कोरोना संकट में कुशीनगर के समाजसेवी ने भरा 15 हजार लोगों का पेट

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कुशीनगर, 2 जून (आईएएनएस)। कोरोना संकट के बीच उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले के कसया के समाजसेवी राकेश जायसवाल लोगों के बीच देवदूत बनकर उभरे। लॉकडाउन शुरू होने के अगले ही दिन यानी 26 मार्च से उन्होंने भूखे-प्यासे लोगों को पका-पकाया भोजन उपलब्ध कराने का बीड़ा उठाया तो कुछ ही दिनों में दर्जनभर स्थानों पर चूल्हे जल उठे। 70 दिनों में 15,000 से अधिक लोगों की भूख मिटी।

पूर्णबंदी की घोषणा के अगले दिन ही दूसरे राज्यों से आए लोगों ने घरवापसी शुरू कर दी थी। कसया बस अड्डे पर तकरीबन 400 लोग पहुंच गए थे। परिवार के साथ पहुंचे लोगों के बच्चे भूखे थे। दुकानें बंद होने की वजह से बेबस परिजनों के पास बच्चों को ढाढस बंधाने के सिवाय कुछ भी नहीं था। सुबह की सैर पर निकले राकेश जायसवाल ने जब यह देखा, तब उनकी आंखें डबडबा गईं। मन कचोटने लगा और पैरों ने साथ देना बंद कर दिया।


वहां से लौटे राकेश ने घर पर ही तहरी (खिचड़ी) बनवाना शुरू किया और उससे उन्होंने बसअड्डे पर मौजूद तकरीबन 400 लोगों की भूख मिटाई। इस कार्य में उन्हें महज 4-5 लोगों ने ही साथ दिया। भूखे लोगों से मिले आशीर्वाद ने राकेश को संकल्पित कर दिया और उन्होंने पूर्णबंदी खत्म होने तक यह कार्य करते रहने का संकल्प ले लिया। अब उन्हें यह सेवा कार्य करते 70 दिनों से अधिक समय हो गया है।

हर दिन 20-25 सहयोगियों ने भोजन वितरण का जिम्मा उठाया तो यह कार्य आसान हो गया। राकेश जायसवाल की इस पहल से वाहनों पर लदे प्रवासी मजदूर, यात्रियों की टोली और साइकिल, बाइक, बस-ट्रकों पर आने वाले हर भूखे-प्यासे को भोजन-पानी मिलने लगा।

स्थानीय 50 गरीब परिवारों सहित वहां से गुजरने वाले राहगीरों की भूख-प्यास मिटाने के इस काम में राकेश की मदद करने आए सहयोगियों की लंबी कतार लग गई। अनिल जायसवाल की अगुवाई में रोटरी क्लब के सदस्य आए तो सदर आलम, वाहिद, जगन्नाथ जायसवाल, पप्पू सोनकर, पवन जैसे युवाओं ने भोजन वितरण की कमान संभाल ली। इस तरह हर दिन 250 से 300 लोगों को भोजन मिलने लगा।


राकेश ने बताया, “जब दिन में दर्जनभर स्थानों पर भोजन बनाकर लोगों को बांटा जाने लगा, तब लगा कि दिन में तो सबको भोजन मिल रहा है, लेकिन रात में आने वाले लोग ज्यादा परेशान होते हैं। तब तत्कालीन एसडीएम अभिषेक पांडेय से अनुमति मिलने के बाद रात में भी भोजन वितरण का कार्य शुरू हुआ। प्रेमवलिया, कुशीनगर, ओवरब्रिज, भैंसहा और तकरीबन 10 किलोमीटर दायरे में आने वाले सभी टोल प्लाजाओं पर रुकने वाले वाहनों से आ रहे यात्रियों-राहगीरों को भोजन कराया जाने लगा।

राकेश की अगुवाई में खड़ी हुई टीम ने कोरोना योद्धाओं की चिंता भी की। टीम ने पिकेट पर तैनात पुलिसकर्मियों को भोजन कराया तो आपदा केंद्रों में तैनात कर्मचारियों की चिंता भी की। समय से इन्हें भोजन के पैकेट पहुंचाए गए।

राकेश ने बताया कि टीम की सक्रियता ने सबका विश्वास जीता। प्रशासनिक अफसर और पुलिसकर्मियों के फोन आने लगे। भूखे लोगों तक पहुंचना आसान हो गया। कुशीनगर में तैनात सिपाही सुजीत यादव की संवेदनशीलता के कायल युवाओं का कहना है कि इस सख्श ने न सिर्फ दिन में सूचनाएं दीं, बल्कि आधी रात में भी भूखों को भोजन उपलब्ध कराने में मदद करता रहा।

–आईएएनएस

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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