सपा को फिर लग सकता है झटका, दो और राज्यसभा सांसद छोड़ सकते हैं पार्टी का साथ

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पिछले कुछ दिनों में तीन राज्यसभा सांसदों के इस्तीफे से हलकान समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) को आने वाले समय में अभी और झटके लग सकते हैं। पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेटे नीरज शेखर व सुरेंद्र नागर इस्तीफा देकर बीजेपी का दामन थाम चुके हैं। वहीं संजय सेठ ने भी सपा को अलविदा कह दिया है। अब सियासी गलियारों में इस बात को लेकर चर्चा का बाजार गर्म है कि पार्टी के दो और राज्यसभा सदस्य बगावती तेवर अपना सकते हैं। उनके भी भाजपा में शामिल होने की अटकलें तेज हैं। हालांकि, दोनों राज्यसभा सांसदों अभी इन कयासों को खारिज कर रहे हैं।

बता दें कि तीन सांसदों के इस्तीफे के बाद राज्यसभा में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के कुल 10 सदस्य ही बचे हैं। इनमें से चौधरी सुखराम सिंह यादव कानपुर तो विशंभर प्रसाद निषाद बांदा के रहने वाले हैं। ये दोनों ही पार्टी के पुराने वफादार हैं और इसी वजह से पार्टी ने दोनों को जुलाई 2016 में राज्यसभा भेजा था। इनका कार्यकाल चार जुलाई 2022 को पूरा होगा।

सुखराम यादव तो सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के बेहद करीबी माने जाते हैं। हालांकि, उनकी अखिलेश यादव से नहीं बनती और नाराज होकर वह पार्टी के कार्यक्रमों से दूरी बनाए हुए हैं। सपा से अलग होकर शिवपाल सिंह यादव के प्रगतिशील समाजवादी पार्टी बनाने के साथ ही यह माना जा रहा था कि सुखराम भी उनके साथ जाएंगे। हालांकि, वे नहीं गए। सपा से लगातार बनी दूरी ही उनके बीजेपी में जाने के अटकलों को हवा दे रही है। हालांकि, सुखराम सिंह यादव ने इसका खंडन किया है। उन्होंने कहा कि शिवपाल और मुलायम दोनों से उनकी नजदीकी है और सांसद होने के नाते दिल्ली में भाजपा नेताओं से मुलाकात होती ही रहती है। लेकिन वह सपा का साथ नहीं छोड़ रहे।

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वहीं दूसरे राज्यसभा सदस्य विशंभर प्रसाद निषाद को भी बीजेपी में लाने की पुरजोर कोशिश हो रही है। सूत्रों की मानें तो बीजेपी के कई नेता इनके संपर्क में हैं और दिल्ली में उनके साथ कई बार मुलाकात भी हो चुकी है। इंतजार सिर्फ सही वक्त का है। ऐसा होता है तो भाजपा को यादव व निषाद जैसी दो प्रमुख पिछड़ी जातियों के लिए नए चेहरे मिल सकते हैं। हालंकि, इस बारे में विशंभर प्रसाद निषाद का कहना है कि वह सपा छोड़कर किसी भी दल में नहीं जा रहे हैं। जिन नेताओं को जाना था, चले गए। मुझको लेकर गलत अटकलें लगाई जा रही हैं।

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