केंद्रीय गृह सचिव उत्तराखंड त्रासदी पर मल्टी-एजेंसी मीटिंग करेंगे

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नई दिल्ली, 22 फरवरी (आईएएनएस)। केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला उत्तराखंड के चमोली में राहत और बचाव कार्यों की समीक्षा के लिए सोमवार शाम एक बहु-एजेंसी बैठक (मल्टी-एजेंसी मीटिंग) में हिस्सा लेंगे, जहां इस महीने की शुरूआत में हिमस्खलन ने कहर बरपाया था।

आईटीबीपी के प्रमुख एस. एस. देसवाल बल के अन्य अधिकारियों के साथ-साथ राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ), भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे।


एक सूत्र ने कहा कि उत्तराखंड सरकार के कुछ अधिकारी भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से होने वाली इस बैठक में भाग ले सकते हैं।

पहाड़ी राज्य में आईटीबीपी और एनडीआरएफ की बचाव टीमों द्वारा किए जा रहे बचाव और राहत कार्यों की समीक्षा के साथ-साथ, गृह सचिव प्राकृतिक आपदा के बाद रुन्ती ग्लेशियर और प्राकृतिक झील के संबंध में भी जानकारी लेंगे।

भल्ला की ओर से ऋषीगंगा-धौलीगंगा नदी में जलस्तर बढ़ने के संबंध में प्राप्त ताजा इनपुट्स के बाद स्थिति की समीक्षा करने भी उम्मीद है।


उत्तराखंड के चमोली जिले के तपोवन इलाके में सात फरवरी को एक हिमस्खलन के कारण ग्लेशियर टूट गया था, जिसके बाद नदी का जल स्तर एकदम बढ़ गया और भारी तबाही देखने को मिली। इस सैलाब की वजह से तपोवन में एनटीपीसी के हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट को भारी नुकसान पहुंचा है और जल विद्युत परियोजना के साथ ही लगभग 14 वर्ग किमी क्षेत्र में सैलाब ने तबाही मचाई।

एक प्रामाणिक अध्ययन का हवाला देते हुए, उत्तराखंड की जिला मजिस्ट्रेट स्वाति भदौरिया ने ऋषिगंगा-धौलीगंगा नदी के तल में वृद्धि के बारे में आईएएनएस से पुष्टि की।

गृह सचिव को आईटीबीपी और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की एक संयुक्त टीम द्वारा एकत्र की गई रिपोटरें के बारे में भी जानकारी प्राप्त होने की उम्मीद है, जिसने हाल ही में चमोली के मुरेंदा क्षेत्र में अशांत ऋषिगंगा नदी के जलग्रहण क्षेत्र में बनी एक झील को लेकर अपना निरीक्षण पूरा किया है।

झील का निरीक्षण करने के लिए शनिवार से भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) और वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी की एक अन्य टीम भी मौके पर है, जो सामने से लगभग 90 से 100 मीटर और है और इसकी लंबाई लगभग 500 मीटर है।

ऋषिगंगा नदी में जल-प्रलय के बाद लगभग 204 व्यक्ति लापता हो गए, जिसने 13.2 मेगावाट की ऋषिगंगा परियोजना को भी नष्ट कर दिया।

इस बीच, वैज्ञानिक और अन्य एजेंसियां लगातार चमोली जिले में हिमालय में 14,000 फीट की ऊंचाई पर ऋषिगंगा झील का निरीक्षण कर रहे हैं।

ऋषिगंगा झील के किनारे पैंग और अन्य क्षेत्रों में एसडीआरएफ के कर्मचारी भी ऋषिगंगा नदी के प्रवाह की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं।

एसडीआरएफ के अधिकारियों ने बताया कि झील 750 मीटर लंबी है और इसमें भारी मात्रा में पानी है, जो ऋषिगंगा नदी के बहाव क्षेत्र के लिए एक बड़ा खतरा बन सकती है।

–आईएएनएस

एकेके/एएनएम

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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