पटना, 7 फरवरी (आईएएनएस)| बिहार में लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम (आरटीपीजीएस) की सफलता के बाद अब इसकी चर्चा देश के अन्य राज्यों में होने लगी है। अन्य राज्य अब इस प्रणाली को अपनाने की योजना बना रहे हैं। कर्नाटक सरकार का एक प्रतिनिधिमंडल इस अधिनियम की जानकारी और इसे समझने के लिए बिहार पहुंचा हैं। बिहार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “कर्नाटक के अधिकारियों ने इसे जन उपयोगी बताते हुए इसकी सराहना भी की। पूरी प्रक्रिया के ऑनलाइन होने की प्रशंसा करते हुए इस मॉडल को कर्नाटक में लागू करने को लेकर सकारात्मकता दिखाई है।”
गौरतलब है कि इससे पहले भी कर्नाटक के पदाधिकारियों की एक टीम बिहार लोक सेवा अधिकार अधिनियम (आरटीपीएस) का अध्ययन करने बिहार आ चुकी है। इसे बाद कर्नाटक ने अपने यहां लागू भी किया था।
कर्नाटक के कार्मिक और प्रशासनिक सुधार विभाग (इ-गवर्नेस) के वरीय अधिकारी और स्मार्ट गवर्नेस सेंटर के कार्यपालक निदेशक सुनील पंवार की अगुआई में आई टीम ने पांच और छह फरवरी को बिहार का दौरा किया। बिहार प्रशासनिक सुधार मिशन की अपर मिशन निदेशक डॉ. प्रतिमा ने इस दल के समक्ष इस अधिनियम से जुड़ी एक विस्तृत प्रस्तुति दी। इसके बाद कर्नाटक की टीम ने राज्य लोक शिकायत प्राप्ति केंद्र और लोक शिकायत निवारण कार्यालय का दौरा किया।
टीम ने मिशन निदेशक और सामान्य प्रशासन विभाग के अपर मुख्य सचिव आमिर सुबहानी से भी मुलाकात की और अपने अनुभवों को साझा किया, जिसमें उन्होंने बताया कि बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम का पूरा अनुभव उनके लिए कितना व्यापक रहा।
उल्लेखनीय है कि बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम 60 दिनों की अधिकतम अवधि में शिकायतकर्ता और संबंधित लोक प्राधिकार की उपस्थिति में लोक शिकायत निवारण अधिकारी द्वारा सुनवाई की प्रक्रिया के माध्यम से आम लोगों की शिकायतों का निवारण किया जाता है।