Union Budget 2019 : जानें क्यों 1974 के बजट को कहा गया Black Budget!

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जानें बजट का इतिहास और इससे जुड़ी अहम बातें

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 112 में भारत के केंद्रीय बजट को वार्षिक वित्तीय विवरण के रूप में निर्दिष्ट किया गया है। बजट में वार्षिक खर्च के साथ ही विभिन्न प्रस्तावित परियोजनाओं के लिए होने वाले खर्च का भी उल्लेख होता है। बजट को लागू करने से पहले उसे संसद के दोनों सदनों में पारित करवाना भी जरूरी है।

वित्त मंत्रालय ने हलवा रस्म के साथ  ही इसकी शुरू कर दी है। मोदी सरकार पांच जुलाई को 2019-20 का पूर्ण बजट पेश करेगी।  भारत में बजट पेश करने का इतिहास 150 साल से अधिक पुराना है। इतने वर्षों में बजट पेश करने के तौर-तरीके में कई बदलाव हुए हैं। बजट के इतिहास पर नजर डालें तो ऐसे काफी सारे तथ्य हमारे सामने आएंगे जो देश के बदलते आर्थिक हालात बतलाते हैं। 26 नवंबर 1947 को पेश किए गए आजाद भारत के पहले बजट से लेकर अब तक ऐसे तमाम मौके आए हैं, जब बजट के प्रावधानों ने देश को एक नई दिशा देने की कोशिश की।


जानिए, बजट से जुड़े कुछ रोचक तथ्य…

स्वतंत्र भारत का पहला बजट वित्तमंत्री आरके षणमुखम शेट्टी (चेट्‍टी) ने 26 नवंबर 1947 को पेश किया था, जबकि गणतंत्र भारत का पहला बजट 28 फरवरी 1950 को जॉन मथाई ने पेश किया था। षणमुखम शेट्‍टी ने 1948-49 के बजट में पहली बार अंतरिम शब्द का प्रयोग किया, तब से लघु अवधि के बजट के लिए ‘अंतरिम’ शब्द का इस्तेमाल शुरू हुआ।

Union Budget 2019 : जानिए देश के पहले बजट से अब तक का इतिहास, इससे जुड़ी रोचक बातें


जॉन मथाई देश के दूसरे वित्त मंत्री थे, जिन्होंने 1949-50 का बजट पेश किया। यह ऐतिहासिक बजट था और महंगाई पर केंद्रित था। इसी बजट के जरिये देश ने योजना आयोग और पंचवर्षीय योजनाओं जैसे शब्दों को चुना।

साल 1955 के बाद यानी 1955-56 के बजट से ही बजट से जुड़े दस्तावेज हिंदी में भी तैयार किए जाने लगे।

1955-56 के केंद्रीय बजट में कालाधन उजागर करने की योजना शुरू की गई।

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साल 1994 के केंद्रीय बजट में सर्विस टैक्‍स का प्रावधान किया गया। इस बजट को पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पेश किया था।

भारत में साल 1973-74 के बजट को ब्लैक बजट के रूप में जाना जाता है। इस साल देश का बजट घाटा 550 करोड़ रुपए था। इसे वित्तमंत्री यशवंतराव बलवंतराव चव्हाण ने प्रस्तुत किया था।

साल 1982 में वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने बजट पेश किया था। उन्होंने 1 घंटा 35 मिनट तक बजट स्पीच दी। इस बजट के बाद लंबी बजट स्पीच का ट्रेंड बन गया। इस पर इंदिरा गांधी ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि सबसे छोटे कद के वित्त मंत्री ने सबसे लंबा भाषण दिया।

प्रधानमंत्री रहते राजीव गांधी ने साल 1987 का  बजट पेश किया। उन्होंने भारत का पहली बार कॉरपोरेट टैक्स से परिचय करवाया।

Former Chief Minister Manmohan Singh- India TV Paisa

बजट के इतिहास में ऐसा मौका भी आया जब साल 1991-92 का अंतरिम और वित्‍तीय बजट दो अलग-अलग पार्टियों के अलग अलग मंत्रियों ने पेश किया। यशवंत सिन्हा ने अंतरिम बजट पेश किया, जबकि मनमोहन सिंह ने फाइनल बजट पेश किया।

साल 1994 के अपने बजट में मनमोहन सिंह ने सर्विट टैक्स के टर्म को भारत के सामने रखा।

यशवंत सिन्हा को साल 2002 के केंद्रीय बजट में सबसे ज्यादा रोलबैक शामिल करने के लिए जाना जाता है।

यशवंत सिन्हा ने साल 1991 में विदेशी मुद्रा संकट के दौर में बजट पेश किया। साल 1999 में उन्होंने जब बजट पेश किया तब देश में पोखरण विस्फोट पर चर्चा आम थी। साल 2000 में जब उन्होंने बजट पेश किया तब देश कारगिल की लड़ाई के बाद के माहौल से जूझ रहा था, जबकि साल 2001 में जब उन्होंने बजट पेश किया तब देश गुजरात में आए भूकंप की चिंता में डूबा हुआ था।

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साल 2000 तक केंद्रीय बजट की घोषणा शाम 5 बजे की जाती थी। यह अंग्रेजों के समय से चली आ रही परंपरा थी। इंग्लैंड के समय के अनुसार बजट पेश किया जाता था, जो कि भारत में शाम 5 बजे होता था। इस परंपरा को अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने खत्म किया। यशवंत सिन्हा ने 2001 में 11 बजे दिन में बजट की घोषणा कर नई परंपरा शुरू की।

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