बड़े मंगल पर मंगलमान से लगे ई-भंडारे, नहीं टूटी परंपरा

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लखनऊ,12 मई (आईएएनएस)। कोरोना संकट से सभी धार्मिक अनुष्ठानों पर भले ही ग्रहण लग गया हो, लेकिन हर साल बड़े मंगल पर लगने वाले हजारों भंडारे के आयोजन का रास्ता लखनऊ ने खोज लिया है। यहां पर लगने वाले बड़े मंगल के भंडारों को संचालित करने का एक नयाब तरीका निकाला गया है। मंगलमान बेवसाइट के माध्यम से ई भंडारे का आयोजन किया जा रहा है। जिससे की कई सदियों से चली आ रही परंपरा न टूटे।

ई भंडारे के संयोजक डा.राजकुमार तिवारी ने आईएएनएस बताय, “कोरोना काल में जो श्रद्धालु भंडारा नहीं लगा पा रहे हैं। उनके लिए नगर निगम के साथ मिलकर मंगलमान ने एक कार्यक्रम तय किया है। जो श्रद्धालु भंडारा कराना चाहते हैं। वह अपना बेवासइट में पंजीकरण कर लें। जितने भी कम्युनिटी किचन चल रहे हो। इसके माध्यम से प्रसाद बनवाकर लोगों में बांट देगे। भंडारा कराने वाले अपने मन चाहे स्थान पर भी प्रसाद बंटवा सकता है। लखनऊ में ज्येष्ठ माह में पड़ने वाले मंगलवार को बड़े मंगल के रूप में मनाया जाता है। इस पूरे माह लखनऊ में हर 100 मीटर की दूरी पर प्याऊ और भण्डार बड़ी आसानी से मिल जाएगा। यह परम्परा न टूटे इसलिए कोरोना काल में ई-भंडारे का नायाब तरीका सुझाया गया है। ई-भंडारे के लिए आपको मंगलमान डाट इन पर जाकर अपने दिन और समय के अनुरूप भंडारे की बुकिंग कर सकते हैं। वेबसाइट पर भंडारे की पूरी जानकारी मिल जाएगी।”


तिवारी ने बताया कि फोन पर संपर्क कर भंडारे की बुकिंग की जा सकती है। ई-भंडारा श्रद्धालुओं के बताए मंदिर में भोग लगाने के बाद ही शुरू होगा और शाम को टीम के सदस्य घर बैठे श्रद्धालु को प्रसाद भी उपलब्ध कराएंगे।

उन्होंने बताया, “ये वेबसाइट पिछले वर्ष भी काम कर रही थी, मगर इस बार यह अधिक प्रासंगिक हो गई है। मंगलमान वेबसाइट पर जाकर भक्त आसानी से पंजीकरण करवा सकते हैं। पंजीकरण करा के वे जहां चाहें उस इलाके के जरूरतमंद लोगों के बीच भंडारे का जैसा चाहें प्रसाद वितरित करवा सकते हैं। शहर में जो कम्युनिटी किचन संचालित किए जा रहे हैं, उनमें वे जाकर खुद प्रसाद बनवा कर शारीरिक दूरी के मानकों का पालन करते हुए उसे बंटवा भी सकते हैं।”

उन्होंने बताया, “पहले आज के दिन से बड़े मंगल की शुरूआत हो रही है। पहले ही दिन 15 भंडारों की बुकिंग है, जो आज आयोजित कराए जा रहे हैं। इसके अलावा करीब 25 से 30 पंजीकरण भी हो चुके है। 150 से ज्यादा लोगों ने फोन के माध्यम से इसकी जानकारी ली है।”


महापौर संयुक्ता भटिया ने बताया, “इस महामारी को ध्यान में रखते हुए आयोजकों एवं भक्तों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए यह विकल्प अच्छा है। इसमें शहर के समस्त भंडारा संचालक ‘मंगलमान डाट इन’ पर अपना पंजीकरण कर सकते हैं। यह सेवा ज्येष्ठ मास के प्रत्येक मंगलवार को उपलब्ध रहेगी। इससे लॉकडाउन का पालन भी होता रहेगा।”

इतिहासकार पद्मश्री योगेश प्रवीण ने बताया, “लखनऊ में बड़े मंगल का अयोजन एक गंगा जमुनी तहजीब का उदाहरण है। अवध के नवाबों में हनुमान जी पर बड़ी आस्था रही। नवाबी घराने की ओर से हनुमान जी की पूजा प्रतिष्ठा को संरक्षण प्राप्त था। बेगमों की उन पर आस्था थी। उसका प्रबल प्रतीक अलीगंज में स्थित हनुमान मंदिर दूसरा प्रधान मंदिर है, जिसे नवाब सआदत अली खां की मां जनाब आलिया ने बनवाया था। अवध सल्तनत के कौमी निशान के तौर पर इस मंदिर के शिखर पर दूज का चांद भी बना देखा जा सकता है। जनाब आलिया, रैकवार ठाकुर घराने की बेटी थीं और छत्र कुंवर उनका नाम था। उन्होंने ही अपने बेटे सआदत अली खां का नाम बचपन में मंगलू रखा था। बड़े मंगल पर अलीगंज हनुमान मंदिरों की परिक्रमा करने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। पहले दो मंगल होते एक बुढ़वा मंगल भी होता है। बड़े मंगल के समय नवाब वाजिद अली शाह शरबत और बंदरों के लिए चना बांटते थे। तभी यह परंपरा चली आ रही है।”

–आईएएनएस

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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