किसान आंदोलन 19वें दिन जारी, एक दिनी भूख हड़ताल पर यूनियन के नेता

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नई दिल्ली, 14 दिसंबर (आईएएनएस)। केंद्र सरकार द्वारा लागू तीन नये कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का आंदोलन सोमवार को 19वें दिन जारी है और विभिन्न किसान यूनियन के नेता एक दिन के भूख हड़ताल पर बैठे हैं।

पंजाब में क्रांतिकारी किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष दर्शनपाल िंसंह ने आईएएनएस को बताया कि संयुक्त किसान मोर्चा में शामिल सभी किसान संगठनों के नेता आज (सोमवार) सुबह आठ बजे से शाम पांच बजे तक दिल्ली की सीमाओं पर भूख हड़ताल पर बैठेंगे। उन्होंने बताया कि इसके अलावा पूरे देश में जिला मुख्यालयों पर धरना-प्रदर्शन करने का आयोजन है। दर्शनपाल सिंह ने कहा कि किसान संगठनों के लोग देश भर में भारतीय जनता पार्टी और इसके सहयोगी दलों का प्रतिकार करते हुए उनके विरोध में मोर्चा निकालेंगे।


उन्होंने बताया कि किसान नेताओं के आह्वान पर रविवार को दिल्ली-जयपुर एक्सप्रेसवे पूरा जाम कर दिया गया था। उसके बाद रात में आधा छोड़ दिया गया था, लेकिन आज भी पूरा जाम किया जाएगा।

नये कृषि कानूनों को वापस लेने समेत अन्य मांगों को लेकर किसान कड़ाके की ठंड के बावजूद दिल्ली के सिंघु बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं और किसान सगठनों की तरफ से लगातार आंदोलन तेज करने का आह्वान किया जा रहा है।

उधर, किसानों को मनाने और आंदोलन समाप्त करने की दिशा में सरकार की ओर से लगातार प्रयास जारी है, लेकिन किसान संगठनों द्वारा तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग के मसले पर गतिरोध बना हुआ है।


किसान संगठनों के नेता केंद्र सरकार द्वारा लागू तीन नये कानून — कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 को निरस्त करवाने की मांग पर अड़े हैं। जबकि सरकार इन कानूनों में संशोधन के लिए उन्हें मनाने की कोशिश में जुटी है। मगर, दोनों पक्षों के बीच गतिरोध सिर्फ तीनों काूननों को वापस लेने की मांग पर बना हुआ है, जिसके कारण आगे बातचीत नहीं हो पा रही है।

हालांकि किसानों की मांगों की फेहरिस्त लंबी है। किसान संगठनों के नेता न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर सारी अधिसूचित फसलों की खरीद की गारंटी के लिए नया कानून बनाने की मांग भी कर रहे हैं जबकि सरकार ने एमएसपी पर फसलों की खरीद की मौजूदा व्यवस्था जारी रखने के लिए लिखित तौर पर आश्वासन देने की बात कही है।

इसके अलावा, उनकी मांगों में पराली दहन से जुड़े अध्यादेश में कठोर दंड और जुर्माने के प्रावधानों को समाप्त करने और बिजली (संशोधन) विधेयक को वापस लेने की मांग भी शामिल है।

–आईएएनएस

पीएमजे-एसकेपी

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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