नई दिल्ली, 3 जनवरी (आईएएनएस)| राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) के अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजी) चंद्रशेखर ने डीआरआई के महानिदेशक को यह आशंका जताते हुए एक गुप्त पत्र लिखा था कि विकास चौधरी नामक एक निर्यातक जांच को पटरी से उतारने के लिए एक दुर्भावनापूर्ण अभियान में संलिप्त है। चंद्रशेखर को बुधवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने एक रिश्वत मामले में गिरफ्तार किया था। वह लुधियाना में अतिरिक्त महानिदेशक के पद पर तैनात हैं।
उन्होंने यह गुप्त पत्र 18 नवंबर को डीआरआई के महानिदेशक को भेजा था। शेखर को दिल्ली के एक निर्यातक से 25 लाख रुपये रिश्वत मांगने और स्वीकार करने के आरोप में सीबीआई ने एक जनवरी को दो अन्य व्यक्तियों के साथ गिरफ्तार किया था।
दिल्ली के एक निर्यातक की शिकायत के बाद चंद्रशेखर को उसके करीबी दोस्त राजेश ढांडा और क्लियरिंग हाउस एजेंट अनूप जोशी के साथ गिरफ्तार किया गया था।
ढांडा और जोशी को शिकायतकर्ता से 25 लाख रुपये मांगने और स्वीकारने के दौरान गिरफ्तार किया गया था, जबकि डीआरआई के अधिकारी को जांच के दौरान गिरफ्तार किया गया।
यह पता चलता है कि शेखर ने नवंबर में अपने वरिष्ठ अधिकारी को लिखे पत्र में यह आशंका व्यक्त की थी। इस गुप्त पत्र में शेखर ने लिखा, “मार्केट इंटेलिजेंस इनपुट का सुझाव है कि 11 सितंबर, 2019 की छापेमारी से पहले विकास चौधरी ने संकेत दिया है कि वह डीआरआई, लुधियाना जोनल यूनिट की जांच प्रभावित करने की पूरी कोशिश करेगा, क्योंकि उसे गंभीर कार्रवाई की आशंका है।”
पत्र में बताया गया, “उनसे यह भी पता चला है कि उसके द्वारा डीआरआई लुधियाना के अधिकारियों के खिलाफ इस हाई प्रोफाइल मामले से ध्यान हटाने और उनके द्वारा की गई जांच को पटरी से उतारने के लिए शिकायतों का एक दुर्भावनापूर्ण अभियान भी शुरू किया गया है।”
उन्होंने इस मामले में डीआरआई के डीजी के साथ एक व्यक्तिगत बैठक होने का भी जिक्र किया।
शेखर ने यह भी उल्लेख किया है कि डीआरआई लुधियाना को 11 अक्टूबर, 2019 को डीआरआई मुख्यालय को जांच स्थानांतरित करने के लिए कहा गया था।
शेखर ने पत्र में विकास चौधरी से संबंधित करोड़ों रुपये के लेनदेन और धोखाधड़ी से निर्यात करने के संबंध में भी जानकारी दी है, जिसके बाद इस मामले ने अब एक नया मोड़ ले लिया है।