावरों द्वारा किए गए हमले और पुलिस द्वारा हमलावरों को गिरफ्तार किए जाने के बाद हमले की तस्वीरें साफ हो रही हैं। न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री ने इसे देश के इतिहास का सबसे काला दिन कहा है। न्यूजीलैंड के क्राइस्टचर्च में हथियारबंद हमलावरों ने शुक्रवार को अंधाधुंध गोलीबारी की और 49 से ज्यादा लोगों को मौत के घाट उतार दिया। न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा अर्डर्न ने इस घटना को आतंकवादी घटना करार देते हुए देश के इतिहास का सबसे काला दिन बताया है।
द न्यूजीलैंड हेराल्ड के मुताबिक, फायरिंग क्राइस्टचर्च के अल नूर मस्जिद और लिनवुड मस्जिद में हुई। 49 लोगों को मौत के घाट उतारने वाले मुख्य बंदूकधारी की पहचान ब्रेंटन टैरेंट के तौर पर हुई है, जो दक्षिणपंथी ‘आतंकवादी’ है। उसके पास ऑस्ट्रेलिया की नागरिकता भी है। इस घटना के बाद ब्रैंटन समेत चार लोगों को पुलिस कस्टडी में ले लिया गया है। इनमें से एक महिला भी है।
अंग्रेजी अखबार ‘दि सन’ के मुताबिक हमलावर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को अपना हीरो मानता है। उसने अपने मैनिफेस्टो ‘दि ग्रेट रिप्लेसमेंट’ में इस हमले को अंजाम देने की वजह भी लिखा है। उसने लिखा है कि, ‘आक्रमणकारियों को दिखाना हैं कि हमारी भूमि कभी भी उनकी भूमि नहीं होगी। हमारे घर हमारे अपने हैं और जब तक एक श्वेत व्यक्ति रहेगा, तब तक वे कभी जीत नहीं पाएंगे। ये हमारी भूमि और वे कभी भी हमारे लोगों की जगह नहीं ले पाएंगे। परिभाषा के हिसाब से यह एक आतंकवादी हमला है। लेकिन मेरा मानना है कि यह कब्जे वाली ताकत के खिलाफ एक कार्रवाई है।’
इन हमलावरों ने मस्जिद में लोगों को गोली मारते हुए एक वीडियो भी बनाया है। 17 मिनट के इस वीडियो में वह अपनी गाड़ी से निकलता है। लोगों पर गोलियां बरसाकर फरार हो जाता है। टैरेंट की उम्र 28 साल बताई जा रही है। उसने मस्जिद में लोगों पर गोलियां बरसाने से पहले 37 पेज का एक मेनिफेस्टो भी लिखा है, जिसमें उसके खूनी अंजाम का पूरा जिक्र है। इस मेनिफेस्टो का शीर्षक ‘द ग्रेट रिप्लेसमेंट’ है और इसे मैसेज बोर्ड की वेबसाइट पर पोस्ट किया गया है।
मेनिफेस्टो में ब्रेंटन ने खुद को सामान्य श्वेत इंसान बताया है, जो ऑस्ट्रेलिया में एक वर्किंग क्लास, कम आय वाले परिवार में पैदा हुआ। उसने इस दहला देने वाले खूनी कारनामे को अंजाम क्यों दिया? इस पर उसने कहा कि वह विदेशी आक्रमणकारियों के कारण मारे गए हजारों लोगों की मौत का बदला लेना चाहता है। ब्रैंटन ने इस हमले की योजना करीब दो साल पहले बनाई थी और कहां हमला करना है, यह तीन महीने पहले तय किया था। 37 पेज के दस्तावेज में उसने लिखा, ”मैं इको-फासीवादी बनने से पहले एक कम्युनिस्ट, फिर अराजकतावादी और अंत में एक उदारवादी था।”
हमलावर ब्रेंटन टैरेंट ने अपने मैनिफेस्टो में तुर्की को नाटों देशों में शामिल किए जाने पर भी आपत्ति जताई है। उसका मानना है कि तुर्की विदेश है और वो यूरोप का दुश्मन है। हमलावर को फ्रांस के उदारवादी राष्ट्रपति भी पसंद नहीं हैं। वो उन्हें अंतरराष्ट्रीयतावादी, वैश्विक और श्वेत विरोधी बताता है। उसने लिखा है कि यूरोपीय देशों पर हुए आतंकी हमले ने उसे बहुत प्रभावित किया है और उसके बाद उसने तय किया है कि लोकतांत्रिक, राजनीतिक हल के बजाए वो हिंसक क्रांतिकारी रास्ता अपनाना ही सही है।
आमतौर पर न्यूजीलैंड को एक शांत देश माना जाता है, और अपनी खास भौगोलिक स्थिति के कारण भी न्यूजीलैंड काफी सुरक्षित माना जाता है। चारों तरफ से समुद्र से घिरे न्यूजीलैंड का सबसे करीबी पडोसी देश आस्ट्रेलिया है। मगर इस हमले ने दुनिया भर में बढ़ते दक्षिणपंथी रुझान और इसके खतरे को एक बार फिर सामने लाया है। मध्य-पूर्व और सीरिया में जारी अशांति के कारण पिछले कई सालों से इस क्षेत्र में शरणार्थी संकट बढ़ा है और इन देशों से बड़े पैमाने पर यूरोप में पलायन हुआ है। बड़े पैमाने पर हुए पलायन के कारण यूरोप में भी इसपर काफी राजनीतिक विभाजन देखने को मिल रहा है। इन सब के बीच यूरोप में दक्षिणपंथी राजनीति का काफी विस्तार हुआ है।
न्यूजीलैंड की इस घटना में शामिल हमलावर भी दक्षिणपंथी रुझान का ही पाया गया है और इस्लामोफोबिया का भी शिकार है।
This post was last modified on March 15, 2019 4:37 PM
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