एयरलाइंस की तर्ज पर तय होगा रेल टिकट का किराया, बढ़ाने के लिए प्राइवेट कंपनियों को नहीं लेनी पड़ेगी अनुमति

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देश में निजी कंपनियां जल्द ही रेल का किराया तय करेंगी। ट्रेन चलानेवाली प्राइवेट कंपनियां जितना मर्जी उतना किराया रख सकती हैं। यह किराया आने वाले समय में हवाई सेवाओं के लिए वसूले जाने वाले किराए की तर्ज पर तय किया जा सकता है। दरअसल, निजी कंपनियां भारतीय रेलवे के चुनिंदा रूट पर ट्रेन का संचालन करेंगी, जिसके लिए उन्हें पहले ही अनुमित मिल गई है। ऐसे में किराए से लेकर तमाम सुविधाओं तक के प्रबंधन की जिम्मेदारी इन्हीं निजी कंपनियों पर होगी। इसके अलावा रेवेन्यू जेनरेट करने के लिए वे अलग-अलग तरह के विकल्पों के बारे में विचार करने और फैसला करने में स्वतंत्र होंगे।

कैसे तय होगा किराया

रेलवे ने यह प्राइवेट कंपनियों पर छोड़ा है कि वह ट्रेन का किराया तय करें। हाल ही रेलवे मंत्री पियूष गोयल ने प्राइवेट कंपनियों के ट्रेन चलाने से जुड़ी जानकारियां दी थीं। करीब 10 दिन पहले इस संबंध में हुई बैठक में भी चर्चा हुई थी। सरकार 109 रूट पर निजी कंपनियों को 151 ट्रेनों के संचालन की अनुमति देगी। यह अनुमति 35 साल के लिए होगी।

रेलवे की ओर से कहा गया है कि प्राइवेट ट्रेन के किराए वही कंपनियां तय करेंगी, जो इसे चलाएंगी। यह किराया मार्केट के मुताबिक होगा। इसके लिए किसी मंजूरी की जरूरत नहीं होगी। हालांकि सूत्रों के मुताबिक भारतीय रेलवे को कैबिनेट या संसद से इस तरह के मामलों के लिए अनुमति लेनी होगी। रेलवे एक्ट के अनुसार देश में केवल केंद्र सरकार या रेलवे मंत्रालय ही पैसेंजर ट्रेन का किराया तय कर सकता है।

महंगा होगा ट्रेन का सफर

रेल अधिकारियों के मुताबिक, प्राइवेट ट्रेनों का किराया मौजूदा किराये से अधिक होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि इन ट्रेनों में किराया तय करने का नियम नहीं है। वैसे अभी भी अहमदाबाद से मुंबई तक चलने वाली शताब्दी एक्सप्रेस का किराया वर्तमान ट्रेनों के किराए से काफी महंगा है। यही नहीं प्राइवेट ट्रेन चलाने वाली कंपनियां अपनी वेबसाइट पर इसके टिकट बेच सकती हैं। हालांकि उन्हें वेबसाइट के बैकएंड को रेलवे पैसेंजर रिजर्वेशन सिस्टम के साथ जोड़कर रखना होगा, जो अभी भारतीय रेलवे के पास है।

109 रूटों पर 151 मॉडर्न प्राइवेट ट्रेनें चलाई जाएंगी

रेलवे ने निजी क्षेत्र की मदद से 109 रूट पर ट्रेन चलाने की योजना बनाई है। इसके तहत साल 2023 से 12 ट्रेन चलाकर इसकी शुरुआत की जाएगी। जबकि साल 2027 तक इन सभी रूटों पर कुल 151 निजी ट्रेनें दौड़ने लगेंगी। यह ट्रेनें तकनीक और अन्य सुविधाओं के लिहाज से काफी आधुनिक होंगी। इसके लिए रेलवे ने निजी कंपनियों से प्रस्ताव मांगे हैं। इस परियोजना में निजी क्षेत्र से करीब 30,000 करोड़ रुपए का निवेश होने की संभावना जताई गई है।

70 फीसदी प्राइवेट ट्रेनें भारत में तैयार की जाएंगी

रेलवे ने यह भी कहा है कि निजी कंपनियों की इन ट्रेनों में से 70 फीसदी भारत में ही तैयार की जाएंगी। इनको 160 किलोमीटर प्रति घंटे की अधिकतम रफ्तार से चलने लायक बनाया जाएगा। 130 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से सफर के समय में 10 से 15 फीसदी, जबकि 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से सफर के समय में करीब 30 फीसदी की कमी आएगी। कुल मिलाकर यात्रियों का समय बचेगा। इन ट्रेनों में 16 कोच होंगे। बता दें कि भारत में अभी तेजस एक्सप्रेस के नाम से निजी ट्रेनें चल रही हैं।


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