बिहार में सिविल सर्जन कार्यालय तक जाता है ‘चचरी पुल’

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पटना, 2 अगस्त (आईएएनएस)| बिहार की प्रमुख नदियों का जलस्तर भले ही कम होने लगा है, लेकिन बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में लोगों की परेशानियां कम नहीं हो रही हैं। राज्य के पश्चिमी चंपारण के जिला मुख्यालय बेतिया में जिला के स्वास्थ्य सेवा की देखरेख करने वाले सबसे बड़े अधिकारी सिविल सर्जन का कार्यालय ही पानी (जलजमाव) से घिरा हुआ है, जिससे लोगों और अधिकारियों को आने-जाने के लिए ‘चचरी पुल’ (बांस से बना अस्थाई पुल) का सहारा लेना पड़ रहा है। सिविल सर्जन (सीएस) कार्यालय में पदस्थापित कर्मचारियों की मानें तो जलजमाव के कारण मच्छरों की संख्या बढ़ गई है और दुर्गंध के कारण लोगों का कार्यालय में बैठना मुश्किल हो गया है।

यहां आने वाले लोगों की शिकायत है कि स्वास्थ्य विभाग का सबसे बड़ा कार्यालय ही बीमार है। कार्यालय में आए एक व्यक्ति ने कहा कि करीब 20 दिनों से हुए इस जलजमाव के कारण सबसे अधिक बीमारी तो यहीं से फैलने की आशंका है।


इधर, सिविल सर्जन डॉ़ अरुण कुमार भी मानते हैं कि जलजमाव से परेशानी तो हो ही रही है। उन्होंने कहा कि यहां आने-जाने वालों या कर्मचारियों के कार्यालय आने-जाने के लिए चचरी पुल का निर्माण करवाया गया है, जिससे लोग आवाजाही कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कार्यालय के पीछे काम चलाउ रास्ता बनवाने की कोशिश की जा रही है।

उल्लेखनीय है कि बिहार के 13 जिलों- शिवहर, सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण, मधुबनी, दरभंगा, सहरसा, सुपौल, किशनगंज, अररिया, पूर्णिया, कटिहार और पश्चिमी चंपारण में बाढ़ से अब तक 130 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि करीब 88 लाख 46 हजार से ज्यादा लोग इससे प्रभावित हुए हैं।

राज्य की प्रमुख नदियों का जलस्तर कम होने से बाढ़ प्रभावित इलाकों से पानी तो उतरने लगा है, लेकिन पानी के उतरने के बाद ही बाढ की तबाही का वास्तविक मंजर सामने आएगा।


कई गांवों में कीचड भर गए हैं, खेतों में रेत भर गए हैं। वैसे अभी भी कई गांवों में बाढ़ का पानी भरा हुआ है। अभी भी सरकार द्वारा बाढ़ प्रभावित इलाकों में चार राहत शिविर चलाए जा रहे हैं। इसके साथ ही बाढ़ पीड़ितों के लिए 442 सामुदायिक रसोई में खाना बनवाए जा रहे हैं।

 

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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