नई दिल्ली, 19 नवंबर (आईएएनएस)। भारत-चीन आर्थिक संबंधों पर जामिया मिलिया इस्लामिया में एक विशेष ऑनलाइन लेक्चर का आयोजन किया गया। भारत के विदेश मंत्रालय द्वारा समर्थित रिसर्च एंड इनफॉर्मेशन सिस्टम फॉर डेवलपिंग कंट्रीज नामक थिंक टैंक के, प्रो. एस के मोहंती इस व्याख्यान के मुख्य वक्ता रहे।
जामिया की एमएमएजे एकेडमी ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज के यूजीसी चाइना स्टडीज सेंटर ने भारत-चीन आर्थिक संबंध, दक्षिण एशियाई अर्थव्यवस्थाओं के साथ चीन के संबंधों के विकास, विषय पर यह ऑनलाइन लेक्चर का आयोजन किया।
एमएमएजे एकेडमी ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज के कार्यकारी निदेशक प्रो. मैथ्यू जोजेफ ने इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए आज के अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य में इस विषय के महत्व के बारे में बताया।
प्रो. मोहंती ने भारत और चीन के विकास मॉडल के तुलनात्मक अध्ययन के साथ अपना व्याख्यान शुरू किया। उन्होंने 1978 के बाद से चीन के आर्थिक सुधारों और 1990 के दशक से भारत में उदारीकरण प्रक्रिया को ऐतिहासिक दृष्टि से समझाया। उन्होंने कहा, 2035 तक जीडीपी के मामले में भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगा, जबकि उसी समय चीन विश्व की सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति के तौर पर उभर सकता है।
उन्होंने भारत-चीन द्विपक्षीय आर्थिक मुद्दों, बाजार तक पहुंच पर बाधाओं, भारत-चीन व्यापार संबंधी मिथकों और दोनों देशों के आगे बढ़ने जैसे कई मुद्दों का विश्लेषणात्मक अध्ययन पेश किया। उन्होंने कहा कि भारत और चीन के बीच व्यापारिक घाटा एक गंभीर समस्या है।
चीन में एसओई की नीतियों के बारे में चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि कैसे यह विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों और भारतीय उत्पादों के आयात को लेकर बधाकारी हैं। उन्होंने इस बाधा को दूर करने और भारत के चीनी बाजार तक पहुंच आसान बनाने के लिए भारत-चीन के बीच गंभीर बातचीत की जरूरत बताई।
इस लेक्चर में जामिया के छात्रों और अध्यापकों के साथ-साथ देश के अन्य हिस्सों के अध्यापकों और शोधकर्ताओं ने भी हिस्सा लिया।
–आईएएनएस
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