नई दिल्ली, 1 नवंबर (आईएएनएस)| भारत और जर्मनी के संस्कृति मंत्रियों के बीच शुक्रवार को हुई एक प्रतिनिधिमंडल स्तर की बैठक के बाद दोनों देशों के बीच इस बात को लेकर सहमति बनी कि वे चुनिंदा संग्रहालयों के बीच सहयोग करेंगे और दोनों देशों की कालजयी साहित्य कृतियों के अनुवाद की संभावनाएं तलाशेंगे।
संस्कृति मंत्रालय के अनुसार, भारतीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने संस्कृति और मीडिया के लिए संघीय सरकार की आयुक्त और संघीय चांसलर की विदेश मंत्री मोनिका ग्रुटर्स के नेतृत्व में जर्मन प्रतिनिधिमंडल के साथ द्विपक्षीय बैठक की।
उन्होंने भारत और जर्मनी के कुछ चुनिंदा संग्रहालयों के बीच सहयोग के संबंध में एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए।
इन संग्रहालयों में नेशनल म्यूजियम दिल्ली, नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट दिल्ली, इंडियन म्यूजियम कोलकाता, प्रशियन कल्चरल हेरिटेज फाउंडेशन स्टॉफेनबर्गस्ट्र, बर्लिन एंड स्टिफटंग हम्बोल्ट फोरम इम बर्लिनर स्कलोस शामिल हैं।
जर्मन और भारतीय भाषाओं में दोनों देशों से संबंधित कालजयी कृतियों के अनुवाद करने की संभावनाएं तलाशी जाएंगी।
उदाहरण के लिए ‘संन्यास उपनिषद’ और ‘यतिधर्म प्रकाशा’ जैसे संस्कृत क्लासिक्स का जर्मन भाषा में अनुवाद किया जा सकता है।
इसी तरह गंटर ग्रास द्वारा रचित ‘डाई ब्लेकट्रोममेल’, थॉमस मान रचित ‘बुडेनब्रुक’ और फ्रांज काफ्का की ‘द ट्रायल’ जैसी रचनाओं का हिंदी या संस्कृत में अनुवाद किया जा सकता है।
इस एमओयू का उद्देश्य पुरातात्विक, कलात्मक एवं ऐतिहासिक वस्तुओं का उनके ऐतिहासिक और समकालीन स्रोतों के साथ अनुसंधान करना है।
मंत्रालय के अनुसार, पटेल ने कहा कि भारत और जर्मनी में शैक्षणिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान की लंबी परंपरा रही है और यह संस्कृति राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।