कोरोना योद्धाओं ने रक्तदान शिविर लगाया

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नई दिल्ली, 30 मई (आईएएनएस)। ऐसे समय में जब पूरा देश कोरोनोवायरस से जूझ रहा है, महामारी के खिलाफ लड़ाई में अग्रणी स्वास्थ्यकर्मी न केवल मानव जीवन को बचाने में चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, बल्कि जरूरतमंदों के लिए रक्तदान भी कर रहे हैं क्योंकि लॉकडाउन के दौरान रक्तदान किया जाना थम सा गया है।

दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के डॉक्टर, नर्स और तकनीशियन रक्तदान शिविरों का आयोजन करते रहे हैं और देश में कोविड-19 के प्रकोप के बीच से कहीं अधिक बार रक्तदान कर रहे हैं। 31 मई (रविवार) को महामारी के दौरान यह 9वां रक्तदान शिविर होगा।


कुछ एनजीओ के साथ भागीदारी करते हुए डॉक्टरों द्वारा शिविर का आयोजन किया जाएगा। ऐसा ही एक संगठन है नेशनल मेडिकोस ऑर्गनाइजेशन जिसने दिल्ली में पिछले दो महीनों में ‘रक्त-धरा’ अभियान के तहत 629 दान के साथ आठ रक्तदान शिविर आयोजित किए हैं।

सभी शिविर बड़े हॉल में पर्याप्त दूरी, हाथ की स्वच्छता और सैनिटाइजेशन उपायों के साथ आयोजित किए गए थे। स्वास्थ्यकर्मियों ने इन शिविरों में उचित पीपीई का उपयोग किया। इनमें से चार शिविर एम्स ब्लड बैंक के सहयोग से थे, जबकि एक-एक आरएमएल अस्पताल, जीटीबी अस्पताल, हिंदू राव और स्वामी दयानंद अस्पताल के साथ था।

एक अन्य एनजीओ सक्षम जिसने तकनीशियनों के साथ सहयोग किया, ने लॉकडाउन के दौरान कम से कम 17 रक्तदान शिविरों का आयोजन किया है।


एम्स में सीनियर रेजिडेंट और रक्तदान अभियान के समन्वयक डॉ. अमित मालवीय ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, “हमारा आगामी रक्तदान शिविर 31 मई को सशस्त्र बल रक्त आधान केंद्र (एएफटीसी) में सुबह 9 बजे से दोपहर 2 बजे तक है। मैं पास में रहने वाले सभी स्वैच्छिक रक्तदाताओं से अपील करना चाहता हूं वे हमारे सेना के जवानों और उनके परिवार के सदस्यों के लिए रक्तदान करने के लिए आए।”

उन्होंने यह भी कहा कि सभी दाताओं को उचित मास्क पहनना चाहिए और दान के लिए शिविर या ब्लड बैंक का दौरा करते समय दूरीका पालन करना और हाथ की स्वच्छता का ध्यान रखना चाहिए।

उन्होंने यह भी कहा कि अस्पताल, महामारी के प्रबंधन के अलावा, कई आपातकालीन सर्जरी, कैंसर सर्जरी और सड़क दुर्घटना में घायल लोगों की सर्जरी भी कर रहे हैं। इन सभी सर्जरी में खून चढ़ाने की जरूरत होती है। साथ ही थैलेसीमिया, एप्लास्टिक एनीमिया, अन्य हेमेटोलॉजिकल बीमारियों, ब्लड कैंसर के रोगियों को नियमित रूप से खून चढ़ाने की आवश्यकता होती है।

देश में महामारी के कारण रक्तदान को लेकर कई मिथक हैं। लोग सोचते हैं कि क्या उन्हें ब्लड बैंकों, रक्तदान शिविर लगाने से बचना चाहिए।

इस बारे में, मालवीय ने कहा कि ब्लड बैंक और बल्ड डोनेशन सुविधाएं आमतौर पर अस्पताल के एक अलग ब्लॉक या विंग में स्थित होती हैं। ब्लड बैंक में काम करने वाले कर्मचारी और डॉक्टर कोरोना वार्ड में काम करने वालों में नहीं होते हैं।

एम्स में न्यूरोलॉजी में कंसल्टेंट डॉ. इला वर्सी ने आईएएनएस को बताया कि वह एम्स में ज्यादातर डॉक्टरों की तरह ही एक नियमित डोनर हैं। उन्होंने कहा कि हर दिन कम से कम 5 से 8 डॉक्टर स्वेच्छा से रक्तदान कर रहे हैं।

एम्स में एक नर्सिग अधिकारी कनिष्क यादव ने आईएएनएस को बताया कि एम्स के नर्सिग अधिकारी नियमित रक्त दाता हैं और महामारी में भी ऐसा करना जारी है।

–आईएएनएस

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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