‘गांधी जी के अहिंसा के संदेश के नए सिरे से प्रचार-प्रसार की जरूरत’

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सीतामढ़ी, 25 अक्टूबर (आईएएनएस)| पत्रकार प्रसून लतांत का कहना है कि आज समाज में व्याप्त असहिष्णुता और हिंसा को देखते हुए महात्मा गांधी के अहिंसा संबंधी सन्देश का नए सिरे से प्रचार प्रसार होना चाहिए, जिससे धार्मिक, जातीय, राजनीतिक सहिष्णुता के महत्व को समझ कर हिंसक प्रवृत्ति को रोका जा सके। दिल्ली गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति, सूर्या संस्थान, नोएडा का एक दल गांधीजी की 150वीं जयंती के मौके पर पूरे भारत में घूम-घूमकर गांधीजी के विचारों को लोगों तक पहुंचा रहा है। गुरुवार को इस दल के साथ सीतामढ़ी पहुंचे लतांत ने कहा कि इस दौरे का उद्देश्य गांधीजी के विचार एवं मूल्यों को समाज में स्थापित करना है।

सीतामढ़ी में स्वयंसेवी संस्था नवभारती सेवा न्यास के तत्वावधान में आयोजित ‘गांधी जी के विचार’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सूर्या संस्थान के मंत्री देवेंद्र मित्तल ने कहा कि गांधी के विचार और मूल्य आज के दौर में सबसे ज्यादा प्रासंगिक हैं। आज जरूरत है कि उनके विचारों से आने वाली पीढ़ियों को अवगत करवाया जाए।


उन्होंने कहा कि देश के सभी वर्गो की पाठ्य पुस्तकों में गांधी के विचारों को शामिल किया जाना चाहिए।

नवभारती सेवा न्यास की सचिव प्रीति सुमन और न्यासी पिंकी देवी ने सूर्या संस्थान के अध्यक्ष रामशरण गौड़ सहित आए सभी लोगों का स्वागत किया ।

इस कार्यक्रम को संजीव सक्सेना (मैथिली, भोजपुरी अकादमी ), हिमाचल प्रदेश के पत्रकार शांति कुमार श्याल, साहित्यकार तुलसी रमण रक्षा शुक्ला, डॉक्टर मालती, नीलम भागी, मंजू मित्तल, ओम प्रकाश गोयल, विनय गुप्ता, सी.के.मलिक ने भी संबोधित किया।


वक्ताओं ने कहा, “स्वतंत्रता के बाद गांधी विचारों की लगातार अवहेलना हो रही है। गांधी जी के नाम का जाप होता है , लेकिन उनके सिद्धांतों के विपरीत धार्मिक द्वेष की राजनीति करके समाज मे वैमनस्य और प्रतिद्वंद्वता फैलाई जा रही है।”

वक्ताओं ने कहा कि गांधी जी ने जिस हिंदू मुस्लिम एकता के लिए जी जान से काम किया, आज की राजनीति उसके ठीक विपरीत चल रही है।

इस कार्यक्रम में नवभारती सेवा संस्थान की ओर से बबलू, गौरव कुमार, अभिषेक, सुशील ओझा , सलोनी कुमारी , सिमरन कुमारी ने भी अपने विचार रखे।

 

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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