दिल्ली विश्वविद्यालय में अंडरग्रेजुएट कोर्स के सिलेबस को बदलने की तैयारी चल रही है। सिलेबस में बदलाव की प्रक्रिया 11 मार्च 2019 से शुरू कर दी गई थी। डीयू प्रशासन ने पाठ्यक्रम में संशोधन के लिए विस्तृत एडवाइजरी कमेटी की बैठक आयोजित की, जिसमे डीयू के सभी डीन और प्रमुखों को आमंत्रित किया गया। प्रसाशन द्वारा संशोधित पाठ्यक्रम शेक्षणिक सत्र 2019-20 से लागू किया जायेगा, जिस में केवल अंडरग्रेजुएट कोर्सेज के सिलेबस को बदला जाएगा।
यूजीसी ने जारी किया था नोटिस
अंडरग्रेजुएट कोर्सेज के सिलेबस में बदलाव की प्रक्रिया विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के 2018 में आए एक नोटिस का पालन करते हुए की जा रही है। कोर्सों के सिलेबस को बदलने का काम लर्निंग आउटकम बेस करिकुलम फ्रेमवर्क (एलओसीएफ) के अनुरूप किया जा रहा है। रेगुलर कॉलेज के साथ साथ स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग (एस. ओ.एल.) और नॉन कॉलिजिएट वुमन एजुकेशन बोर्ड (एनसीवेब) के स्टूडेंट्स को भी बदले हुए कोर्स के तहत ही पढ़ाई करनी होगी। इस सत्र से दाखिला लेने करीब वाले 7 लाख स्टूडेंट्स नए सिलेबस के तहत पढाई करेंगे।
पाठ्यक्रम में संशोधन के लिए डीयू द्वारा अंडरग्रेजुएट करिकुलम रिविजन कमिटी बनाई गयी है। डीयू वीसी योगेश के. त्यागी ने कोर्स रिविजन कमिटी बनाने के आदेश दिए है। इसमें डिपार्टमेंट हेड, डिपार्टमेंट कन्वेनर, हेड/कन्वेनर के चुने गए तीन बेस्ट टीचर, डीन-एग्जाम के चुने हुए दो टॉप पोजिशन स्टूडेंट्स शामिल करने को कहा गया है।
टीचर्स ने जताई आपत्ती
डीयू प्रसाशन के इस फैसले के साथ ही विवाद खड़ा हो गया है। प्रशासन ने 29 मार्च तक सभी डिपार्टमेंट के हेड को ड्राफ्ट तैयार करने के आदेश दिए हैं लेकिन टीचर्स इसे नियमों का उल्लंघन बता रहे हैं। इग्जिक्यूटिव काउंसिल के मेंबर डॉ राजेश कुमार झा ने कहा, जब यूजीसी सीबीसीएस के साथ सिलेबस लाई थी, तब भी डीयू टीचर्स को अलग रखा गया था, अब वो ‘लर्निंग आउटकम बेस्ड करिकुलम’ की बात करते हुए सिलेबस में संशोधन की कर रही है। इसमें वैधानिक संस्थाओं के रोल की चर्चा नहीं है। डीयू वीसी इसे ज़बरदस्ती हमारे ऊपर थोप रहे हैं।