देश को शाकाहारी बनाने के लिए ‘मौन ध्यान’ रैली

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नई दिल्ली, 31 मार्च (आईएएनएस)| समूचे देश को शाकाहारी बनाने के उद्देश्य के साथ पिरामिड पार्टी ऑफ इंडिया ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर रविवार को ‘मौन ध्यान रैली’ का आयोजन किया। पार्टी की इस पहल को भारतीय राजनीति में एक नए युग के सूत्रपात के रूप में देखा जा रहा है। इस दौरान मेडिटेशन सेशन के जरिए लोगों को एक सूत्र में बांधकर उनकी चेतना को जगाने की कोशिश की गई।

सैकड़ों की तादाद में पहुंचकर लोगों ने इस पहल का समर्थन किया। रैली में पिरामिड मास्टर और देश भर से पिरामिड पार्टी के सदस्य मौजूद थे। रैली में इसके अलावा अन्य गतिविधयां भी शामिल की गईं।


पिरामिड पार्टी ऑफ इंडिया (पीपीओआई) दक्षिण भारत की विभिन्न सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े करती रही हैं। अब पीपीओआई पार्टी उत्तर भारत के राज्यों में पकड़ बनाना चाहती है। पार्टी ने पहले ही 2019 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव का घोषणापत्र जारी कर दिया गया है। ‘मौन ध्यान’ के माध्यम से पार्टी वोटरों का ध्यान आकर्षित करना चाहती है।

पिरामिड पार्टी ऑफ इंडिया के संस्थापक ब्रह्मíष पितामह पत्री ने कहा, “पिरामिड पार्टी ऑफ इंडिया आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, गुजरात, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, हरियाणा और दिल्ली-एनसीआर में लोकसभा सीटों पर अपनी पार्टी के उम्मीदवार उतारेगी। हम हर विधानसभा सीट पर पीपीओआई के उम्मीदवार उतारेंगे। हमारी यही आशा है कि इस रैली के माध्यम से हम पूरे भारत में एक आंदोलन खड़ा करें और समूचे भारतवर्ष को शाकाहारी बनाने के लिए आह्वान करें।”

पिरामिड पार्टी ऑफ इंडिया (पीपीओआई) के राष्ट्रीय महासचिव माधवी डी. ने मीडिया से बातचीत में कहा, “भारतवर्ष के कल्याण में शाकाहारियों की भागीदारी सबसे अहम है। पार्टी का गठन भारतवासियों को शांत, कुशाग्र, प्रबुद्ध शाकाहारी बनाने के लिए किया गया है। चुनावी प्रक्रिया की व्यवस्था से हम अपनी जीवनचर्या में यह बदलाव ला सकते हैं। केवल कुशल और शांत लोग ही सुशासन के लिए उचित व्यक्ति होते हैं। हम इस आंदोलन के माध्यम से केवल ज्ञानवान साधकों का अपने प्रतिनिधि के रूप में चुनाव कर उन्हें निर्वाचित करेंगे।”


पिरामिड पार्टी ऑफ इंडिया के उत्तर भारत के महासचिव डी.एल. एन शास्त्री ने कहा कि पार्टी पहले ही उत्तराखंड, गुजरात, नई दिल्ली, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश जैसे उत्तर-भारतीय राज्यों में कई गतिविधियों का संचालन कर रही है। मौन ध्यान रैली इस दिशा में पहला कदम है। उन्होंने कहा, “हम आखिरी सांस तक इसके लिए आंदोलन करते रहेंगे।”

 

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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