बेंगलुरु गए विधायकों पर टिकी नजर

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भोपाल, 16 मार्च (आईएएनएस)| मध्यप्रदेश में जारी सियासी घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को अपने विधायकों को एकजुट रखना बड़ी चुनौती है, यही कारण है कि दोनों दलों ने विधायकों को राजधानी के होटल में रखा है, वहीं सब की नजर उन 16 विधायकों पर है जो इन दिनों बेंगलुरु में हैं।

राज्य के सियासी संग्राम के बीच बीती रात राज भवन में काफी हलचल रही, भाजपा के नेताओं गोपाल भार्गव व नरोत्तम मिश्रा ने राज्यपाल लालजी टंडन से मुलाकात कर फ्लोर टेस्ट की अपनी मांग जारी रखी, वहीं दूसरी ओर देर रात को मुख्यमंत्री कमलनाथ राज्यपाल के पास पहुंचे और उन्होंने वर्तमान हालातों पर चर्चा की साथ ही, भरोसा दिलाया कि विधानसभा शांति से चले ऐसी सभी की मंशा है।


कांग्रेस ने अपने विधायकों को जयपुर में रखा था और रविवार को इन विधायकों को भोपाल लाया गया है और सभी विधायक होटल मेरियट में रुके हैं, वहीं भाजपा के विधायकों को मनेसर से रविवार की देर रात को भोपाल लाया गया और उन्हें आमेर ग्रीन होटल में ठहराया गया है। दोनों दलों ने अपने विधायकों को होटलों में रखकर आम लोगों से दूर रखा है, यह विधायकों को एकजुट रखने की रणनीति का हिस्सा है।

विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने कहा है कि वर्तमान सरकार बहुमत खो चुकी है, मुख्यमंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए, वर्तमान स्थिति में सरकार की जिम्मेदारी है कि वह अपना विश्वास साबित करने के लिए सदन में प्रस्ताव लाए और बहुमत साबित करें।

वहीं, दूसरी ओर मुख्यमंत्री कमलनाथ का कहना है कि उनकी सरकार को कोई खतरा नहीं है उनकी तो सिर्फ यही मांग है कि पहले उन 22 विधायकों को मुक्त कराया जाए जिन्हें बेंगलुरु ले जाया गया है और उसके बाद ही फ्लोर टेस्ट हो।


वर्तमान स्थितियों में कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी बहुमत में नजर नहीं आ रही है, क्योंकि कांग्रेस के छह विधायकों की सदस्यता खत्म की जा चुकी है, और 16 विधायकों के इस्तीफे लंबित है, मगर कांग्रेस अपने साथ उन विधायकों को भी जोड़ रही है जो इन दोनों बेंगलुरु में है, वही भाजपा बेंगलुरु की विधायकों को कम करके कांग्रेस के अल्पमत की सरकार होने का दावा कर रही है। इन स्थितियों में सबसे ज्यादा अहमियत बेंगलुरु गए विधायकों की हो गई है।

ज्ञात हो कि, पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भाजपा का दामन थाम लिया है और सिंधिया के 22 समर्थकों ने इस्तीफा दे दिया है। इनमें से छह विधायकों का इस्तीफा मंजूर कर लिया गया है और शेष 16 विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष से भी अपना इस्तीफा मंजूर करने की दोबारा मांग की है। इन स्थितियों ने कमलनाथ सरकार के सामने संकट खड़ा कर दिया है, बेंगलुरु से विधायक लौटते हैं या उनका इस्तीफा मंजूर होता है उसके बाद ही सरकार की स्थिति स्पष्ट हो सकेगी।

राज्य विधानसभा सचिवालय ने जो कार्यसूची जारी की है, उसमें विश्वासमत का जिक्र न होने के बाद सियासत गर्म है। राज्यपाल ने मुख्यमंत्री कमल नाथ को पत्र लिखकर अभिभाषण के बाद बहुमत साबित करने केा कहा था, मगर कार्यसूची में इस बात का जिक्र न होने पर भाजपा के नेताओं ने देर रात को राज्यपाल से मुलाकात कर इसे राज्यपाल के आदेश की अवहेलना बताया था। देर रात को मुख्यमंत्री कमल नाथ की भी रात में ही राज्यपाल से मुलाकात हुई।

 

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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