आरटीआई डे : 3 करोड़ लोगों ने मांगी सूचना, आयोगों में पहुंचीं 22 लाख से ज्यादा शिकायतें (एक्सक्लूसिव)

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नई दिल्ली, 12 अक्टूबर (आईएएनएस)। सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआई) दिवस पर जारी हुई एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश में अब तक इसके जरिए तीन करोड़ से अधिक लोग सूचना मांग चुके हैं। वहीं समय से सूचनाएं न मिलने पर आयोगों तक 22 लाख से अधिक शिकायतें भी पहुंची हैं।

भ्रष्टाचार और पारदर्शिता की दिशा में काम करने वाली संस्था ‘ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इंडिया’ की ओर से जारी ‘स्टेट ट्रांसपेरेंसी रिपोर्ट’ के अनुसार, आरटीआई कानून के तहत देश की जनता को सूचना का अधिकार मिलने के 15 वर्षो में सिर्फ ढाई प्रतिशत यानी 3.33 करोड़ लोगों ने ही इसका इस्तेमाल किया। देश में 12 अक्टूबर, 2005 को सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआई) लागू हुआ। तब से हर साल इस दिन आरटीआई दिवस मनाया जाता है।


ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इंडिया ने राज्य सूचना आयोगों से हासिल हुए आंकड़ों के आधार पर यह रिपोर्ट सार्वजनिक की है। सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत केंद्रीय स्तर पर सबसे ज्यादा जानकारियां मांगी गईं। वर्ष 2005 में अधिनियम के लागू होने के बाद से 2018-19 तक की अवधि के दौरान केंद्रीय स्तर के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों से संबंधित जानकारियों के लिए कुल 92 ,63 ,564 आवेदन प्राप्त हुए।

महाराष्ट्र में सर्वाधिक आवेदन :

वर्ष 2005 से 2019 के बीच आरटीआई आवेदनों की संख्या के अनुसार, सबसे ज्यादा सूचनाएं महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल और गुजरात में मांगी गईं। इनमें महाराष्ट्र नंबर वन है। महाराष्ट्र में आरटीआई के कुल 69 ,36 ,564 आवेदन मिले। इसी अवधि में कर्नाटक के कुल 30 ,50 ,947, तमिलनाडु में 26,91,396 लोगों ने आरटीआई एक्ट का प्रयोग किया।


आरटीआई का सबसे कम प्रयोग करने वाले राज्यों में मणिपुर, सिक्किम, मिजोरम, मेघालय तथा अरुणाचल प्रदेश का स्थान है। चौंकाने वाली बात रही कि उत्तर प्रदेश और बिहार ने समय से आंकड़े ही नहीं प्रकाशित किए।

सूचना आयोगों में शिकायतों की भरमार :

आरटीआई के तहत मांगी गई सूचना अधिकतम 30 दिन के अंदर उपलब्ध करानी जरूरी है। सूचना न मिलने या फिर गलत सूचना दिए जाने पर आवेदक प्रथम, द्वितीय अपील करते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि सूचना आयोगों में द्वितीय अपील और शिकायतों की संख्या 22 लाख से अधिक रही। तमिलनाडु, महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल और बिहार में सबसे ज्यादा शिकायतें सामने आईं। केंद्रीय सूचना आयोग की कुल 3 ,02 ,080 अपील और शिकायतें मिलीं।

ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इंडिया के कार्यकारी निदेशक रमानाथ झा ने आईएएनएस से कहा, “भ्रष्टाचार के खात्मे और सरकारी कार्यो में पारदर्शिता के लिए सूचना का अधिकार एक बड़ा हथियार है। लेकिन सरकारी सिस्टम ने इस हथियार की धार को कम करने की कोशिश की है। कानून बनने के बाद से केंद्र या राज्य सरकारों के स्तर से आरटीआई के बारे में जागरूकता फैलाने की दिशा में ठोस प्रयास नहीं हुए। गांव में आज भी आरटीआई लगाने का मतलब लोग शिकायत करना समझते हैं, जबकि जनता के पास अपनी हर समस्या का समाधान करवाने का अभी यही कारगर हथियार है।”

ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इंडिया के कार्यकारी निदेशक रमानाथ झा ने कहा कि एक्ट लागू होने के 15 साल बाद भी जिम्मेदारों की मानसिकता नहीं बदली। वे सूचना देने की जगह टालमटोल करने में यकीन रखते हैं। आंकड़ों से पता चलता है कि 50-60 प्रतिशत से ज्यादा आरटीआई अर्जियां गांवों से लगाई जाती हैं।

–आईएएनएस

एनएनएम/एसजीके

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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