दिवाली (Diwali) हिंदू धर्म के लोगों के लिए सबसे बड़ा त्यौहार होता है, जिसे पूरे भारत में धूम- धाम से मनाया जाता है। इस दिन पूरा देश रोशनी से जगमगा उठता है। लोग साल भर इस त्योहार का इंतज़ार करते हैं। हिंदू कैलेंडर के अनुसार दिवाली कार्तिक माह के 15वें दिन मनाई जाती है। इस बार यह त्योहार आज 27 अक्टूबर को मनाई जा रही है।
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दिवाली प्रकाश का त्योहार है, जो अंधकार पर प्रकाश की जीत को बयान करती है। इसे ‘दीपावली’ (Deepawali) भी कहा जाता है। दिवाली के पर्व के साथ ही गोबर्धन पूजा, धनतेरस, छोटी दिवाली और भाईदूज भी मनाए जाते हैं।
कार्तिक माह को हिंदू धर्म का सबसे पवित्र माह माना जाता है। इसी महीने के 15वें दिन अमावस्या होती है। इसी दिन दिवाली का शुभ अवसर आता है। इस पर्व पर अमावस्या के अंधेरे को प्रकाश से दूर किया जाता है। उत्तर भारत में दिवाली 27 अक्टूबर को मनाई जा रही है। वहीं, दक्षिणी भारत में यह त्योहार एक दिन पहले मनाया जाता है। इसलिए भारत के दक्षिणी इलाकों में दिवाली 26 अक्टूबर को मनाई गई
दिवाली का त्योहार पांच दिनों तक चलता है। हर दिन का अपना विशेष महत्व होता है। इनमें से तीसरा दिन सबसे महत्वपूर्ण होता है। इस दौरान माता लक्ष्मी और गणेश की पूजा की जाती है।
धनतेरस (25 अक्टूबर 2019): पांच दिनों तक चलने वाले इस पर्व के पहले दिन को ‘धनतेरस’ के रूप में मनाया जाता है। यह दिन समृद्धि को मनाने के लिए समर्पित होता है। माना जाता है कि इस दिन देवी लक्ष्मी समुद्र मंथन से निकली थीं , इसलिए उनका विशेष पूजा के साथ स्वागत किया जाता है। धनतेरस के अवसर पर सोना खरीदा जाता है।
छोटी दिवाली (26 अक्टूबर 2019): दूसरे दिन को छोटी दिवाली या नारका चतुर्दशी कहा जाता है। मान्यता के अनुसार देवी काली और भगवान कृष्ण ने इस दिन राक्षस नरकासुर का विनाश किया था।
दीवाली (27 अक्टूबर 2019): यह इन पांच दिनों के त्योहार का सबसे महत्वपुर्ण दिन होता है। अमावस्या के इस दिन देश भर में दिवाली मनाई जाती है। दिवाली को माता लक्ष्मी और गणेश की विशेष पूजा की जाती है।
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गोवर्धन पूजा (28 अक्टूबर 2019): पूरे देश में इस दिन को मनाने के अलग- अलग कारण हैं। उत्तर भारत में गोवर्धन पूजा उस दिन के रूप में मनाई जाती है, जब भगवान कृष्ण ने गरज और बारिश के देवता इंद्र को हराया था। गुजरात में, इसे नए साल की शुरुआत के रूप में मनाया जाता है। वहीं महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु में इस दिन को, दानव राजा बलि पर भगवान विष्णु की जीत को बाली प्रतिपदा या बाली पद्यमी के रूप में मनाया जाता है।
भाई दूज (29 अक्टूबर 2019): पांच दिन तक चलने वाले इस पर्व में आखिरी दिन भाई दूज के रूप में जाना जाता है। रक्षाबंधन की तरह यह बहन और भाइयों को समर्पित होता है।
दिवाली का इतिहास
पौराणिक कथाओं के अनुसार, दिवाली को सातवीं शताब्दी के संस्कृत नाटक नागानंद में दीपप्रतिपादुत्सव के रूप में संदर्भित किया गया है, जिसमें नवविवाहित जोड़ों को भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी के विवाह की याद में दीपक और अन्य चीजें भेंट की गई थीं।
वहीं, लोग इस दिन को भगवान राम और सीता के वनवास से अयोध्या वापसी के रूप में मनाते हैं। जबकि कुछ लोग इसे पांडवों के 12 साल के वनवास और एक वर्ष के बाद वापसी के रूप में मनाते हैं।
This post was last modified on October 27, 2019 9:30 AM
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