अब गुरुगोरक्षनाथ अगरबत्ती से महकेगा घर-आंगन

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गोरखपुर, 16 नवंबर (आईएएनएस)। कोई भी चीज अनुपयोगी नहीं है। शर्त यह है कि उसका उपयोग किया जाए। उपयोग हो तो वेस्ट भी वेल्थ बन जाता है। यही नहीं यह स्थानीय स्तर पर रोजगार का जरिया बनने के साथ पर्यावरण के लिए भी उपयोगी होता है। प्रकृति से प्रेम करने वाले और पर्यावरण संरक्षण के प्रति बहुत पहले से प्रतिबद्ध मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अक्सर इस बात को न केवल कहते हैं बल्कि जीते भी हैं। गोरखनाथ मन्दिर में चढ़ावे के फूलों से अगरबत्ती बनवाने के पहले भी वह यहां इस तरह के नायाब प्रयोग कर चुके हैं।

गोरखनाथ मंदिर में चढ़ाए गए फूलों से अगरबत्ती बनाई जा रही है। इसके लिए घरेलू महिलाओं को प्रशिक्षण देकर कुटीर उद्योग के लिए उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है। सीआईएसआर-सीमैप (केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान) लखनऊ के तकनीकी सहयोग से महायोगी गोरखनाथ कृषि विज्ञान केंद्र चौक जंगल कौड़िया द्वारा निर्मित अगरबत्ती की ब्रांडिंग श्री गोरखनाथ आशीर्वाद नाम से की गई है। इसके उत्पादन से लेकर विपणन तक की व्यवस्था गोरखनाथ मंदिर प्रशासन के हाथों में है।


मंदिर में चढ़ाए गए फूलों को संग्रहित करने के बाद उन्हें एक मशीन में डालकर सूखा पाउडर बना लिया जाता है। फिर इस पाउडर को आटे की तरह गूंथ कर स्टिक पर परत के रूप में चढ़ाया जाता है। अंत में लेपित स्टिक को तरल खुशबू में भिंगोकर सुखा लिया जाता है। इस कार्य में प्रशिक्षण प्राप्त एक महिला अपना घरेलू कामकाज निपटा कर प्रतिमाह चार से पांच हजार रुपए की आय अर्जित कर सकती है।

सीमैप लखनऊ के निदेशक डॉ. प्रबोध कुमार त्रिवेदी ने बताया कि उत्तर प्रदेश के किसी मंदिर में चढ़ाए गए फूलों से पहली बार अगरबत्ती बनाने का काम हो रहा है। शीघ्र ही लखनऊ की चन्द्रिका देवी मंदिर में भी ऐसा ही प्रयास शुरू किया जाएगा। देश में शिरडी के साईं बाबा मंदिर और वैष्णो माता मंदिर में चढ़े फूलों से अगरबत्ती बनती रही है।

मसलन मन्दिर की गोशाला में देशी नस्ल के करीब 500 गोवंश हैं। इनके गोबर का उपयोग करने के लिए लगभग पांच साल से वर्मी कंपोस्ट की इकाई लगी है। इसी दौरान मन्दिर परिसर में जहां-जहां जलजमाव होता था वहां पर टैंक बनवाकर वह जलसंरक्षण का भी सन्देश दे चुके हैं। अब चढ़ावे के फूलों का उपयोग कर एक साथ पर्यावरण संरक्षण, स्वच्छ भारत और मिशन शक्ति और मिशन रोजगार का सन्देश दिया गया।


मालूम हो कि गोरखनाथ मन्दिर का शुमार उत्तर भारत के प्रसिद्ध मंदिरों में होता है। वहां हर रोज बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। मकर संक्रांति से लगने वाले एक महीने के मेले के दौरान तो यह संख्या लाखों में होती है। स्वाभाविक रूप से हर श्रद्धालु मन्दिर में गुरुगोरक्षनाथसहित अन्य देवी देवताओं को अपनी श्रद्धा के अनुसार फूल भी अर्पित करता है। अब ये फूल अगरबत्ती के रूप में अपनी सुंगध बिखेरेंगे।

करीब ढाई दशकों से गोरखनाथ मन्दिर से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार गिरीश पांडेय का कहना है कि कुछ नया और नायाब करना योगी आदित्यनाथ का शगल है। सांसद थे तब भी और अब मुख्यमंत्री के रूप में भी। अगर यह नवाचार खेतीबाड़ी और पर्यावरण संरक्षण के प्रति हो तो उसे वे और शिद्दत से करते हैं।

–आईएएनएस

विकेटी-एसकेपी

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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