फेडरर, नडाल नहीं थीम हैं राष्ट्रीय जूनियर चैम्पियन करण के आदर्श

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 नई दिल्ली, 15 अक्टूबर (आईएएनएस)| किसी भी युवा टेनिस खिलाड़ी से अगर पूछा जाए कि उसका आदर्श कौन है तो निश्चित तौर पर उसके मुंह से रोजर फेडरर, राफेल नडाल या नोवाक जोकोविक का नाम सुनने को मिलेगा लेकिन दो दिन पहले अंडर-16 राष्ट्रीय चैम्पियन बने भारत के 16 साल के टेनिस खिलाड़ी करण सिंह कुछ अलग सोचते हैं।

  करण इन दिग्गजों से सबसे परे आस्ट्रिया के डोमिनिक थीम को अपना आदर्श मानते हैं।


करण को थीम का फोरहैंड काफी पसंद है साथ ही स्पिन भी। वह अपने खेल में उसे लाने की भी भरकस कोशिश करते हैं। यही कारण है कि वह थीम का कोई भी मैच नहीं छोड़ते।

राष्ट्रीय चैम्पियनशिप जीतने के बाद करण ने आईएएनएस से कहा, “थीम का फोरहैंड मुझे अच्छा लगता है। वो जिस तकह से स्पिन मारते हैं, वो मुझे बहुत पसंद है। वह जिस तरह से स्लाइस मारते हैं वो भी मुझे काफी पसंद है। फेडरर और नडाल उतने अच्छे नहीं लगते।”

करण ने हाल ही में फेनेस्टा अंडर-16 नेशनल चैम्पियनशिप में बालक एकल वर्ग का खिताब अपने नाम किया। फाइनल मैच में उन्होंने कई अंक वॉली से जुटाए। करण कहते हैं कि उन्हें वॉली पसंद है इसलिए वो ज्यादा से ज्यादा वॉली का प्रयास करते हैं।


उन्होंने कहा, “मुझे वॉली पसंद है। मुझे वॉली पर र्टिन करना पसंद है। मैंने जब शुरुआत की थी तब मैं बेसलाइनर ही था। मैं ज्यादातर बेसलाइन से ही खेलता था। लेकिन जब मैं बड़े स्तर पर खेलने लगा, युगल मुकाबले खेलने लगा तो मैंने वॉली खेलना शुरू किया।”

करण उस हरियाणा प्रदेश से आते हैं, जहां से मुक्केबाज या पहलवान निकलते हैं। ऐसे प्रदेश में टेनिस चुनने की कहानी करण के लिए स्कूल से शुरू होती है, जिसे बाद उनके पिता अंजाम तक पहुंचाने में लग जाते हैं।

टेनिस क्यों चुना इस सवाल पर करण कहते हैं, “मैं करनाल के प्रताप स्कूल में पढ़ता था। वहां एक सिंथेटिक कोर्ट था। वहां मैं बच्चों को खेलते हुए देखता तो अच्छा लगता था। तो वहां से मैंने शुरू टेनिस शुरू किया। पहले मेरे पापा ही मेरे कोच थे। अब सुमित चौधरी सर मेरे कोच हैं। मैं पिछले एक साल से उनके साथ अभ्यास कर रहा हूं। वही मुझे वॉली का भी अच्छा अभ्यास कराते हैं।”

करण करनाल में रहते हैं, जहां उनके पिता अशोक चौहान ने करनाल टेनिस अकादमी की शुरुआत की है। करण वहीं अभ्यास करते हैं। करण ने कहा, “सुमित चौधरी सर के साथ मैं पिछले एक साल से अभ्यास करता हूं। अभी मेरे पापा ने करनाल में अकादमी खोली है। वहां पहले कोई अच्छी अकादमी नहीं थी। इसलिए पापा ने वहां अकादमी खोली। वहां चार क्ले कोर्ट हैं।”

करण क्ले कोर्ट पर ज्यादा अभ्यास करते हैं और इसलिए उन्हें लाल बजरी पर खेलना ही भाता है। उन्हें सिंथेटिक कोर्ट पर खेलना ज्यादा पसंद नहीं है। नेशनल चैम्पियनशिप के फाइनल में करण ने उदित गोगोई को 5-7, 6-4, 7-6 (7-3) से मात दी। करण, उदित के खिलाफ पहले भी खेल चुके थे, लेकिन तब मैच क्ले कोर्ट पर हुआ था और करण ने आसानी से 6-2, 6-2 से जीत हासिस की थी। इस बार उदित ने सिंथेटिक कोर्ट पर उनको कड़ी टक्कर दी।

करण ने क्ले कोर्ट को अपनी पसंद बताते हुए कहा, “यहां थोड़ी समस्या इसलिए आई क्योंकि मुझे सिंथेटिक पर खेलना पसंद नहीं है। मैं सिंथेटिक पर अभ्यास भी नहीं करता, क्ले पर ही अभ्यास करता हूं। जब टूर्नामेंट होता है तो ही सिंथेटिक पर खेलता हूं। दोनों में अंतर यह होता है कि क्ले पर गेंद थोड़ी धीमी आती है और सिंथेटिक पर तेज आती है।”

करण अपनी सर्विस को अपनी ताकत बताते हैं। वे कहते हैं, “मैं अपनी सर्विस पर बहुत काम करता हूं। मैं एक-एक घंटे सर्विस का अभ्यास करता हूं और कोशिश करता हूं कि तेज से तेज सर्विस कर सकूं।”

करण ने दूसरी बार नेशनल चैम्पियनशिप में हिस्सा लिया था। पिछले साल वह दूसरे दौर में हार कर बाहर हो गए थे लेकिन इस बार वह विजेता बनने में सफल रहे। वह अंडर-16 बालक युगल वर्ग में भी विजेता बने।

करण सुबह छह बजे से लेकर शाम छह बजे तक ब्रैक लेकर अभ्यास करते हैं। इस दौरान वह अपनी फिटनेस पर अलग कोच के साथ काम करते हैं।

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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