Captain Vikram Batra Birth Anniversary: अगर मैं युद्ध में मरता हूं तब भी तिरंगे में लिपटा आऊंगा और अगर जीतकर आता हूं, तब अपने ऊपर तिरंगा तपेटकर आऊंगा, देश सेवा का ऐसा मौका कम ही लोगों को मिल पाता है। ये शब्द थे 25 साल के कैप्टन विक्रम बत्रा (Captain Vikram Batra) के। कारगिल युद्ध के हीरो रहे कैप्टन विक्रम बत्रा (Captain Vikram Batra) की बहादुरी के कारण ही उन्हें भारतीय सेना ने शेरशाह तो पाकिस्तानी सेना ने शेरखान नाम दिया था। आज कैप्टन विक्रम बत्रा का जन्मदिन (Captain Vikram Batra Birthday) होता है। हिमाचल प्रदेश के पालमपुर में घुग्गर नामक गांव में अध्यापक गिरधारी लाल बत्रा एवं माता कमला के घर 9 सितंबर 1974 को उनका जन्म हुआ था।
महज 25 साल की उम्र में देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले इस जांबाज की बहादुरी के किस्से आज भी याद किए जाते हैं। कारगिल के पांच सबसे इंपॉर्टेंट पॉइंट जीतने में उनका अहम योगदान रहा। 19 जून, 1999 को कैप्टन विक्रम बत्रा (Captain Vikram Batra) की लीडरशिप में इंडियन आर्मी ने घुसपैठियों से कारगिल के प्वांइट 5140 चोटी छीन ली थी। युद्ध के लिहाज से ये बड़ा अहम और स्ट्रेटेजिक प्वांइट था, क्योंकि ये एक ऊंची, सीधी चढ़ाई पर पड़ता था। वहां छिपे पाकिस्तानी घुसपैठिए भारतीय सैनिकों पर ऊंचाई से गोलियां बरसा रहे थे।
विक्रम बत्रा (Vikram Batra) ने जब इस चोटी से रेडियो के जरिए अपना विजय उद्घोष ‘यह दिल मांगे मोर’ कहा तो सेना ही नहीं बल्कि पूरे भारत में यह शब्द गूंजने लगा था। इसी दौरान विक्रम के कोड नाम शेरशाह के साथ ही उन्हें ‘कारगिल का शेर’ की भी संज्ञा दे दी गई। अगले दिन चोटी 5140 में भारतीय झंडे के साथ विक्रम बत्रा और उनकी टीम का फोटो मीडिया में आया तो हर कोई उनका दीवाना हो उठा।
प्वांइट 5140 चोटी जीतने के बाद विक्रम बत्रा (Vikram Batra) अगले प्वांइट 4875 को जीतने के लिए चल दिए, जो समुद्र तल से 17 हजार फीट की ऊंचाई पर था और 80 डिग्री की चढ़ाई पर पड़ता था। उन्होंने जान की परवाह न करते हुए लेफ्टिनेंट अनुज नैयर के साथ कई पाकिस्तानी सैनिकों को मौत के घाट उतारा।अंतिम मिशन लगभग पूरा हो चुका था जब कैप्टन अपने जूनियर अधिकारी लेफ्टीनेंट नवीन को बचाने के लिए लपके। लड़ाई के दौरान एक विस्फोट में लेफ्टीनेंट नवीन के दोनों पैर बुरी तरह जख्मी हो गए थे। जब कैप्टन बत्रा लेफ्टीनेंट को बचाने के लिए उनको पीछे घसीट रहे थे उसी समय उनके सीने पर गोली लगी और वे ‘जय माता दी’ कहते हुए वीरगति को प्राप्त हुए।
7 जुलाई 1999 को भारत मां का यह सपूत देश पर न्यौछावर हुआ था। कैप्टन विक्रम बत्रा (Captain Vikram Batra) को उनके अदम्य साहस के लिए भारत का सर्वोच्च वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। उनकी वीरता के किस्से आज भी देश के हर नागरिक की जुबां पर हैं।
1. कैप्टन विक्रम बत्रा जुड़वां पैदा हुए थे। दो बेटियों के बाद जुड़वां बच्चों के जन्म पर दोनों के नाम लव-कुश रखे गए थे। लव यानी विक्रम और कुश यानी विशाल।
