आतंकवाद साझा खतरा, सामूहिक कार्रवाई की जरूरत : मोदी

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 कोलंबो, 9 जून (आईएएनएस)| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यहां रविवार को श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना से 10 दिनों के भीतर दूसरी बार मिले और सहमति जताई कि आतंकवाद ‘साझा खतरा’ है, जिस पर सामूहिक व सकेंद्रित कार्रवाई की जरूरत है। दोनों नेता पिछले हफ्ते मोदी के शपथ-ग्रहण समारोह में मिले थे।

 मोदी 21 अप्रैल को भयानक आतंकवादी हमले के बाद श्रीलंका में कदम रखने वाले पहले विदेशी नेता हैं। इस हमले में 250 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। हमले की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट (आईएस) ने ली थी।


मोदी के दौरे को संकट की घड़ी में पड़ोसी देश के प्रति हमदर्दी जताने के लिए भारत के उठे कदम के रूप में देखा जा रहा है।

प्रधानमंत्री कार्यालय ने मोदी के दौरे को ‘महत्वपूर्ण, मूल्यवान पड़ोसी के साथ मैत्री के मजबूत बंधन का द्योतक’ बताया है।

प्रधानमंत्री संक्षिप्त दौरे के दौरान अपने श्रीलंकाई समकक्ष रानिल विक्रमसिंघे और प्रतिपक्ष के नेता महिंदा राजपक्षे से भी मिले।


मोदी मालदीव से यहां पहुंचे। वह सबसे पहले 21 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले वाली जगह सेंट एंथनी चर्च गए।

उन्होंने बाद में ट्वीट किया, “मुझे विश्वास है, श्रीलंका फिर उठेगा। आतंकियों की कायराना करतूत श्रीलंका के उत्साह को नहीं हरा सकता। भारत की हमदर्दी श्रीलंका के लोगों के साथ है। मेरा हृदय मृतकों व घायलों के परिजनों के प्रति द्रवित है।”

प्रधानमंत्री रवाना होने से पहले भारतीय समुदाय के लोगों से यहां के इंडिया हाउस में मिले और उनसे बातचीत की। उन्होंने द्विपक्षीय संबंधों की मजबूती में उनकी महती भूमिका को महत्वपूर्ण बताया।

मोदी ने कहा कि आम चुनाव में व्यापक जनादेश मिलने से भारतीय लोकतंत्र मजबूत हुआ है। लोकतंत्र भारतीय संस्कृति का हिस्सा है।

भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “लोकसभा चुनाव के परिणाम विश्व के लिए अध्ययन करने का विषय है कि भारतीय लोकतंत्र कितना परिपक्व है। हमने लोकतंत्र के प्रति लोगों का सम्मान और इसके प्रति प्रतिबद्धता देखी है।”

उन्होंने कहा कि भारतीय चुनावों ने हालांकि प्रतिद्वंद्वियों के बीच बहुत से हमले और प्रतिवाद झेले हैं, फिर भी भारतीय कश्मीर से कन्याकुमारी तक एक बने हुए हैं। वोटों की गिनती जैसे ही खत्म हुई, भीड़ में हर्षध्वनि शुरू हो गई।

महिला मतदाताओं के रिकॉर्ड संख्या में मतदान करने का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा, “इस चुनाव का यह संदेश है कि हमारा जो लोकतंत्र है, वह परिपक्व हो चुका है। लोकतंत्र हमारी परंपरा है और लोकतंत्र हमारी संस्कृति में है।”

प्रधानमंत्री ने प्रवासियों से भारत के विकास में योगदान करने की अपील भी की।

उन्होंने कहा, “हमें देश को मिलजुल कर आगे ले जाना है। हमें विकास की गति बढ़ानी है। हम भारत के प्रत्येक सपने को पूरा करने का प्रयास करेंगे। आप भी भारत के विकास में योगदान कीजिए।”

उन्होंने कहा कि देश की छवि पिछले कुछ सालों में काफी बदली है।

मोदी ने कहा, “मैंने विश्व का भ्रमण किया है और कई देशों में रह रहे भारतीयों के बारे में कभी कोई शिकायत नहीं मिली है। ऐसा भारतीय संस्कृति और परंपरा के कारण है।”

उन्होंने कहा, “आज दुनिया में भारत की छवि सुदृढ़ हुई है। इसके श्रेय का बड़ा हिस्सा प्रवासी भारतीयों को जाता है। मैं जहां भी जाता हूं, प्रवासी भारतीयों की सफलता और उनकी निपुणता बारे में कहता हूं।”

प्रधानमंत्री ने बाद में भारतीय समुदाय के कई सदस्यों से हाथ मिलाया।

राष्ट्रपति सिरिसेना ने मोदी को ध्यानमग्न बुद्ध की प्रतिमा भेंट की। प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस प्रतिमा को ‘विशेष मित्र से मिला विशेष उपहार’ बताया।

भारत वैश्विक स्तर पर श्रीलंका का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। इसकी गणना द्वीपीय राष्ट्र में सबसे ज्यादा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) करने वाले देश के रूप में की जाती है।

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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