खजाना भरने कर संग्रह के तरीके तलाश रही दिल्ली सरकार

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नई दिल्ली, 5 मई (आईएएनएस)। कोरोनावायरस के प्रसार को रोकने के लिए सरकार का राजस्व बुरी तरह प्रभावित हुआ है। इसलिए अब दिल्ली सरकार जनता से अधिक कर संग्रह कर अपने खजाने को भरने के विभिन्न तरीके तलाश रही है।

दिल्ली में लॉकडाउन के नियमों में कुछ ढील बरतने के ठीक एक दिन बाद सरकार ने शराब पर अतिरिक्त कर लगा दिया और इसके अलावा पेट्रोल और डीजल पर भी मूल्य वर्धित कर (वैट) में वृद्धि की गई है।


चालू वित्त वर्ष के एक आधिकारिक आंकड़े के अनुसार, सरकार शराब की बिक्री से अपने कुल राजस्व का लगभग 15 प्रतिशत प्राप्त करने की उम्मीद कर रही है।

हालांकि मार्च के बाद से 40 दिनों से अधिक समय तक देशव्यापी बंद रहने से सरकार को शराब की बिक्री बंद होने से लगभग 700 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।

सरकार ने मंगलवार से शराब की बिक्री पर ‘विशेष कोरोना शुल्क’ लगाया है, जो कुल मूल्य का 70 प्रतिशत होगा।


एक अधिकारी ने आईएएनएस को बताया, राजस्व हमारी अपेक्षाओं से बहुत कम है। शहर में केवल स्टैंडअलोन दुकानें खोली जा रही हैं। यहां तक कि अगर हम केवल शराब से राजस्व के बारे में बात करते हैं तो दुकानें एकमात्र स्रोत नहीं हैं। शराब बेचने वाले पब और होटल अभी भी नहीं खुले हैं।

दिल्ली में सोमवार से पहले शराब की दुकानें आखिरी बार 21 मार्च को खुली थीं।

इसके अलावा दिल्ली सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर वैट को बढ़ाकर 30 प्रतिशत कर दिया है। एक आदेश में वित्त विभाग ने वैट को ‘रुपये का 30 पैसे’ कर दिया है।

सिसोदिया ने एक ट्वीट के जरिए भी इशारा किया है कि कठिन समय में कठिन समाधानों की जरूरत होती है।

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के अनुसार, हर साल अप्रैल में अनुमानित राजस्व सृजन 3,500 करोड़ रुपये होता है और इस साल यह सिर्फ 300 करोड़ ही रहा है। यही नहीं उन्होंने सार्वजनिक रूप से यह भी कहा है कि अगर स्थिति इसी तरह की रहती है तो सरकार के लिए अपने कर्मचारियों को वेतन देना मुश्किल हो जाएगा।

दिल्ली सरकार का 2020-21 का बजट 65,000 करोड़ रुपये प्रस्तावित है।

–आईएएनएस

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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