2. शुरुआती पढ़ाई के लिए विक्रम किसी स्कूल में नहीं गए थे। उनकी शुरुआती पढ़ाई घर पर ही हुई थी और उनकी टीचर थीं उनकी मम्मी कमला बत्रा।
3. विक्रम को ग्रेजुएशन के बाद भारी वेतन वाली मर्चेन्ट नेवी की नौकरी भी मिल रही थी लेकिन सेना में जाने के जज्बे वाले विक्रम ने इस नौकरी को ठुकरा दिया।
4. 1996 में इंडियन मिलिट्री एकैडमी में मॉनेक शॉ बटालियन में उनका चयन किया गया। उन्हें जम्मू कश्मीर राइफल यूनिट, श्योपुर में बतौर लेफ्टिनेंट नियुक्त किया गया। कुछ समय बाद कैप्टन रैंक दिया गया।
5. परमवीर चक्र पाने वाले विक्रम बत्रा आखिरी सैनिक हैं। 7 जुलाई 1999 को उनकी मौत एक जख्मी ऑफिसर को बचाते हुए हुई थी। इस ऑफिसर को बचाते हुए कैप्टन ने कहा था, ‘तुम हट जाओ। तुम्हारे बीवी-बच्चे हैं।’
6. उनके साथी नवीन, जो बंकर में उनके साथ थे, बताते हैं कि अचानक एक बम उनके पैर के पास आकर फटा। नवीन बुरी तरह घायल हो गए, पर विक्रम बत्रा ने तुरंत उन्हे वहां से हटाया, जिससे नवीन की जान बच गई। लेकिन उसके आधे घंटे बाद कैप्टन ने अपनी जान दूसरे ऑफिसर को बचाते हुए दे दी।
7. विक्रम बत्रा के बारे में एक और वाकया मशहूर है और वो ये कि पाकिस्तानी घुसपैठिये लड़ाई के दौरान चिल्लाए, ‘हमें माधुरी दीक्षित दे दो.हम नरमदिल हो जाएंगे।’ इस बात पर कैप्टन विक्रम बत्रा मुस्कुराए और अपनी AK-47 से फायर करते हुए बोले, ‘लो माधुरी दीक्षित के प्यार के साथ’ और कई सैनिकों को मार गिराया।
8. अक्सर अपने मिशन में सफल होने के बाद कैप्टन विक्रम बत्रा जोर से चिल्लाया करते थे, ‘ये दिल मांगे मोर।’
9. विक्रम को डिंपल चीमा नाम की लड़की से प्यार हुआ। पंजाब यूनिवर्सिटी में दोनों की मुलाकात हुई थी। डिंपल कहती हैं कि उन्होंने और विक्रम ने कुछ खूबसूरत महीने चंडीगढ़ में गुजारे। डिंपल उस वक्त को याद करते हुए कहती हैं, ‘1996 में विक्रम का सलेक्शन आर्मी में हो गया, तो उसने कॉलेज छोड़ दिया। एक भी दिन ऐसा नहीं गुजरा, जब मैंने उसे याद नहीं किया हो। मुझसे दूर आर्मी में चले जाने के बाद भी हमारा प्यार बढ़ता गया। कारगिल से लौटने पर दोनों का शादी करने का प्लान था। पर वो लौटा नहीं और जिंदगी भर के लिए मुझे सिर्फ यादें दे गया।’
10. ‘कैप्टन विक्रम बत्रा अगर कारगिल वॉर से सही-सलामत लौट आए होते, तो 15 साल के अंदर मेरी कुर्सी पर बैठे होते।’ ये बात उस वक्त के चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ वेद प्रकाश मलिक ने कही थी।
11. 2003 में कारगिल पर बनी फिल्म LOC कारगिल में कैप्टन विक्रम बत्रा का रोल अभिषेक बच्चन ने किया था। उनको अपने जोश और इंस्पायर करने वाले जुमलों के लिए हमेशा याद किया जाएगा।
12. कैप्टन विक्रम बत्रा की जिंदगी पर एक फिल्म बन रही है, जिसमें उनका रोल अभिनेता सिद्धार्थ मल्होत्रा निभाएंगे। कैप्टन विक्रम बत्रा की बायोपिक का नाम ‘शेरशाह’ होगा।
This post was last modified on September 9, 2019 10:23 AM
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