जिंदगी की पहेली में गुम हो गए गीतकार योगेश

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मुंबई, 30 मई (आईएएनएस) ‘जिंदगी कैसी है पहेली, हाय कभी तो हंसाए, कभी ये रुलाये..’, ‘कही दूर जब दिन ढल जाए’, ‘बड़ी सूनी-सूनी है जिंदगी ये’, ‘न बोले तुम न मैंने कुछ कहा’, ‘रिमझिम गिरे सावन’ जैसे न जाने कितने आत्मीय गीतों की रचना करने वाले बॉलीवुड के दिग्गज गीतकार योगेश का बीते शुक्रवार को मुंबई में निधन हो गया। वह 77 वर्ष के थे।

उनके 60-70 के दशक में लिखे गाने आज भी सदाबहार हैं, जिसे बुजुर्गों से लेकर युवा भी पसंद करते हैं।


योगेश के कुछ बेहतरीन गीत ऋषिकेश मुखर्जी और बसु चटर्जी की फिल्मों में शामिल थे। उन्होंने फिल्म ‘आनंद’ के गाने ‘जि़ंदगी कैसी है पहेली’ और ‘कहीं दूर जब दिन ढल जाए’ जैसे गानों की रचना की थी। उनके लोकप्रिय गानों में फिल्म ‘रजनीगंधा’ के गाने ‘रजनीगंधा फूल तुम्हारे’ और ‘कई बार यूं ही देखा है’, फिल्म ‘मिली’ का गाना ‘बड़ी सूनी सूनी है’, फिल्म ‘छोटी सी बात’ के गाने ‘जानेमन जानेमन’ और ‘ना जाने क्यूं’, फिल्म ‘मंजि़ल’ का गाना ‘रिमझिम गिरे सावन’, और फिल्म ‘बातों बातों में’, ‘ना बोले तुम ना मैंने कुछ कहा’ जैसे गाने शामिल हैं।

नेशनल हेराल्ड इंडिया डॉट कॉम की एक रिपोर्ट के अनुसार, अनुभवी गीतकार बीते कुछ समय से अस्वस्थ थे और वह अपने एक शिष्य के साथ रहते थे।

उनके निधन की खबर सुनकर पाश्र्वगायिका लता मंगेशकर ने उन्हें ट्विटर पर श्रद्धांजलि दी। उन्होंने लिखा, “मुझे अभी पता चला कि दिल को छू लेने वाले गीत लिखने वाले कवि योगेश जी का आज स्वर्गवास हुआ। यह सुन के मुझे बहुत दुख हुआ। योगेश जी के लिखे गीत मैने गाए। योगेश जी बहुत शांत और मधुर स्वभाव के इंसान थे। मैं उनको विनम्र श्रद्धांजलि अर्पण करती हूं।”


गीतकार मनोज मुंतशीर ने ट्वीट किया, “मुंबई आने के दूसरे हफ्ते योगेश जी से मिला था. अफसोस दोबारा कभी न मिल पाया. न अब मिल पाउंगा, अलिवदा योगेश जी।”

अभिनेता अनूप सोनी ने लिखा, “ना जाने क्यों होता है ये जिंदगी के साथ, अचानक ये मन किसी के जाने के बाद करे फिर उसकी याद, छोटी छोटी सी बात ना जाने क्यों.. योगेश जी आपके लिखे गीत अमर हैं। हैशटैगरेस्टइनपीसयोगेश।”

जावेद अख्तर ने श्रद्धांजलि देते हुए ट्वीट किया, “यह जानकर बहुत दुख हुआ कि एक असाधारण गीतकार योगेश जी का निधन हो गया है। उन्होंने कई शानदार गीत लिखे हैं जैसे ‘कहीं दूर जब दिन ढल जाए’ या ‘जिंदगी कैसी है पहेली’ और ‘कई बार यू भी देखा है ये मन की सीमा रेखा है’, अजीब बात है दुनिया ने उन्हें उनका हक नहीं दिया।”

–आईएएनएस

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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