EXCLUSIVE: BPSC 64वीं प्रारंभिक परीक्षा के परिणाम में धोखाधड़ी के आरोप, छात्रों ने उठाये सवाल

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बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) ने पिछले साल 16 दिसंबर को 64वीं प्रारंभिक परीक्षा (64th Combined Preliminary Competitive Examination) आयोजित की। परीक्षा के परिणाम 26 फरवरी को घोषित किये गए। लेकिन परीक्षा का रिजल्ट जारी होने के बाद अभ्यर्थियों ने इस पर सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं। दरअसल, आयोग द्वारा BPSC द्वारा 64वीं प्रारंभिक परीक्षा की उत्तर कुंजी (Answer Key) जारी करने के बाद से ही छात्रों में एक नाराजगी देखी गई। बीपीएससी द्वारा जारी आंसर की में परीक्षा में पूछे गए 11 प्रश्नों के कथित तौर पर गलत उत्तर दिए गए थे, जिसे छात्रों ने चुनौती दी थी। इसके अलावा आयोग के खिलाफ अयोग्य उम्मीदवारों को जानबूझकर उत्तीर्ण करने जैसे गंभीर आरोप लग रहे हैं।

बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) के प्रारंभिक परीक्षा परिणाम में धोखाधड़ी

BPSC प्रारंभिक परीक्षा के परिणाम में धोखाधड़ी के आरोपों में कई पहलू हैं जिन्हें आसानी से नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता है। सबसे पहले आयोग द्वारा प्रकाशित उत्तर कुंजी में कई सवालों के गलत जवाब दिए गए हैं। BPSC के अनुसार प्रश्नों के कई उत्तर व्यावहारिक रूप से गलत हैं, जिसे छात्रों ने भी चुनौती दी है।

उदाहरण के लिए:

प्रश्न: बिहार की सोशलिस्ट पार्टी का गठन कब हुआ?

इसका उत्तर 1934 है, लेकिन BPSC की उत्तर कुंजी के अनुसार यह 1931 है। 63 वीं BPSC प्रारंभिक परीक्षा में बिहार की सोशलिस्ट पार्टी से एक प्रश्न पूछा गया था, जिसमें स्पष्ट रूप से 1934 का उल्लेख किया गया था।

प्रश्न: अंग्रेजों के खिलाफ 1857 के विद्रोह में कुंवर सिंह कहां शामिल हुए थे?

उत्तर आरा होना चाहिए, लेकिन बीपीएससी उत्तर कुंजी के अनुसार सही उत्तर पटना है, जो तथ्यात्मक रूप से गलत है।

प्रश्न: भारत में बिहार एक अलग प्रांत कब बना?

बिहार सरकार की आधिकारिक वेबसाइट और बिहार राज्य बोर्ड की किताब और BPSC के जवाब में विरोधाभास है।

ऐसे कई सवाल थे, जिन पर BPSC और छात्रों ने आपत्ति जताई है। लगभग 900 छात्र गलत उत्तरों के प्रकाशन के खिलाफ लगातार आवाज उठा रहे हैं। इसके अलावा 150 प्रश्नों में से 3 हटा दिए गए थे। अब सवाल ये उठता है कि जब प्रश्न पत्र में विकल्प ई के अंतर्गत “उपरोक्त में से कोई नहीं / उपरोक्त में से एक से अधिक” जवाब उपलब्ध था, तो तीन प्रश्नों को हटाने की क्या आवश्यकता थी?

यहां आपत्तिजनक उत्तरों की सूची दी गई है।

आयोग द्वारा जारी रिजल्ट में एक और खामी जो पकड़ में आई है। कटऑफ से कम अंक प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों को भी मुख्य परीक्षा के लिए योग्य करार दिया गया है और क्वालिफाइड परीक्षार्थियों की लिस्ट में उनका रोल नंबर शामिल हैं। यह BPSC के लिए परेशानी का सबब बन सकता है और आयोग की दोषपूर्ण अंकन प्रणाली को उजागर करता है।

एक उदाहरण देखें:

पटना के एक जाने-माने शिक्षाविद, जो एक सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए कोचिंग संस्थान भी चलाते हैं, ने BPSC की 64वीं प्रारंभिक परीक्षा के परिणामों में अनियमितताओं पर घोर नाराजगी जाहिर की है। नाम न छापने की शर्त पर न्यूज्ड से बात करते हुए उन्होंने कहा- पूर्व में भी बीपीएससी की भूमिका संदिग्ध रही है। मेरे कई छात्रों ने गलत उत्तरों पर अपनी शिकायतें व्यक्त की हैं, लेकिन आज तक न तो आयोग ने और न ही सरकार ने कोई स्पष्टीकरण दिया है।

उन्होंने BPSC द्वारा जारी परिणाम के खिलाफ याचिका दायर करने की भी बात की है। इस कथित धोखाधड़ी का शिकार हुए एक उम्मीदवार की भी यही प्रतिक्रिया थी। न्यूज्ड के साथ बातचीत में, उसने बीपीएससी की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हुए कहा कि उन सवालों को सेट करने का क्या मतलब है जिनके जवाब खुद उसके विशेषज्ञों को नहीं पता हैं। उसने कहा कि प्रारंभिक परिणामों की घोषणा के तुरंत बाद मामले को दबाने के लिए आयोग ने हड़बड़ी में मुख्य परीक्षा की भी घोषणा कर दी है।

गौरतलब है कि बिहार की शिक्षा प्रणाली परीक्षाओं के परिणाम जारी करने में देरी के लिए जाना जाता है और इसके लिए हमेशा आलोचना का शिकार भी होता रहा है। इसलिए जल्दबाजी में घोषित परिणाम कर अगले चरण की परीक्षा आयोजित करने की जल्दबाजी ने संदेह के बादल पैदा कर दिए हैं।

देखा जाए तो BPSC विशेषज्ञों द्वारा गलत उत्तर देना गले से नहीं उतरता। साथ ही, आयोग का गलती मानने से इनकार करना तो और ज्यादा हैरत की बात है।

बता दें कि सरकारी परीक्षाओं में जालसाजी, धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार, प्रश्न पत्र लीक के आरोप नीतीश कुमार की सरकार पर लगते रहे हैं। 2013 में बिहार प्रशासनिक सेवा (BAS) में 184 उम्मीदवारों के चयन में फर्जीवाड़ा करने, धोखाधड़ी करने और भ्रष्ट आचरण करने के आरोप में बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) के अध्यक्ष रामसिंहासन सिंह और उप सचिव, सदस्य और छह अन्य कर्मचारियों को गिरफ्तार कर लिया गया था। बिहार की बर्बाद शिक्षा व्यवस्था की यह शर्मनाक बानगी है।

Newsd ने इस मामले में BPSC की प्रतिक्रिया जाननी चाही है। लेकिन, अभी तक हमें अभी कोई जवाब नहीं मिला है। यदि आयोग की ओर से कोई सफाई या प्रतिक्रिया आती है, तो हम स्टोरी को अपडेट करेंगे।

(न्यूज्ड के लिए पटना से सौरभ कुमार )


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This post was last modified on March 17, 2019 1:09 PM

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