उत्तर प्रदेश का अमेठी लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र एकबार फिर से नया सांसद चुनने को तैयार है। 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने बीजेपी प्रत्याशी और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को मात दी थी। बहुजन समाज पार्टी के प्रताप सिंह तीसरे और ‘आप’ के कुमार विश्वास चौथे स्थान पर रहे थे। इस बार राहुल गांधी अपनी परंपरागत सीट से फिर से मैदान में हैं और स्मृति ईरानी उन्हें चुनौती दे रही हैं।
अमेठी लोकसभा सीट पर पांचवें चरण में 6 मई को मतदान होने हैं।
अमेठी, उत्तर प्रदेश का प्रमुख शहर और राजनीतिक दृष्टिकोण से काफी अहम लोकसभा क्षेत्र है। इसे मायावती सरकार द्वारा आधिकारिक तौर पर 1 जुलाई 2010 को अस्तित्व में लाया गया था। गौरीगंज शहर अमेठी जिले का मुख्यालय है। शुरुआत में इसका नाम छत्रपति साहूजी महाराज नगर था। बाद में बदलकर इसका नाम अमेठी कर दिया गया।
अमेठी की ख्याति गांधी परिवार की कर्मभूमि के रूप में रही है। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, उनके नाती संजय गांधी, राजीव गांधी और राजीव की पत्नी सोनिया गांधी और उनके पुत्र राहुल गांधी ने इस जिले का प्रतिनिधित्व किया है। देवी पाटन धाम, हिन्दू धार्मिक मंदिर, उल्टा गढ़ा (हनुमान मंदिर), हनुमान गढ़ी मंदिर, सती महरानी मंदिर और मालिक मोहम्मद जायसी की मस्जिद यहां के प्रमुख धार्मिक स्थल हैं।
अमेठी लोकसभा सीट का इतिहास
अमेठी लोकसभा सीट को कांग्रेस का अभेद्य किला कहा जाता है। इस सीट पर अभी तक 16 लोकसभा चुनाव और 2 उपचुनाव हुए हैं। इनमें से कांग्रेस ने 16 बार जीत दर्ज की है। वहीं, 1977 में लोकदल और 1998 में बीजेपी को जीत मिली है, जबकि बसपा और सपा अभी तक अपना खाता खोलने में कामयाब नहीं हो सकी है।
आजादी के बाद पहले आम चुनाव में अमेठी संसदीय सीट अस्तित्व में ही नहीं थी। पहले ये इलाका सुल्तानपुर दक्षिण लोकसभा सीट में आता था और यहां से कांग्रेस के बालकृष्ण विश्वनाथ केशकर जीते थे। इसके बाद साल 1957 में मुसाफिरखाना सीट वजूद में आई, जो अभी अमेठी जिले की तहसील है। केशकर यहां से जीतने में भी सफल रहे। 1962 के लोकसभा चुनाव में राजा रणंजय सिंह कांग्रेस के टिकट पर सांसद बने। रणंजय सिंह वर्तमान राज्यसभा सांसद संजय सिंह के पिता थे।
अमेठी लोकसभा सीट 1967 में परिसीमन के बाद वजूद में आई। अमेठी से पहली बार कांग्रेस के विद्याधर वाजपेयी सासंद बने। इसके 1971 में भी उन्होंने जीत हासिल की, लेकिन 1977 में कांग्रेस ने संजय सिंह को प्रत्याशी बनाया, लेकिन वह जीत नहीं सके। इसके बाद 1980 में इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी चुनावी मैदान में उतरे और इस तरह से इस सीट को गांधी परिवार की सीट बना दिया। 1980 में ही उनके विमान दुर्घटना में निधन के बाद 1981 में हुए उपचुनाव में इंदिरा गांधी के बड़े बेटे राजीव गांधी अमेठी से सांसद चुने गए।
साल 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए चुनाव में राजीव गांधी एक बार फिर उतरे तो उनके सामने संजय गांधी की पत्नी मेनका गांधी निर्दलीय चुनाव लड़ीं, लेकिन उन्हें महज 50 हजार ही वोट मिल सके। जबकि राजीव गांधी 3 लाख वोटों से जीते। इसके बाद राजीव गांधी ने 1989 और 1991 में चुनाव जीते। लेकिन 1991 के नतीजे आने से पहले उनकी हत्या कर दी गई, जिसके बाद कांग्रेस के कैप्टन सतीश शर्मा चुनाव लड़े और जीतकर लोकसभा पहुंचे। इसके बाद 1996 में शर्मा ने जीत हासिल की, लेकिन 1998 में बीजेपी के संजय सिंह हाथों हार गए।
साल 1999 में यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने सियासत में कदम रखा तो उन्होंने अमेठी को ही चुना। फिर मैथी ने भी उन्हें चुना और वह इस सीट से जीतकर पहली बार संसद पहुंचीं। 2004 के चुनाव में उन्होंने यह सीट अपने बेटे राहुल गांधी के लिए ये सीट छोड़ दी। इसके बाद से राहुल ने लगातार तीन बार यहां से जीत हासिल की।
अमेठी संसदीय सीट का समीकरण
अमेठी लोकसभा सीट के तहत पांच विधानसभा सीटें आती हैं- तिलोई, जगदीशपुर, अमेठी, गौरीगंज और सलोन। इनमें से सलोन राय बरेली जिले में आता है, जबकि बाकी चार सीटें अमेठी जिले के अंतर्गत आती हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में इन 5 सीटों में से 4 सीटों पर बीजेपी और एक सीट पर सपा को जीत हासिल हुई थी। याद रहे कि तब सपा-कांग्रेस गठबंधन करके चुनाव मैदान में उतरी थी। सपा ने तो गौरीगंज सीट जीत ली, लेकिन कांग्रेस को एक भी सीट नसीब नहीं हुई।
अमेठी लोकसभा सीट पर दलित और मुस्लिम मतदाता किंगमेकर की भूमिका में हैं। इस सीट पर मुस्लिम मतदाता करीब 4 लाख के करीब हैं और तकरीबन साढ़े तीन लाख वोटर दलित हैं। इनमें पासी समुदाय के वोटर काफी अच्छे हैं। इसके अलावा यादव, राजपूत और ब्राह्मण भी इस सीट पर अच्छे खासे हैं।
2014 लोकसभा चुनाव के नतीजे
राहुल गांधी अमेठी से लगातार तीसरी बार सांसद हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी को 408,651 वोट प्राप्त किये थे, जबकि बीजेपी की उम्मीदवार स्मृति ईरानी को 300,74 वोट मिले थ। इस तरह जीत का अंतर 1,07,000 वोटों का ही रह गया, जबकि 2009 के चुनाव में राहुल गांधी की जीत का अंतर साढ़े तीन लाख से भी ज्यादा का रहा था।
निवर्तमान सांसद: राहुल गांधी
लोकसभा चुनाव 2014
राहुल गांधी, कांग्रेस – 4,08,651
स्मृति ईरानी, बीजेपी – 3,00,748
धर्मेंद्र प्रताप सिंह, बसपा – 57,716
2019 लोकसभा चुनाव के लिए प्रमुख उम्मीदवार
- राहुल गांधी, कांग्रेस
- स्मृति ईरानी, बीजेपी
पांचवें चरण के चुनाव लिए महत्वपूर्ण तिथियां
अधिसूचना जारी | 10 अप्रैल |
नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि | 18 अप्रैल |
नामांकन पत्र की जांच | 20 अप्रैल |
नामांकन वापसी की अंतिम तिथि | 22 अप्रैल |
मतदान की तारीख | 6 मई |
मतगणना की तारीख | 23 मई |
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