केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल (Citizen Amendment Bill) पेश करने जा रहे हैं। इसके लिए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की तरफ से अपने सांसदों को व्हिप भी जारी किया गया है। अगर नागरिक संशोधन बिल कानून बन जाता है तो पड़ोसी देश पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से धार्मिक उत्पीड़न के चलते आए हिंदू, सिख, ईसाई, पारसी, जैन और बौद्ध धर्म को लोगों को सीएबी (CAB) के तहत भारतीय नागरिकता मिल जाएगी। केंद्र सरकार के इस कानून का कांग्रेस समेत कई विपक्षी पार्टियां विरोध कर रही हैं और इसे भारत के संविधान की मूल भावना के खिलाफ बता रही हैं। इस कानून में पहले क्या था और अब क्या होने जा रहा है, बिल को लेकर विवाद क्यों है…जानें इससे जुड़ी 10 बातें…
1. मोदी सरकार जो नया बिल ला रही है, उसे सिटिजन अमेंडमेंट बिल, 2019 नाम दिया गया है। इस बिल के आने से सिटिजन एक्ट, 1955 में संशोधन होगा।
2. नागरिक संशोधन विधेयक अगर कानून का रूप ले लेता जाता है तो पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक उत्पीड़न के कारण वहां से भागकर आए हिंदू, ईसाई, सिख, पारसी, जैन और बौद्ध धर्म को मानने वाले लोगों को CAB के तहत भारत की नागरिकता दी जाएगी। इसके साथ ही इन सभी शरणार्थियों को भारत में अवैध नागरिक के रूप में नहीं माना जाएगा। अभी के कानून के तहत भारत में अवैध तरीके से आए लोगों को उनके देश वापस भेजने या फिर हिरासत में लेने की बात है।
3. इन सभी शरणार्थियों को भारत में अब नागरिकता पाने के लिए कम से कम 6 साल का वक्त बिताना होगा। पहले ये समयसीमा 11 साल के लिए थी।
4. नए कानून के मुताबिक, बांग्लादेश-पाकिस्तान-अफगानिस्तान से आया हुआ कोई भी हिंदू, जैन, सिख, बौद्ध, ईसाई नागरिक जो कि 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत में आया हो उसे अवैध नागरिक नहीं माना जाएगा। इनमें से जो भी नागरिक OCI होल्डर है, अगर उसने किसी कानून का उल्लंघन किया है तो उसको एक बार उसकी बात रखने का मौका दिया जाएगा।
5. अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड और मिजोरम के इनर लाइन परमिट एरिया को इस बिल से बाहर रखा गया है। इसके अलावा ये बिल नॉर्थ ईस्ट के छठे शेड्यूल का भी बचाव करता है।
6. नागरिकता संशोधन बिल के विरोध के पीछे वजह ये है कि इस बिल के प्रावधान के मुताबिक पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आने वाले मुसलमानों को भारत की नागरिकता नहीं दी जाएगी। कांग्रेस समेत कई पार्टियां इसी आधार पर बिल का विरोध कर रही हैं। विपक्ष का कहना है कि केंद्र सरकार जो बिल ला रही है, वह देश में धर्म के आधार पर बंटवारा करेगा जो समानता के अधिकार के खिलाफ है।
7. पूर्वोत्तर में इस बिल का सबसे अधिक विरोध हो रहा है। पूर्वोत्तर के लोगों की चिंता है कि पिछले कुछ दशकों में बांग्लादेश से बड़ी तादाद में आए हिंदुओं को नागरिकता प्रदान की जा सकती है। ऐसे में ये पूर्वोत्तर राज्यों के लिए ठीक नहीं रहेगा. पूर्वोत्तर में कई छात्र संगठन, राजनीतिक दल इसके विरोध में हैं।
8. असम में नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) के खिलाफ विभिन्न प्रकार से विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं जिनमें नग्न होकर प्रदर्शन करना और तलवार लेकर प्रदर्शन करना भी शामिल है। सीएम सर्वानंद सोनोवाल के चबुआ स्थित निवास और गुवाहाटी में वित्त मंत्री हिमंत बिस्व सरमा के घर के बाहर सीएबी विरोधी पोस्टर चिपकाए गए।
9. एनडीए में भारतीय जनता पार्टी की साथी असम गण परिषद ने भी इस बिल का विरोध किया है। बिल के लोकसभा में आने पर वह गठबंधन से अलग हो गई थी। हालांकि, कार्यकाल खत्म होने पर जब बिल खत्म हुआ तो वह वापस भी आई।
10. एनडीए की पूर्व सहयोगी रही शिवसेना इस बिल का समर्थन करेगी। शिवसेना के सांसद संजय राउत का कहना है कि महाराष्ट्र में सरकार अपनी जगह और देश के प्रति कमिटमेंट एक जगह है। इसलिए हम लोग इस बिल का समर्थन करेंगे। बता दें, शिवसेना अब कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर महाराष्ट्र में सरकार चला रही है।