भ्रष्ट आईएलएंडएफएस प्रबंधन ने नियमों से छेड़छाड़ की

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मुंबई, 21 अगस्त (आईएएनएस)| आईएलएंडएफएस में सड़ांध ऊपर से ही शुरू हुई। ताजा खुलासे से पता चलता है कि कैसे आईएलएंडएफएस के प्रबंध निदेशक ने नियमों की धज्जियां उड़ाई और जिनकी भ्रष्ट कार्यप्रणाली के कारण देश में तरलता का संकट पैदा हो गया।

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की जांच रिपोर्ट से कंपनी में कॉपोरेट कुप्रबंधन के कई मामले का खुलासा हुआ है, इन गड़बड़ियों का जिम्मेदार पूर्व प्रमुख रमेश बावा को ठहराया गया है।


आरबीआई की रिपोर्ट से पता चलता है, “रमेश बावा के बेटे अभिषेक बावा की आईएफआईएन के लंदन कार्यालय में मोटे पैकेज पर नियुक्ति की गई, जिसे उसके पिता ने मंजूरी दी (15,631.91 पाउंड दिनांक 4 अगस्त 2014 का पत्र, 14 लाख पाउंड दिनांक 27 अप्रैल 2017 का पत्र और 9 लाख पाउंड दिनांक 4 जून 2018 का पत्र)।”

रिपोर्ट में कहा गया कि इसके अलावा, बावा ने लाखों डॉलर विदेशी दौरों पर खर्च किए और बहाना यह बनाया कि वह कंपनी के लिए कारोबार जुटाने जा रहा है, जबकि “कंपनी की हालत खस्ताहाल थी।” वित्त वर्ष 2015-16 से 2016-17 के दौरान जब कंपनी भारी वित्तीय तंगी से गुजर रही थी। आईएलएंडएफएस ने शीर्ष अधिकारियों की यात्राओं पर क्रमश: 2.47 करोड़ रुपये और 1.93 करोड़ रुपये खर्च किए।

आरबीआई की रिपोर्ट से पता चलता है कि रमेश बावा ने बांद्रा स्थित अपनी खुद की संपत्ति को आईएफआईएन को 38 लाख रुपये के पट्टे पर 1 मई 2017 से 30 अप्रैल 2018 तक के लिए दिया, साथ ही 1 मई के बाद से 24 लाख रुपये के पट्टे पर दिया, जिसमें वह अभी खुद रह रहा है।


रिपोर्ट में बताया गया कि यह ‘सीधे तौर पर’ हितों के टकराव का मामला है।

रिपोर्ट में बताया गया, “यह पाया गया कि आईएफआईएन के निदेशकों को महंगी और आयातित गाड़ियां निजी इस्तेमाल के लिए दी गई, जिनकी कीमत 26 लाख रुपये से 1.23 करोड़ रुपये तक थी।”

आरबीआई की रिपोर्ट के अलावा, ग्रांट थॉटर्न की रिपोर्ट में बावा द्वारा की गई बेशुमार गड़बड़ियों का खुलासा किया गया है। यहां तक उन कंपनियों को कर्ज दिए गए, जिसका अप्रत्यक्ष तौर पर रमेश बावा लाभार्थी था।

ग्रांट थॉटर्न की रिपोर्ट में कहा गया कि आरबीआई ने आईएलएंडएफएस फाइनेंशियल सर्विसेज (आईएफआईएन) को सलाह दी कि वह समूह की कंपनियों को कर्ज न दे। लेकिन आईएफआईएन ने इसके बाद उन कंपनियों के शेयरों को खरीदना शुरू कर दिया, ताकि उन्हें वित्त मुहैया करा सके। इस तरह से इसने केंद्रीय बैंक की सलाह को दरकिनार कर दिया।

आईएलएंडएफएस समूह पर 91,000 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज है जो गंभीर तरलता संकट (नकदी की कमी) का सामना कर रही है।

 

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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