हरियाणा में किसानों की एक टीम ने कानूनों में संशोधन वाला सरकार का प्रस्ताव स्वीकार किया

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नई दिल्ली, 12 दिसम्बर (आईएएनएस)। केंद्र की ओर से लागू किए गए तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ शनिवार को किसानों का विरोध प्रदर्शन 17वें दिन भी जारी रहा। इस बीच हरियाणा के किसानों के एक समूह ने इन कानूनों में आवश्यक संशोधन के लिए केंद्र के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है।

हरियाणा एफपीओ (किसान निर्माता संगठन) और जागरुक और प्रगतिशील किसान यूनियन के एक दर्जन से अधिक किसानों ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को उनके मंत्रालय में एक बैठक के दौरान इस संबंध में एक लिखित स्वीकृति दी।


दरअसल केंद्र सरकार ने संसद के मानसून सत्र के दौरान सितंबर में किसान उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक, किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) विधेयक मूल्य आश्वासन और सेवा विधेयक और आवश्यक वस्तुएं (संशोधन) विधेयक को लागू किया था। हरियाणा के इन किसानों ने इन कानूनों में संशोधनों के लिए सरकार के प्रस्ताव को स्वीकार किया है।

अपने छह-सूत्रीय स्वीकृति पत्र में किसानों ने कहा है, हम सरकार की ओर से प्रस्तावित संशोधनों के साथ तीन कृषि कानूनों को जारी रखने के लिए तैयार हैं।

पत्र में उल्लेख किया गया है, केंद्र सरकार की ओर से किसानों के लिए भेजे गए नए संशोधन प्रस्तावों के साथ इन कानूनों को जारी रखा जाना चाहिए। हम न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और कृषि उपज बाजार समिति (एपीएमसी) को जारी रखने के बारे में आंदोलनकारी किसानों द्वारा उठाई गई मांगों का समर्थन करते हैं।


किसानों ने केंद्र सरकार से इसके द्वारा प्रस्तावित तीन कानूनों में संशोधन के साथ आने का आग्रह किया और यह सुनिश्चित करने पर जोर दिया कि उनकी मांगों को समय पर पूरा किया जाए और उनके मुद्दों को ठीक से सुना जाए।

आंदोलनरत किसानों ने हालांकि सरकार के प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया है। उनका कहना है कि जब तक सरकार किसान विरोधी काले कानूनों को वापस नहीं ले लेती, उनका आंदोलन जारी रहेगा।

सरकार ने एमएसपी और एपीएमसी को जारी रखने के लिए किसानों की मांगों को स्वीकार करते हुए इन कानूनों में आवश्यक संशोधन करने का प्रस्ताव रखा।

किसानों के एक समूह द्वारा सरकार के प्रस्ताव को स्वीकार करना इंगित करता है कि गतिरोध को बहुत जल्द हल किया जा सकता है।

किसानों के साथ सरकार की पांच दौर की वार्ता में हालांकि अभी तक समाधान नहीं निकल सका है और बातचीत के सभी प्रयास विफल रहे हैं।

सरकार के प्रस्ताव को स्वीकार करने वाले संगठन प्रदर्शन में शामिल 32 किसान यूनियनों से अलग हैं।

–आईएएनएस

एकेके/एएनएम

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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