भाजपा हिंदी पर विवाद न भड़काए : कांग्रेस

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नई दिल्ली, 14 सितम्बर (आईएएनएस)| कांग्रेस ने शनिवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पर हिंदी पर दिए उनके बयान के लिए निशाना साधा। पार्टी ने कहा कि किसी को भी इस संवेदनशील मामले पर विवाद नहीं भड़काना चाहिए, जिसे हमारे संविधान निर्माताओं ने परिपक्वता के साथ सुलझा लिया था। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, “अगर यह सच है तो मुझे स्पष्ट कर दूं कि गृहमंत्री को यह जानना चाहिए कि हिंदी को बहुत पहले ही राष्ट्रभाषा घोषित कर दिया गया है।”

उन्होंने कहा, “दूसरा आप जब देश के संविधान को देखते हैं, यह स्पष्ट तौर पर भारत की विविधता को मान्यता देता है। भारत का संविधान 22 भाषाओं को मान्यता देता है, जिसे बड़ी संख्या में लोग बोलते हैं।”


शर्मा शाह के उस बयान पर पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे, जिसमें उन्होंने ‘एक राष्ट्र, एक भाषा’ की बात कही थी।

राज्यसभा सांसद ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा, “हमें एक संवेदनशील मुद्दे पर विवाद नहीं भड़काना चाहिए, जिसे आजादी के बाद भारतीय संविधान निर्माताओं और प्रधानमंत्रियों ने परिपक्वता के साथ सुलझा लिए थे। खासकर मैं पंडित जवाहर लाल नेहरू का संदर्भ दे रहा हूं।”

शर्मा ने कहा कि जब भाषा का मुद्दा सामने आएगा, तो त्रिभाषा सूत्र को स्वीकार किया जाएगा।


उन्होंने कहा, “भाषा सूत्र के साथ छेड़छाड़ नहीं किया जाना चाहिए और इस बारे में दोबारा विचार करने का ऐसा कोई संकेत नहीं देना चाहिए, जिससे देश में अशांति पैदा हो।”

उन्होंने कहा कि हिंदी के अवाला सभी भाषाएं, जोकि बड़े पैमाने पर लोगों द्वारा बोली जाती हैं, महत्वपूर्ण हैं।

भाजपा अध्यक्ष ने यहां एक समारोह में कहा था कि 2020 से ‘हिदी दिवस’ सार्वजनिक रूप से मनाया जाएगा और 2024 लोकसभा चुनाव तक हिंदी नई ऊंचाइयों को छू लेगा।

शाह ने अपने सिलसिलेवार ट्वीट में कहा था, “भारत विभिन्न भाषाओं का देश है और सभी भाषाओं की अपनी महत्ता है, लेकिन एक ऐसी भाषा होना बहुत जरूरी है, जिसे विश्व में भारत की पहचान के तौर पर देखा जाए। अगर एक भाषा जो पूरे देश को एक कर सकती है, वह बड़े पैमाने पर बोली जाने वाली हिंदी भाषा है।”

एक और ट्वीट में गृहमंत्री ने लोगों से महात्मा गांधी और सरदार वल्लभभाई पटेल के सपनों को पूरा करने के लिए हिंदी भाषा के इस्तेमाल को बढ़ाने की अपील की।

शाह के बयान के बाद दक्षिणी भारत के कई समूहों और लोगों ने विरोध प्रदर्शन किए। इसके अलावा द्रमुक समेत कई विपक्षी पार्टियों ने हिंदी को थोपने का प्रयास करने को लेकर भाजपा सरकार पर निशाना साधा।

 

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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