इस्लामाबाद, 22 अगस्त (आईएएनएस)| जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद-370 को रद्द किए जाने के बाद भारत की आलोचना को तेज करते हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा है कि वह अब भारत के साथ बातचीत नहीं करना चाहते। खान ने बुधवार को प्रकाशित एक साक्षात्कार में न्यूयॉर्क टाइम्स से कहा, “उनसे (भारतीय अधिकारियों) से बात करने का कोई मतलब नहीं है। मेरा मतलब है, मैंने हर मुमकिन कोशिश की। लेकिन, दुर्भाग्यपूर्ण है कि आज जब पलटकर देखता हूं तो लगता है कि शांति और बातचीत के मेरे सभी प्रयासों को उन्होंने तुष्टिकरण के तौर पर लिया। हम इससे ज्यादा कुछ कर नहीं सकते।”
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ टेलीफोन पर बातचीत के एक दिन बाद खान ने इस्लामाबाद स्थित प्रधानमंत्री कार्यालय में साक्षात्कार दिया। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने भारत की ओर से जम्मू एवं कश्मीर में अनुच्छेद-370 हटाने से पहले और इसके बाद भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत की कोशिशें की, मगर वह असफल रहीं। उन्होंने संवाद के अपने प्रयासों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लगातार खारिज करने की बात कही।
भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर को लेकर बढ़े तनाव के बारे में बात करते हुए इमरान खान ने कहा, “जब दो परमाणु संपन्न देश आंखों में आंखें डालकर खड़े हों, तो इन हालात में कुछ भी हो सकता है। यह दुनिया के लिए चिंता का विषय होना चाहिए।”
खान की टिप्पणी पर नई दिल्ली में भारत सरकार की ओर से तत्काल कोई टिप्पणी नहीं की गई है। लेकिन, अमेरिका में भारतीय राजदूत हर्षवर्धन श्रृंगला ने इस आलोचना को खारिज कर दिया।
श्रृंगला ने कहा, “हमारा अनुभव रहा है कि हर बार जब हमने शांति की दिशा में पहल की है, तो यह हमारे लिए बहुत बुरा साबित हुआ है। हम उम्मीद करते हैं कि पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ विश्वसनीय और बिना बदलने वाली कारगर कार्रवाई करेगा।”
राजदूत ने यह भी कहा कि कश्मीर में अब चीजें सामान्य हो रही हैं।
उन्होंने कहा, “राज्य में स्थिति के आधार पर प्रतिबंधों को कम किया जा रहा है। सार्वजनिक उपयोगिता वाली सेवाएं, बैंक और अस्पताल सामान्य रूप से काम कर रहे हैं।”
पाकिस्तान कश्मीर मुद्दे पर चीन को छोड़कर संयुक्त राष्ट्र या किसी भी अन्य देश का समर्थन हासिल करने में कामयाब नहीं हो पाया है, जिससे वह बौखलाया हुआ है। इस्लामाबाद ने हाल ही में कहा है कि वह इस मुद्दे को अब अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में लेकर जाएगा।